Saturday 30 November 2019

कर्मो को महान बनाकर सुखमय बन सकता है जीवन

कर्मो को महान बनाकर सुखमय बन सकता है जीवन

Publish Date:Tue, 12 Nov 2019 06:30 AM (IST)
कर्मो को महान बनाकर सुखमय बन सकता है जीवन
जिले के किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर कृषि विभाग गंभीर बना हुआ है। इसकी रोकथाम को लेकर विभाग ने एक ऐप तैयार किया है। जिस ऐप के माध्यम से खेतों की निगरानी की जाएगी त
संवाद सूत्र, किशनपुर(सुपौल): फूल स्वयं के सुगंध का दूसरों को महसूस कराता, रोशनी अपने आपको जला कर दूसरों के लिए प्रकाश कराती। वैसे ही स्वयं को उत्थान करने वाला फूलों की तरह दुनिया को सुगंधित कराता है। राजयोग स्वयं और दूसरों को प्रबंधन करने की अनोखी विधि है। उक्त बातें प्रखंड के अंदौली गांव स्थित ब्रह्मकुमारी सेवा केंद्र में एक दिवसीय सत्संग के दौरान प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंटआबू राजस्थान से पधारे हुए राजयोगी भगवान भाई ने कही। उन्होंने कहा कि जीवन में सत्संग का महत्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। कहा कि परमात्मा के स्मरण से,चितन से, गुणगान से ही दुखों से छुटकारा मिलता है। शिव परमात्मा का सदा सर्व के कल्याणकारी, हितकारी और परोपकारी है। परमात्मा दुखहर्ता और सुखकर्ता है। मनुष्य अपने ही कर्मों के अनुसार दुख और सुख प्राप्त करता है। जैसा कर्म हम करते हैं वैसा ही उसका फल पाते हैं। सत्संग के माध्यम से कर्म श्रेष्ठ करने का मार्गदर्शन मिलता है। जिसे हम कर्मों को महान बना कर जीवन को सुखमय,आनंदमय बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपसी सौहार्द सहानुभूति एवं सछ्वावना को समाजिक पारिवारिक झगड़ों को समाप्त करने के लिए आपसी आत्मिक संबंध के नाते की आवश्यकता है। परमात्मा के सत्य परिचय के बिना आत्म स्वरूप में टिकना संभव नहीं है। परमात्मा का परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि परमपिता परमात्मा निराकार ज्योति बिदु सर्व आत्माओं के परमपिता हैं। परमात्मा परमधाम निवासी है। हम सभी के परमपिता एक हैं। हम आत्माओं का आपस में भाई-भाई का रिश्ता है। स्थानीय ब्रम्हाकुमारी राजयोग सेवा केंद्र की रीना बहन ने कहा कि अशांति दुख हुआ, तनाव से मुक्ति का एकमात्र सहारा परमपिता परमात्मा शिव हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा के शरण में जाने से ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, विकार पर जीत प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। मनुष्य के अंदर के मनोविकार ही पतन की जड़ है। आत्मज्ञान और परमात्मा ज्ञान द्वारा विकार जीत बन पाएंगे। सत्संग को सफल बनाने में बीके आनंदी, शंभू, अजय, विजेंद्र, सुरेंद्र, शत्रुघ्न सहित ग्रामीणों का सहयोग रहा।

