Saturday 27 May 2017

जगाधरी (हरियाणा) – में सनातन धर्म सीनियर सेकण्डरी स्कूल में नैतिक शिक्षा

जगाधरी  (हरियाणा) में सनातन धर्म सीनियर सेकण्डरी स्कूल  में नैतिक शिक्षा चरित्र निर्माण  पर कार्यक्रम
आयोजक स्थानीय सेवाकेंद्र जगाधरी  (हरियाणा)
मुख्य वक्ता ---बी के भगवान् भाई माउंट आबू
विषय नैतिक शिक्षा चरित्र निर्माण 
सहायक प्रिंसिपल श्रीमती संध्या गर्ग
श्रीमति---जगधिश्री गुप्ता सीनियर शिक्षिका   
बी के उषा  बहन असंध हरियाणा  सेंटर प्रभारी
बी के सुषमा जगाधरी हरियाणा
बी के तेजस असंध हरियाणा
इस अवसर पर बी के भगवान् भाई ने कहा कि पढाई  में आपकी चाहे कितनी भी दिलचस्पी हो या पढने का जूनून हो परन्तु परीक्षा के वक्त अधिकांश छात्र तनाव (Stress) की स्थिति में आ ही जाते है. परीक्षा का थोड़ा बहुत तनाव तो Student को पढने के लिए प्रेरित करता है लेकिन इस तनाव की अधिकता आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है. उन्होंने कहा कि कई छात्र एग्जाम के समय अपने पढाई के टाइम को बहुत बढ़ा देते है और कुछ अच्छे बच्चे और अधिक नंबर लाने के चक्कर में दिन भर किताबो से चिपके रहते है. ऐसी स्थिति का परिणाम यह होता है की Student परीक्षा के दौरान तो Stress में रहता ही है, साथ ही वह Result आने तक भी चिंता में डूबा रहता है. किसी Student के लिए यह सब ठीक नहीं है. परीक्षा से होने वाले तनाव के कारण भय व डर की स्थिति उत्पन्न होती है जिसे एग्जाम फोबिया (Exam Phobia) कहा जाता है. ऐसी Situation में स्टूडेंट को कड़ी व पूरी मेहनत करने के बावजूद भी अनुकूल परिणाम नहीं मिल पाता और वह छात्र अगर high marks लाने वाला होता है तो उसके marks बहुत ही कम आते है. जो उसके Future को अन्धकार में ले जा सकता है. इसलिए आपके लिए यह जरुरी है की इस तनाव को खुद पर हावी न होने दे और इससे बचे  अभिभावकों (Perents) से बेहतर परिणाम लाने का दवाब होना भगवान् भाई ने कहा कि वर्तमान में विद्यर्थी के तनाव का एक यह भी कारण है कि  Perents का अपने बच्चे पर अधिक marks लाने का माँ बाप का दबाव डालना, जो लगभग हर स्टूडेंट के तनाव का कारण बनता है. हर माता पिता यह चाहते है की उनका बच्चा बहुत अच्छे marks लाये और उनका नाम रोशन करे. अच्छे marks से उसे अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल जायेगा या वो उसे कोई कोर्स कराये जिससे उसका भविष्य उज्ज्वल बने. इस तरह का दबाव बार बार डालने से स्टूडेंट पर बहुत ज्यादा marks लाने का बोझ पड़ जाता है. जो उसको तनाव में धकेल देता है. कई छात्र पूरे सालभर मौज मस्ती करते है और जब परीक्षा की घडी आती है उस समय बहुत परेशान हो जाते है. वे परीक्षा के दिनों से कुछ समय पूर्व पढ़ना आरम्भ करते है जिससे उनको अपनी पढाई एक चट्टान नजर आती है. पढाई करने का दबाव उनको मानसिक तौर पर बीमार बनाने लगता है.
 उन्हों ने बताया कि पूरे सालभर थोड़ा थोड़ा भी पढता है वह परिक्षा के समय चिंता से मुक्त रहता है वही उन छात्रो को इस समय बहुत कठिनाई होती है जिन्होंने पूरे साल कुछ भी पढ़ा नहीं होता. इसलिए Exam के लिए पूरी तरह Prepare न होना Students में तनाव का Reason होता है.यह दबाव हर उस छात्र को होता है जिसको अच्छे नंबर लाने होते है. आपने 3 इडियट्स का यह डायलॉग जरुर सुना होगा की खुद के Fail होने पर उतना दुःख नहीं होता है जितना दुःख अपने Best दोस्त के प्रथम आने पर होता है”. यह मानवीय प्रकृति है जो बिल्कुल सच है. अपनी Class में सबसे ज्यादा नंबर लाना या अपने शहर में सबसे ज्यदा marks लाना. मेरिट लिस्ट में खुद को शामिल करना. यह वह दबाव होता है जो स्टूडेंट खुद में लेता है.

