संवाद सूत्र, किशनपुर(सुपौल): फूल स्वयं के सुगंध का दूसरों को महसूस कराता, रोशनी अपने आपको जला कर दूसरों के लिए प्रकाश कराती। वैसे ही स्वयं को उत्थान करने वाला फूलों की तरह दुनिया को सुगंधित कराता है। राजयोग स्वयं और दूसरों को प्रबंधन करने की अनोखी विधि है। उक्त बातें प्रखंड के अंदौली गांव स्थित ब्रह्मकुमारी सेवा केंद्र में एक दिवसीय सत्संग के दौरान प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंटआबू राजस्थान से पधारे हुए राजयोगी भगवान भाई ने कही। उन्होंने कहा कि जीवन में सत्संग का महत्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। कहा कि परमात्मा के स्मरण से,चितन से, गुणगान से ही दुखों से छुटकारा मिलता है। शिव परमात्मा का सदा सर्व के कल्याणकारी, हितकारी और परोपकारी है। परमात्मा दुखहर्ता और सुखकर्ता है। मनुष्य अपने ही कर्मों के अनुसार दुख और सुख प्राप्त करता है। जैसा कर्म हम करते हैं वैसा ही उसका फल पाते हैं। सत्संग के माध्यम से कर्म श्रेष्ठ करने का मार्गदर्शन मिलता है। जिसे हम कर्मों को महान बना कर जीवन को सुखमय,आनंदमय बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपसी सौहार्द सहानुभूति एवं सछ्वावना को समाजिक पारिवारिक झगड़ों को समाप्त करने के लिए आपसी आत्मिक संबंध के नाते की आवश्यकता है। परमात्मा के सत्य परिचय के बिना आत्म स्वरूप में टिकना संभव नहीं है। परमात्मा का परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि परमपिता परमात्मा निराकार ज्योति बिदु सर्व आत्माओं के परमपिता हैं। परमात्मा परमधाम निवासी है। हम सभी के परमपिता एक हैं। हम आत्माओं का आपस में भाई-भाई का रिश्ता है। स्थानीय ब्रम्हाकुमारी राजयोग सेवा केंद्र की रीना बहन ने कहा कि अशांति दुख हुआ, तनाव से मुक्ति का एकमात्र सहारा परमपिता परमात्मा शिव हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा के शरण में जाने से ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, विकार पर जीत प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। मनुष्य के अंदर के मनोविकार ही पतन की जड़ है। आत्मज्ञान और परमात्मा ज्ञान द्वारा विकार जीत बन पाएंगे। सत्संग को सफल बनाने में बीके आनंदी, शंभू, अजय, विजेंद्र, सुरेंद्र, शत्रुघ्न सहित ग्रामीणों का सहयोग रहा।