समाज को आदर्श बनाने में नैतिक आचरण पर ध्यान देने की है आवश्यकता

समाज को आदर्श बनाने में नैतिक आचरण पर ध्यान देने की है आवश्यकता

Publish Date:Sun, 10 Nov 2019 05:26 PM (IST)
समाज को आदर्श बनाने में नैतिक आचरण पर ध्यान देने की है आवश्यकता
जिले के किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर कृषि विभाग गंभीर बना हुआ है। इसकी रोकथाम को लेकर विभाग ने एक ऐप तैयार किया है। जिस ऐप के माध्यम से खेतों की निगरानी की जाएगी त
संवाद सूत्र, राघोपुर(सुपौल): इस आधुनिक दुनिया में हम अपनी जिदगी से इतनी दूर निकल आए हैं कि हम अपने मन की शांति और शक्ति को भूल गए हैं। फिर जब हमारी जड़े कमजोर होने लगती है तो हम इधर-उधर के आकर्षणों में फंसने लग जाते हैं और यहीं से हम तनाव महसूस करने लग जाते हैं। आहिस्ते-आहिस्ते ये तनाव हमारी मानसिक भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को असंतुलित कर हमें बीमार कर सकता है। उक्त बातें प्रखंड क्षेत्र के लखीचंद साहु उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं द परफेक्ट इंग्लिश एकेडमी सिमराही बाजार में अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने स्कूल के छात्र-छात्राओं को मेडिटेशन महत्व पर आयोजित कार्यक्रम पर शनिवार की शाम कही। वहीं समाज में शिक्षकों को शिल्पीकार का दर्जा दिया। कहा कि समाज को सुधारने के लिए आदर्श शिक्षकों की आवश्यकता है। अगर भावी समाज को आदर्श बनाना चाहते हों तो छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक आचरण पर भी उनके ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है। आज बिगड़ती परिस्थिति को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता है। कहा कि शिक्षक वही हैं जो अपने जीवन के धारणाओं से दूसरों को शिक्षा देते हैं। धारणाओं से विद्यार्थियों में बल भरता है, जीवन की धारणाओं से वाणी, कर्म, व्यवहार और व्यक्तित्व में निखार आती है। यदि शिक्षा के बाद भी बच्चे बिगड़ रहे हैं उसका मतलब मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। शिक्षक के अंदर जो संस्कार हैं उनका विद्यार्थी अनुकरण करते हैं। शिक्षकों को केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं, बल्कि सारे समाज को स्वस्थ मार्गदर्शन देने वाला शिक्षक बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अंदर सद्गुण होना आवश्यक है। शिक्षा में भौतिक सुधार तो है लेकिन नैतिकता का ह्रास होता जा रहा है। अपने जीवन की भावनाओं के आधार से नैतिक पाठ भी अवश्य पढ़ाएं। कहा कि शिक्षकों के हाव-भाव, उठना, बोलना, चलना, व्यवहार करना इन बातों का असर भी बच्चों के जीवन में पड़ता है। समाज को सुधारने की अहम भूमिका शिक्षकों की है। प्राचीन भारत में स्वामी विवेकानंद महात्मा गांधी जैसे महापुरुष समाज में शिक्षक के रूप में थे। फिर से हमें विद्यार्थियों को नैतिकता का पाठ पढ़ा कर उन्हें गुणवान चरित्रवान दिव्य संस्कारवान बनाने की आवश्यकता है। आदर्श शिक्षक आदर्श समाज का निर्माण कर सकता है। अध्ययन से ही अज्ञानता दूर होती है। सीखने और सिखाने की कोई उम्र नहीं होती। उन्होंने कहा कि जीवन के सद्गुणों के विकास हेतु सीखने की आदत डालें। वहीं केंद्र के प्रभारी राजयोगिनी रंजू दीदी एवं ममता दीदी ने कहा कि एक दीपक से पूरा कमरा प्रकाशमय होता है, तो क्या पूरे जिले को मूल्य निष्ट शिक्षा से प्रकाशित हम सब मिलकर नहीं कर सकते हैं। अब आवश्यकता है सेवा भाव की। उन्होंने मौजूद शिक्षक, छात्र-छात्राओं को कहा कि आचरण पर ध्यान देने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ तनाव मुक्त रहने की भी आवश्यकता है। जिसके लिए नित्य सुबह शाम मेडिटेशन का अभ्यास करें। मौके पर सुनील कुमार नायक, अरुण यादव, जयप्रकाश यादव, अजय चौधरी, शंकर सेन, दीपक गुप्ता, बैद्यनाथ प्रसाद भगत, नगीना भगत, किशोर भाई सहित शिक्षकगण एवं छात्र-छात्रा मौजूद थे।