अच्छे मार्क्स लाने का दबाव भी छात्र को तनाव में डालता है.पूरे साल आप पढाई करते है और फिर आपको अपना पूरे साल का Report Card देना होता है जो की Exam के रूप में आपके सामने आता है. जब परीक्षा पूरी हो जाती है तो आपको Free Time मिलता है.इस समय उन स्टूडेंट्स को कुछ भी Problem नहीं होती जिन्होने पूरे आत्मविश्वास और लगन से परीक्षा दी होती है लेकिन जिस छात्र ने अच्छी तरह से पढ़कर और पूरी लगन से एग्जाम नहीं दिए होते है या जिसको अच्छा रिजल्ट आने का कॉन्फिडेंस नहीं होता वे छात्र इस समय बहुत परेशान रहते है और वे Stress की चपेट में आते है.चाहे परीक्षा के तैयारी का समय हो, परीक्षा का वक्त हो या उसके बाद रिजल्ट के इन्तजार का माहौल हो. इस Stress से बचना बहुत जरुरी है. इसलिए रिलैक्स स्टडी से ही अच्छे परिणाम की उम्मीद की जा सकती है. Relaxed रहे और Relaxed Study करे.
प्रोग्राम के अंत में उप प्रिंसिपल ने भी अपना उद्भोधन दिया गया



