Saturday 29 October 2011

हरिद्वार। गीता के प्रकाण्ड विद्वान म०म० स्वामी अडगडानन्द जी महाराज ने ब्रह्माकुमारीज के शिव परमात्म अनुभूति मेले के अवलोकन के उपरान्त यहां माउंट आबू से पधारी ब्र०कु० शारदा, दिल्ली से ब्र०कु० आशा, राजयोगी ब्र०कु० बृजमोहन की उपस्थिती में जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह मेला समाज को नई दिशा देगा, उन्होनें गीता को सत्य व आदि शास्त्र बताया जिससे ही अर्जुन का मोह से उत्पन्न अज्ञान नष्ट हुआ था। शिव परमात्मा की शरण ही सत्य है उन्होंने रहस्यों उद्घाटन किया कि विश्व में १४५०० के करीब गीताएं है जिनमें भगवान के प्रथम व्यक्ति के रूप में महावाक्य हैं। सभी का शरीर देवताओं सहित नश्वर हैं जिसे आत्मा पुराने को छोड नया धारण करती रहती हैं। स्वामी जी ने आगे कहा कि अविनाशी आत्मा में ही संस्कार होते हैं जिनमें उतार चढाव आते रहते हैं। जो पुरूष कर्मेन्द्रीजीत बनते हैं उनकी आत्मा उनका मित्र तथा न जीतने वालों की आत्मा उनका शत्रु कहलाती है। उन्होनें काम क्रोध को ज्ञान का वैरी बताते कहा कि आत्म पथ से विचलित होना ही हिंसा है। महात्मा स्थिति का नाम है, चमडी का नहीं। ब्रह्माकुमारीज के कार्य व समाज परिवर्तन में उनकी भूमिका की प्रशंसा करते उन्होनें आशा व्यक्त की कि यह अपने कर्तव्य में सफलता व वृद्धि को पाती रहेंगी।दिल्ली के प्योरिटी पत्रिका के संपादक व राजनैतिक प्रभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्र०कु० बृजमोहन आनंद व प्रशासिनक प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा ब्र०कु० आशा बहन से आध्यात्मिक विषयों पर गूढ विचार विर्मश में जाने माने महायोगी पायलट बाबा ने कहा कि आत्मा में अच्छे व बुरे संस्कारों का खजाना होता हैं किंतु आत्मा का महत्व शरीर के साथ ही है। आत्मा का स्वभाव बदलता है जब कि प्रकृति में कम बदलाव आता है। रोब, दुःख, अशांति के वातावरण को बदलकर समरसता में लाने की जरूरत हैं जिसके लिए ब्रह्माकुमारीज संस्था अहम् रोल अदा कर रही है क्योकि इसकी पहुंच संयुक्त राष्ट्र संघ में भी सकि्रय है। अहिंसा के बारे में उन्होने कहा कि मानव जाति के अस्तित्व के लिए यह आवश्यक ह इसी से संघर्ष समाप्त व करूणा जागृत होती है। इसीलिए सभी गुरूओं व महात्माओं ने भी अहिंसा को महत्व दिया है। उन्होनं साधु संतों में भी यश, प्रशांसा व धन सम्पति के प्रति बढते रूझान पर खेद व्यक्त किया। ब्र०कु० बृजमोहन भाई ने ब्रह्माकुमारीज का पक्ष स्पष्ट करते कहा कि वह अहिंसा, दया, व आत्मिक स्नेह को महत्व देती हैं तथा काम, क्रोध की हिंसा का भी खंडन करती है।अखिल भारतीय साधु समाज के महामंत्री स्वामी देवानन्द जी महाराज ने अहिंसा, सत्यता, प्रेम के संबंध में कहा कि यह मानवता को बचाने के लिए आवश्यक तत्व हैं। उन्होनें गृहस्थी लोग द्वारा पाप कर्म के फल से बचने के लिए आत्मा को निर्लेप मानने से असहमती प्रकट की तथा सत्य घटना का विवरण देते पुर्नजन्म की बात को स्वीकार किया। ब्रह्माकुमारीज संस्थान द्वारा किये जा रहे कार्यों को उन्होने उच्च कोटि का बताया तथा कहा कि जो कार्य साधु समाज को करना चाहिए वह आप कर रहे हैं हम नही कर पा रहे हैं।


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