तनाव मुक्ति के लिए सकारात्मक विचारों की है आवश्यकता

तनाव मुक्ति के लिए सकारात्मक विचारों की है आवश्यकता

Publish Date:Sun, 10 Nov 2019 06:26 AM (IST)
तनाव मुक्ति के लिए सकारात्मक विचारों की है आवश्यकता
9 नवंबर 19तनाव मुक्त के सराकार
संवाद सूत्र, राघोपुर(सुपौल): सिमराही बाजार स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी योग सेवा केंद्र में शनिवार को तनाव मुक्त सकारात्मक जीवनशैली को लेकर एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया। मौके पर संस्था के मुख्यालय माउंट आबू से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि सकारात्मक विचारों से तनाव मुक्ति संभव है। मन में चलने वाले लगातार नकारात्मक विचार वर्तमान में अनेक समस्याओं का कारण बनते हैं। मन के नकारात्मक विचारों से ही तनाव उत्पन्न होता है। तनाव से मुक्ति के लिए सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है। उन्होंने सकारात्मक विचार को तनावमुक्त की संजीवनी बूटी की संज्ञा दी। कहा कि समस्या का चितन करने से तनाव की उत्पत्ति होती है। मन के विचारों का प्रभाव, वातावरण, पेड़-पौधों तथा दूसरे व स्वयं पर पड़ता है। यदि हमारे विचार सकारात्मक हैं तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जीवन को रोगमुक्त दीर्घायु, शांत व सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए। कहा कि सकारात्मक विचार से समस्या के समाधान में बदलाव आ जाता है। एक-दूसरे के प्रति सकारात्मक विचार रखने से आपसी भाईचारा बना रहता है। तनाव के कारण आपसी मतभेद टकराव बढ़ जाते हैं। वहीं मानसिक अशांति के वश होकर मनुष्य व्यसन, नशा डिप्रेशन के वश में हो जाता है। नकारात्मक विचार के कारण ही मन में गिरना नफरत और क्रोध उत्पन्न होता है। वहीं मुख्य अतिथि प्रो. बैद्यनाथ प्रसाद भगत ने कहा कि वर्तमान परिवेश में हर एक को किसी ना किसी बात का तनाव जरूर रहता है। ब्रह्माकुमारी द्वारा बताई गई इन बातों को अमल में लाकर आप अपने जीवन को तनावमुक्त कर सकते हैं। वहीं बबीता बहन ने पाग एवं माला से माउंट आबू से पधारे भगवान भाई का स्वागत किया। तराई क्षेत्र के प्रभारी राजयोगिनी रंजू दीदी ने तनाव प्रबंधन पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। मौके पर जनचेतना समिति के अध्यक्ष मनजीत कुमार स्वर्णकार, घनश्याम प्रसाद गुप्ता, विकास आनंद, सचिन कुमार सिंह, देवी दीदी, बिरेंद्र भाई, नगीना भाई, किशोर भाई, रीना दीदी, बिना बहन, मौसम वहन, सतीश कुमार, सुरेश भाई, सानू कुमार सहित भारी संख्या में अनुयायी मौजूद थे।

Friday 8 November 2019

‘नैतिक शिक्षाबाट व्यवहारमा निखार’

‘नैतिक शिक्षाबाट व्यवहारमा निखार’

रत्ननगर । ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केन्द्र, माउण्ट आबू, राजस्थानबाट आएका राजयोगी भगवान भाइले नैतिक शिक्षाद्वारा अपराधमुक्त समाजको निर्माण गर्न सकिने बताएका छन् ।
शुक्रबार रत्ननगरमा स्काइराइडर उमाविका छात्रछात्रसँग नैतिक शिक्षाद्वारा व्यवहार र संस्कारमा निखार आउने उनले बताए । पाँच हजारभन्दा विद्यालय र आठ सयभन्दा बढी कारागारमा नैतिक शिक्षाको पाठ पढाएर आफ्नो नाम इन्डिया बुक अफ रेकर्डमा दर्ता गराएका भगवान भाइले दुव्र्यसन, सामाजिक सञ्जाल, चलचित्र र फेसनका कारण आजका युवापिंढी भड्किरहेकोले आध्यात्मिकताद्वारा नै उनीहरुले सही दिशा पाउने बताएका छन् ।
‘शिक्षाको मूल उद्देश्य नै चरित्रवान् बन्न, अन्धकारदेखि प्रकाशतर्फ जान, अमर बन्न, नराम्रा बानीहरुदेखि मुक्त हुन र असत्यबाट सत्यतर्फ जानु हो’, राजयोगी भगवान भाइले भने, ‘भावी समाजलाई अपराधमुक्त बनाउन आजका छात्रछात्रालाई संस्कारी बनाउन आवश्यक छ ।’
स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवा केन्द्रकी सञ्चालिक बीके शर्मिला बहिनीले आध्यात्मिक ज्ञान एवम् राजयोगको अभ्यास गर्न अनुरोध गरिन् ।

राजयोगबाट मनोबल बढ्छ : ब्रह्माकुमार भगवान भाइ

राजयोगबाट मनोबल बढ्छ : ब्रह्माकुमार भगवान भाइ
लहान २९ भदौ । आधुनिक जीवनशैलीले तनाव पैदा गरिरहेको छ । तनावको सीधा सम्बन्ध विरामीसंग हुन्छ । राजयोग मेडिटेशनको अभ्यासद्धारा हामीले आफ्नो मनोबललाई मजबुत गरी तनावबाट मुक्त रहन सक्दछौ । उक्त भनाई ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउण्ट आबूबाट आउनुभएका राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाइले ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय शाखामा राजयोगी साधकहरुकाबीच बताउंनुभयो ।
तनावबाट बच्नको लागि आफ्नो जीवनशैलीलाई परिवर्तन गर्न आवश्यक छ । तनावको कारण हरेक व्यक्तिको फरक फरक छ । तनावको मुख्य कारण नै मनमा आउंने नकारात्मक विचार हो । नकारात्मक विचारबाट आपसी व्यवहारमा कटुता आउंदछ घृणा, नफरत, वैर, विरोध, क्रोध आदि उत्पन्न हुन्छ । नकारात्मक विचारबाट दृष्टि वा दृष्टिकोण र व्यवहार पनि नकारात्मक बन्दछ जसबाट मनमा तनाव पैदा हुन्छ । तनावको कारण नै मानसिक र शारिरीक अनेक विरामीहरु हुने संभावना धेरै हुन्छ ।
भगवान भाइले बताउंनुभयो कि राजयोगको अभ्यासद्धारा नै मनोबललाई मजबुत गरी तनावबाट मुक्ति पाउन सकिन्छ । राजयोग नै संजिविनी बूटी हो जसको अभ्यास गर्दा आन्तरिक शक्ति जागृत हुन्छ । राजयोगको अभ्यासबाट नै अतिन्द्रिय सुख, सांसारिक वस्तु, वैभवको सुख खल्लो लाग्न थाल्दछ । यसको अभ्यासले मन भट्किन बन्द हुन्छ , मनमा स्थायी एकाग्रता आउंदछ जसबाट मनमा सकारात्मक विचार चल्न सुरु हुन्छ । राजयोगको अनुभूतिको लागि सात्विक भोजन, राम्रो संगत र सकारात्मक चिन्तन गर्न आवश्यक छ ।
ब्रह्माकुमारी शाखाकी संचालिका ब्रह्माकुमारी श्रीजना दिदीले शुभकामना दिनुभयोको थियो । राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाइ माउण्ट आबूबाट १५ दिनको लागि नेपाल आउंनुभएको छ । वहांले भारतका ५ हजार विद्यालय तथा ८ सय जेलमा यस्ता किसिमका कार्यक्रमहरु प्रस्तुत गरिसक्नुभएको छ । लहान आश्रममा जगदीश भाइले दुबोको मालाले सम्मान गर्नुको साथै ढाका टोपी लगाएर सम्मान्न गर्नु भएको विके अशोकले जानकारी दिनु भयो ।
लहान २९ भदौ । आधुनिक जीवनशैलीले तनाव पैदा गरिरहेको छ । तनावको सीधा सम्बन्ध विरामीसंग हुन्छ । राजयोग मेडिटेशनको अभ्यासद्धारा हामीले आफ्नो मनोबललाई मजबुत गरी तनावबाट मुक्त रहन सक्दछौ । उक्त भनाई ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउण्ट आबूबाट आउनुभएका राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाइले ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय शाखामा राजयोगी साधकहरुकाबीच बताउंनुभयो ।
तनावबाट बच्नको लागि आफ्नो जीवनशैलीलाई परिवर्तन गर्न आवश्यक छ । तनावको कारण हरेक व्यक्तिको फरक फरक छ । तनावको मुख्य कारण नै मनमा आउंने नकारात्मक विचार हो । नकारात्मक विचारबाट आपसी व्यवहारमा कटुता आउंदछ घृणा, नफरत, वैर, विरोध, क्रोध आदि उत्पन्न हुन्छ । नकारात्मक विचारबाट दृष्टि वा दृष्टिकोण र व्यवहार पनि नकारात्मक बन्दछ जसबाट मनमा तनाव पैदा हुन्छ । तनावको कारण नै मानसिक र शारिरीक अनेक विरामीहरु हुने संभावना धेरै हुन्छ ।
भगवान भाइले बताउंनुभयो कि राजयोगको अभ्यासद्धारा नै मनोबललाई मजबुत गरी तनावबाट मुक्ति पाउन सकिन्छ । राजयोग नै संजिविनी बूटी हो जसको अभ्यास गर्दा आन्तरिक शक्ति जागृत हुन्छ । राजयोगको अभ्यासबाट नै अतिन्द्रिय सुख, सांसारिक वस्तु, वैभवको सुख खल्लो लाग्न थाल्दछ । यसको अभ्यासले मन भट्किन बन्द हुन्छ , मनमा स्थायी एकाग्रता आउंदछ जसबाट मनमा सकारात्मक विचार चल्न सुरु हुन्छ । राजयोगको अनुभूतिको लागि सात्विक भोजन, राम्रो संगत र सकारात्मक चिन्तन गर्न आवश्यक छ ।
ब्रह्माकुमारी शाखाकी संचालिका ब्रह्माकुमारी श्रीजना दिदीले शुभकामना दिनुभयोको थियो । राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाइ माउण्ट आबूबाट १५ दिनको लागि नेपाल आउंनुभएको छ । वहांले भारतका ५ हजार विद्यालय तथा ८ सय जेलमा यस्ता किसिमका कार्यक्रमहरु प्रस्तुत गरिसक्नुभएको छ । लहान आश्रममा जगदीश भाइले दुबोको मालाले सम्मान गर्नुको साथै ढाका टोपी लगाएर सम्मान्न गर्नु भएको विके अशोकले जानकारी दिनु भयो ।

Tuesday 1 October 2019

सकारात्मक विचारों से तनाव मुक्त संभव -: भगवान भाई

सकारात्मक विचारों से तनाव मुक्त संभव -: भगवान भाई


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लखीसराय संवाददाता
लखीसराय जिले के नया बाजार स्थित प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शाखा के प्रांगण में मुरली का आयोजन किया गया।