जगाधरी (हरियाणा) – में सनातन धर्म सीनियर सेकण्डरी स्कूल में नैतिक शिक्षा

जगाधरी  (हरियाणा) में सनातन धर्म सीनियर सेकण्डरी स्कूल  में नैतिक शिक्षा चरित्र निर्माण  पर कार्यक्रम
आयोजक स्थानीय सेवाकेंद्र जगाधरी  (हरियाणा)
मुख्य वक्ता ---बी के भगवान् भाई माउंट आबू
विषय नैतिक शिक्षा चरित्र निर्माण 
सहायक प्रिंसिपल श्रीमती संध्या गर्ग
श्रीमति---जगधिश्री गुप्ता सीनियर शिक्षिका   
बी के उषा  बहन असंध हरियाणा  सेंटर प्रभारी
बी के सुषमा जगाधरी हरियाणा
बी के तेजस असंध हरियाणा
इस अवसर पर बी के भगवान् भाई ने कहा कि पढाई  में आपकी चाहे कितनी भी दिलचस्पी हो या पढने का जूनून हो परन्तु परीक्षा के वक्त अधिकांश छात्र तनाव (Stress) की स्थिति में आ ही जाते है. परीक्षा का थोड़ा बहुत तनाव तो Student को पढने के लिए प्रेरित करता है लेकिन इस तनाव की अधिकता आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है. उन्होंने कहा कि कई छात्र एग्जाम के समय अपने पढाई के टाइम को बहुत बढ़ा देते है और कुछ अच्छे बच्चे और अधिक नंबर लाने के चक्कर में दिन भर किताबो से चिपके रहते है. ऐसी स्थिति का परिणाम यह होता है की Student परीक्षा के दौरान तो Stress में रहता ही है, साथ ही वह Result आने तक भी चिंता में डूबा रहता है. किसी Student के लिए यह सब ठीक नहीं है. परीक्षा से होने वाले तनाव के कारण भय व डर की स्थिति उत्पन्न होती है जिसे एग्जाम फोबिया (Exam Phobia) कहा जाता है. ऐसी Situation में स्टूडेंट को कड़ी व पूरी मेहनत करने के बावजूद भी अनुकूल परिणाम नहीं मिल पाता और वह छात्र अगर high marks लाने वाला होता है तो उसके marks बहुत ही कम आते है. जो उसके Future को अन्धकार में ले जा सकता है. इसलिए आपके लिए यह जरुरी है की इस तनाव को खुद पर हावी न होने दे और इससे बचे  अभिभावकों (Perents) से बेहतर परिणाम लाने का दवाब होना भगवान् भाई ने कहा कि वर्तमान में विद्यर्थी के तनाव का एक यह भी कारण है कि  Perents का अपने बच्चे पर अधिक marks लाने का माँ बाप का दबाव डालना, जो लगभग हर स्टूडेंट के तनाव का कारण बनता है. हर माता पिता यह चाहते है की उनका बच्चा बहुत अच्छे marks लाये और उनका नाम रोशन करे. अच्छे marks से उसे अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल जायेगा या वो उसे कोई कोर्स कराये जिससे उसका भविष्य उज्ज्वल बने. इस तरह का दबाव बार बार डालने से स्टूडेंट पर बहुत ज्यादा marks लाने का बोझ पड़ जाता है. जो उसको तनाव में धकेल देता है. कई छात्र पूरे सालभर मौज मस्ती करते है और जब परीक्षा की घडी आती है उस समय बहुत परेशान हो जाते है. वे परीक्षा के दिनों से कुछ समय पूर्व पढ़ना आरम्भ करते है जिससे उनको अपनी पढाई एक चट्टान नजर आती है. पढाई करने का दबाव उनको मानसिक तौर पर बीमार बनाने लगता है.
 उन्हों ने बताया कि पूरे सालभर थोड़ा थोड़ा भी पढता है वह परिक्षा के समय चिंता से मुक्त रहता है वही उन छात्रो को इस समय बहुत कठिनाई होती है जिन्होंने पूरे साल कुछ भी पढ़ा नहीं होता. इसलिए Exam के लिए पूरी तरह Prepare न होना Students में तनाव का Reason होता है.यह दबाव हर उस छात्र को होता है जिसको अच्छे नंबर लाने होते है. आपने 3 इडियट्स का यह डायलॉग जरुर सुना होगा की खुद के Fail होने पर उतना दुःख नहीं होता है जितना दुःख अपने Best दोस्त के प्रथम आने पर होता है”. यह मानवीय प्रकृति है जो बिल्कुल सच है. अपनी Class में सबसे ज्यादा नंबर लाना या अपने शहर में सबसे ज्यदा marks लाना. मेरिट लिस्ट में खुद को शामिल करना. यह वह दबाव होता है जो स्टूडेंट खुद में लेता है.

अच्छे मार्क्स लाने का दबाव भी छात्र को तनाव में डालता है.पूरे साल आप पढाई करते है और फिर आपको अपना पूरे साल का Report Card देना होता है जो की Exam के रूप में आपके सामने आता है. जब परीक्षा पूरी हो जाती है तो आपको Free Time मिलता है.इस समय उन स्टूडेंट्स को कुछ भी Problem नहीं होती जिन्होने पूरे आत्मविश्वास और लगन से परीक्षा दी होती है लेकिन जिस छात्र ने अच्छी तरह से पढ़कर और पूरी लगन से एग्जाम नहीं दिए होते है या जिसको अच्छा रिजल्ट आने का कॉन्फिडेंस नहीं होता वे छात्र इस समय बहुत परेशान रहते है और वे Stress की चपेट में आते है.चाहे परीक्षा के तैयारी का समय हो, परीक्षा का वक्त हो या उसके बाद रिजल्ट के इन्तजार का माहौल हो. इस Stress से बचना बहुत जरुरी है. इसलिए रिलैक्स स्टडी से ही अच्छे परिणाम की उम्मीद की जा सकती है. Relaxed रहे और Relaxed Study करे.
प्रोग्राम के अंत में उप प्रिंसिपल ने भी अपना उद्भोधन दिया गया



