5000 स्कूल कॉलेजो में और 800 जेलों कारागृह में नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया है जिससे इनका नाम इंडिया बुक रिकार्ड में दर्ज है ब्रह्माकुमारीज़ माउंट आबू में ईश्वरीय सेवा में 35 वर्षो से समर्पित है.
Saturday, 29 October 2011
हमें यह नहीं भूलना चाहिएöसबका मालिक एक है ः तेजेन्द्र प्रकाशित: 16 अक्तूबर 2011 हमारे संवाददाता नई दिल्ली। ब्रह्माकुमारीज द्वारा मनाए जा रहे प्लेटीनम जुबली महोत्सव एक ईश्वर, एक विश्व परिवार की श्रृंखला के अंतर्गत सिरी फोर्ट आडिटोरियम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री तेजेन्द्र खन्ना ने इस सुअवसर पर कहा कि हम सभी अकेले आते हैं और अकेले जाते हैं। इस सीमित समय में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सब उस मालिक से जुड़े हैं। हमें गर्व है कि ब्रह्माकुमारी संस्था 137 देशों में प्रेम, शांति, अमन का संदेश देते हुए यही कार्य कर रही है। मेरी शुभ कामना है कि आप अपने कार्य में सफल हों और ये संसार स्वर्ग बने। ब्रह्माकुमारीज संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी ने इस शुभ अवसर पर आशीर्वचन दिए कि मानव होने का अर्थ सिर्प यह शरीर नहीं है। मैं आत्मा हूं, यह शरीर मेरा है पर हमने मेरे को मैं समझ लिया इसलिए संसार में दुःख अशांति बढ़ गई है। इसलिए हम सभी आज अगर यह निश्चय करें कि मैं कौन हूं, मेरा पिता परमात्मा है फिर हम सदा खुश और बेफिक्र रह सकते हैं। क्योंकि वो परमात्मा जो सर्वशक्तिमान है वह हमारा पिता है और उसके द्वारा हमें सर्व शक्तियां मिलेगी तो हम कभी दुःखी नहीं होंगे। यह परमात्मा का वरदान है। बच्चे खुश रहो और खुशी बांटो। यह बांटने से कम नहीं होती और ही बढ़ती है। स्वयं को आत्मा भूलने से दुःख अशांति आती है। इसलिए हमें राजयोग मेडिटेशन अवश्य सीखना चाहिए। हम खुद शांत बनकर बापू का संकल्प पूरा कर दिखाएं कि हमारा स्वर्ग आना ही है। ब्रह्माकुमारीज संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने कहा कि आज मैं अनुभव बांटना चाहती हूं। 75 साल जो हमने परमात्मा से पाया है। धीरज, शांति और प्रेम के गुणों से हमारे कर्म भी श्रेष्ठ होते हैं और संबंध भी अच्छे बन जाते हैं। उन्होंने तीन बार ओम शांति कहने के पीछे का राज बताया कि महसूस करें पहलाöमैं आत्मा शांत हूं, दूसरा मेरा पिता शांति का सागर है और तीसरा हमारा घर जहां से हम आत्माएं आई हैं शांति का घर है, अब वापस घर जाना है। यूरोप से पधारीं वरिष्ठ राजयोग शिक्षिक राजयोगिनी बीके जयंती ने राजयोग मेडिटेशन के द्वारा सभी को गहरी शांति एवं भक्ति का अनुभव कराया।नीदरलैंड से ब्रह्माकुमारी जैक्यूलीन बर्ग, आस्ट्रेलिया से ब्रह्माकुमारी मॉरीन चेन, यूनाइटेड किंगडम से ब्रह्माकुमार एंथनी फिलिप्स तथा अफ्रीका महाद्वीप से ब्रह्माकुमार मॉरकस ने अपने जीवन में भटकने से लेकर ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़ने एवं उससे प्राप्तियों के अनुभव बांटते हुए कहा कि अब हमारा कर्तव्य है कि जो हमने प्राप्त किया वह स्वयं की और परमात्मा की पहचान सबको दें तथा आपस में मिलकर रहें। कार्यक्रम में रशिया प्रसिद्ध गायक अलबर्ट द्वारा आई लव माई इंडिया गीत गाकर सभी के दिलों में देश प्रेम की भावना उत्पन्न कर दी एवं जापान, अफ्रीका, रशिया एवं चीन के भाई-बहनों ने एक ईश्वर, एक विश्व परिवार विषय के अनुरूप रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment