Sunday 12 October 2014

अध्यापक में सहनशीलता होना जरूरी

अध्यापक में सहनशीलता होना जरूरी\'

२० अगस्त २०१४ २३:०३:१३ bhaskar
मोगा| शुकदेवाकृष्णा कॉलेज ऑफ एजुकेशन फॉर गर्ल्स घल्लकलां में विस्तार भाषण का आयोजन किया गया। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंटआबू राजस्थान से ब्रह्म कुमार भगवान भाई मोगा से बहन संजीवनी विशेष रूप से उपस्थित हुए। कॉलेज के चेयरमैन डा. अशोक गर्ग प्राचार्य डा. सुधा शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। भगवान भाई ने आदर्श शिक्षक सकारात्मक चिंतन विषय पर विचार पेश किए। उन्होंने कहा कि एक आदर्श अध्यापक में सहनशीलता, ईमानदारी, सत्य दया जैसे गुण होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि नकारात्मक सोच से इंसान को कई तरह की बीमारियां लग जाती है इसलिए अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखना चाहिए। वहीं बहन संजीवनी ने बताया कि हमें प्रकृति से सीख लेनी चाहिए। कॉलेज चेयरमैन अशोक गर्ग, प्राचार्य सुधा शर्मा डा. केडी शर्मा ने भगवान भाई, बहन संजीवनी, डा. बलदेव नागपाल, परमिंदर शर्मा, राकेश बजाज अमन सिंगला को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर बीएड ईटीटी स्टाफ के समस्त सदस्य और विद्यार्थी उपस्थित थे।

Monday 15 September 2014

B.K. Bhagwan Kitchen Department, Shantivan, Mt. Abu (Raj.) Mobile No


राजयोगी ब्रहृाकुमार भगवानाभाई

केन्द्रीय जेल में बंदियाे को पढ़ाया तनावमुक्त होने का पाठ




      प्रजापति ब्रह्ाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माऊंट आबू से पधारे राजयोगी ब्रहृाकुमार भगवानाभाई ने देश की करीब 800 जेलो में जाने का निर्णय धारण किया है। उन्होनें बताया कि उनका मुख्य मंत्तव बुरे कार्य करने वाले लोगो को अच्छे संस्कार देना है ताकि कोई भी इंसान बुरे काम को करे ही ना। इसलिए ही वह देश की जेलो का भ्रमण कर कैदियो को अच्छी संगती अपनाने का संदेश दे रहे है। उन्होनें बताया कि वह अब फिरोजपुर की केन्द्रीय जेल में भी जाकर तनावमुक्त रहने का प्रचार करेंगे। फिरोजपुर के सेवा केन्द्र में ब्रहृकुमार भगवानभाई ने कहा कि किसी भी समस्या का कारण ढूंढने की बजाय उसका निवारण करे। समस्या का चिन्तन करने से तनाव की उत्पति होती है। जीवन की हर घटना परिस्थिति में हमारा कल्याण ही समाया है। उन्होनें कहा कि मन के विचारो का प्रभाव वातावरण, पेड़-पौधे, स्वयं दूसरो के ऊपर भी पड़ता है। अगर हमारे विचार नकरात्मक होंगे तो उसका प्रभाव भी नकरात्मक होगा। उन्होनें कहा कि हमे परमात्मका की शरण में जाने की जरूरत है। सभी बोझ भगवान को देकर हमे निश्चिंत हो जाना है। उन्होनें कहा कि परमपिता शिव है और हम सभी उनके बच्चे है। हम सभी आत्मा है। क्योंकि मरने के बाद तो शरीर पांच तत्व में मिल जाना है, जबकि आत्मा अमर रहती है। जिस तरह नए कपड़े पहनने के लिए पुराने वस्त्र उतारने पड़ते है, उसी तरह नई यौनी धारण करने के लिए पुराना शरीर छोंड़ना पड़ता है। उन्होनेंे कहा कि उनका विचार है कि सोमवार को वह फिरोजपुर की केन्द्रीय जेल में बंदियो के साथ अपने विचार सांझे करेंगे।


प्रजापति ब्रह्ाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माऊंट आबू



गोरखपुर। राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि नकारात्मक सोच अनेक समस्याओं का कारण बनती है। पस्थितियां चाहें कोई भी हों सोच सकारात्मक होनी चाहिए। इससे समस्याओं के समाधान में मदद मिलती है और निराशा का भाव व्यक्ति के मन से जाता रहता है। जिससे लक्ष्य के संधान में मनुष्य को आसानी हो जाती है। विचारों से स्मृति एवं वृत्ति का निर्माण होता है। यदि विचार सकारात्मक हों तो सकारात्मक वृत्ति पैदा होती है। सत्विक विचारों से आंतरिक शक्तियां जागृत होती हैं। वे गुरुवार को मोहद्दीपुर के ब्रह्मकुमारी शाखा पर उप्र सड़क परिवहन निगम के परिचालकों एवं चालकों के लिए आयोजित तनाव मुक्ति विषय पर बोल रहे थे। संचालन बीके शिवेसर ने किया। गोरखपुर, बस्ती, पडरौना, देवरिया, सोनौली, निचलौल डिपों के परिचालकों एवं चालकों ने भाग लिया। इस अवसर पर क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन एसके राय, सेवा प्रबंधकएम के सिंह, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक महेशचंद आदि उपस्थित रहे।