जगाधरी (हरियाणा) – में सेठ जय प्रकाश पॉलिटेक्निक

जगाधरी  (हरियाणा) में सेठ जय प्रकाश पॉलिटेक्निक   में नैतिक शिक्षा का जीवन में पर कार्यक्रम
आयोजक स्थानीय सेवाकेंद्र जगाधरी  (हरियाणा)
मुख्य वक्ता ---बी के भगवान् भाई माउंट आबू
विषय नैतिक शिक्षा जीवन में महत्व  
प्रिंसिपल श्री अनिल बुधिराज 
बी के सुषमा जगाधरी हरियाणा
बी के तेजस असंध हरियाणा

इस अवसर पर बी के भगवान् भाई ने कहा कि सुखी जीवन के लिए भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी जरूरी है। भौतिकशिक्षा से हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन परिवार, समाज, कार्यस्थल में परेशानी या चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकते।उक्त उद्गार ब्रह्माकुमारी माउंट आबू के बी के भगवान् भाई ने कहा नैतिक मूल्यों का महत्व विषय पर बोलते हुए कहा उन्होंने कहा की  नैतिक मूल्यों से व्यक्तित्व में निखार, व्यवहार में सुधार आता है।नैतिक मूल्यों का ह्रास व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय समस्या का मूल कारण है। समाज सुधार के लिए नैतिक मूल्य जरूरी है।उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा की धारणा से, आंतरिक सशक्तीकरण से इच्छाओं को कम कर भौतिकवाद की आंधी से बचा जा सकता है। व्यक्ति का आचरण उसकी जुबान से ज्यादा तेज बोलता है। लोग जो कुछ आंख से देखते हैं। उसी की नकल करते हैं। जब तक हम अपने जीवन में मूल्यों और प्राथमिकता का निर्धारण नहीं करेंगे, अपने लिए आचार संहिता नहीं बनाएंगे तब तक हम चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर सकते। चरित्र उत्थान और आंतरिक शक्तियों के विकास के लिए आचार संहिता जरूरी है। उन्होंनेे अंत में नैतिक मूल्यों का स्रोत आध्यमित्कता को बताया। जब तक आध्यात्मिकता को नहीं अपनाएंगे जीवन में मूल्यों की धारणा संभव नहीं है।

Friday 26 May 2017

राजोंद (हरियाणा )—गोल्ड लाइफ हाई स्कूल

राजोंद (हरियाणा )गोल्ड लाइफ हाई स्कूल  में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर प्रोग्राम    
आयोजक स्थानीय ब्रह्माकुमारी  सेवाकेंद्र राजोंद (हरियाणा )
मुख्य वक्ता ---ब्रह्मकुमार भगवान् भाई माउंट आबू
विषय –-नैतिक शिक्षा का महत्व  
प्राचार्य –यशपाल राना
बी के प्रेरणा बहन राजयोग शिक्षिका राजोंद हरियाणा
बी के नीलम बहन  राजयोग शिक्षिका असंध  हरियाणा   
बी के मेहरचंद भाई जी वरिष्ठ राजयोगी करनाल
बी के तरशेम  भाई, बी के सुनील भाई ,बी के अनिल भाई और सभी शिक्षक स्टाफ भी उपस्थित थे


माउंट आबू से आये हुए बी के भगवान् भाई ने कहा मूल्यपरक शिक्षा के बिना शिक्षाअशिक्षा है। शिक्षा से आशय केवल डिग्री नहीं है, बल्कि ऐसा ज्ञान जो समाज के उन्नयन में दीपक की भांति कभी न बुझने वाली दिव्य ज्योति हो। देश और समाज में शिक्षित व्यक्ति की कद्र उसी सनातन परंपरा के तहत आज भी भारत में होती है। ग्रामीण भारत में यह आज भी विद्यमान है।उन्होंने बताया कि  शिक्षा नीति से नैतिकता का काफी ह्यस हुआ। इसका प्रस्फुटन सभी क्षे़त्रों में विद्यमान है।
भगवान् भाई ने बताया कि कभी सत्य-राष्ट्रीयता, समर्पण, बलिदान का पर्याय माने जाने वाला शिक्षित अब धोखेबाज और स्वार्थी के रूप में जाना जाता है। कारण, नैतिकता को प्राथमिक शिक्षा से ही समाप्त कर देना। गुरूकल शिक्षा व्यवस्था को जान-बूझकर हतोत्साहित किया गया।
उन्होंने कहा कि हम ऐसे ही  से भौतिक रूप में समृद्ध हो रहे हैं। यांत्रिक गति से दौड़ रहे हैं, पर क्यों, मालूम नहीं। सूचनाओं का अपार भंडार इक्टठा हो रहा है, पर विचार-गवेषणा शून्य है। कारण, नैतिकता, प्रतिबद्धता, निःस्वार्थता गौण है।
भगवान् भाई ने ‘‘सच्ची शिक्षा वह है, जिससे चरित्र का निर्माण होता है। शरीर और मन बलशाली बनते हैं, बुद्धि बढ़ती है और व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है। वे ऐसी शिक्षा देने के पक्ष में थे, जिससे उसका चरित्र बने, बुद्धि का विकास हो, मानसिक शक्ति बढ़े और वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके। उनकी नजर में शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य मनुष्य का निर्माण तथा विकास करना है। उन्होंने बताया कि  व्यक्ति के साथ ही राष्ट्र का विकास भी शिक्षा का उद्देशय होना चाहिए। वह ऐसी शिक्षा के विरोधी थे, जिसके द्वारा नौकरी प्राप्त करके अपना पेट मात्र भरा जा सके। आधुनिक शिक्षा ने मनुष्य को आत्मविश्वासी, सक्षम और निष्ठावान नहीं बनाया, इसी कारण अनेक समस्याएँ पैदा हो गईं।


राजोंद (हरियाणा )—राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय

राजोंद (हरियाणा )राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में नैतिक शिक्षा से चरित्र निर्माण विषय पर प्रोग्राम    
आयोजक स्थानीय ब्रह्माकुमारी  सेवाकेंद्र राजोंद (हरियाणा )
मुख्य वक्ता ---ब्रह्मकुमार भगवान् भाई माउंट आबू
विषय –-नैतिक शिक्षा से चरित्र निर्माण
प्राचार्य --चंद्रशेखर शर्मा  
बी के मेहरचंद भाई जी वरिष्ठ राजयोगी करनाल
बी के तरशेम  भाई, बी के सुनील भाई ,बी के अनिल भाई और सभी शिक्षक स्टाफ भी उपस्थित थे


माउंट आबू से आये हुए बी के भगवान् भाई ने कहा बच्चो  के विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी जरूरी है। हर मनुष्य को जीवन मूल्यों की रक्षा करना चाहिए। इन मूल्यों की रक्षा करने वाला अमर बन जाता है।
उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के लिए जितना जरूरी किताबी ज्ञान है, उतना ही जरूरी नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। अत: शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ाई के साथ ब'चों का मूल्यांकन, आचरण, अनुसरण, व्यावहारिक ज्ञान, लेखन एवं अन्य बातों की तरफ प्रेरणा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जो शिक्षा ब'चों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही वास्तविक शिक्षा है। अपराध मुक्त समाज की स्थापना के लिए मानवीय मूल्यों, नैतिक मूल्यों, नैतिक शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा के द्वारा वर्तमान के युवाओं को सशक्त व संस्कारित करना जरूरी है। आज का युवा कल का भावी समाज है। वर्तमान का सशक्त युवा भविष्य के समाज को सशक्त बना सकता है। वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा, इन्टरनेट व टीवी के माध्यम से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाएं तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे।
सीनियर राजयोगी बी के मेहरचंद जी ने भी अपना उद्बोधन भी दिया

अंत में मेडिटेशन भी किया