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इस मौके पर माउंट आबू से आए हुए भगवान भाई ने प्रवचन के माध्यम से श्रद्धालुओं को बताया कि जितनी भी समस्या है उन सब का कारण है नकरात्मक सोच, नकारात्मक सोच से तनाव बढ़ता है तनावमुक्त बनने के लिए सकारात्मक विचार संजीवनी बूटी है सकारात्मक विचारों से ही तनाव मुक्त संभव है उन्होंने कहा कि 19 वी सदी तर्क की थी, बीसवीं सदी प्रगति की रही ,और 21वीं सदी तनावपूर्ण होगीl ऐसे तनावपूर्ण परिस्थितियों में तनाव से मुक्त बनने के लिए सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है उन्होंने बताया कि मन में लगातार चलने वाले नकारात्मक विचारों से मन के विचारों की स्पीड बढ़ जाती है जिससे दिमाग में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ उतरकर शरीर की अनेक बीमारियां होती है।  मन के नकारात्मक विचारों से मनोबल आत्मबल कमजोर बन जाता है उन्होंने बताया कि जहां तनाव है वहां बीमारी आने की समस्या बढ़ जाती है।  तनाव के कारण आपसी मतभेद टकराव बढ़ जाते हैं जहां तनाव है वहां मानसिक अशांति के बस होकर मनुष्य वशन, नशा, डिप्रेशन के शिकार हो जाता है उन्होंने बताया कि मन में चलने वाले नकारात्मक विचारों के कारण ही मन में घृणा , नूरत, विरोध ,आवेश और क्रोध उत्पन्न होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि राज योग के द्वारा हम अपने इंद्रियों पर संयम रख अपने मनोबल को बढ़ा सकते हैं वर्तमान की सर्व समस्याओं का मूल कारण ही इंद्रियों की चंचलता है
इस मौके पर शाखा के संचालिका बीके रीता बहन ने कहा कि वर्तमान परिवेश में तनाव मुक्ति की आवश्यकता है तनाव मुक्ति वाला ही रचनात्मक कार्य कर सकता है उसका मनोबल मजबूत होगा तो जीवन की हर कार्य में सफलता हासिल कर सकता है
इस मौके पर पवन भाई, ओमप्रकाश एंथोनी, राजीव कुमार, रवि गोस्वामी, आरती देवी, खुशबू कुमारी, हर्ष राज, सिद्धार्थ कुमार ,अकाश कुमार, गोलू कुमार, प्रीति देवी ,कंचन देवी सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे

Thursday 26 September 2019

जीवन में नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा का महत्व

जीवन में नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा का महत्व

  
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शिक्षा का मूल उद्देश्य चरित्र निर्माण करना है। समाज और देश के विकास के लिए संस्कारवान होना आवश्यक  है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए अनुशासन, सहनशीलता, समझदारी, सकारात्मक सोच, एकात्मता और आशावादी होना आवश्यक है। तनाव से अनेक बिमारियाँ होती है। अच्छा देखें, अच्छा सुनें और मृदुभाषी बनें। उक्त बातें वरिष्ठ माध्यमिक सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में ”जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व“ विषय पर ब्रह्माकुमारी के अन्र्तराष्ट्रीय मुख्यालय माउण्ट आबू, राजस्थान से ”इण्डिया बुक्स ऑफ़ रेकार्ड“ से सम्मानित राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बच्चों को नैतिक मूल्यों व श्रेष्ठ संस्कारों की ओर पे्ररित करना अत्यन्त आवश्यक है। आध्यात्मिक और नैतिक षिक्षा द्वारा युवाओं को चरित्रवान और सषक्त बनाया जा सकता है। सकारात्मक चिन्तन और श्रेष्ठ वातावरण द्वारा युवाओं के आन्तरिक शक्तियों का विकास किया जा सकता है। बचपन के संस्कार ही सदा के लिए काम आएगा। प्रधानाचार्य नीरज कुमार कौशिक ने कहा कि आज के युवा अपनी शक्ति और ऊर्जा को सद्कार्यो में लगाएँ।  समाज और देश के विकास में अमूल्य योगदान दें। सुख शांति सर्वत्र व्याप्त हो। इसके लिए सचेष्ट रहें। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व है।स्थानीय ब्रह्मकुमारी राजयोग सेवा केन्द्र की बी0 के0 जयमाला बहन ने ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विश्वविद्यालय में सिखाया जाने वाला ज्ञान के बारे में अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में एकाग्रता हेतु राजयोग मेडीटेशन भी सिखाया गया साथ ही ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने छात्र-छात्राओं को बुराईयों को त्यागने की प्रतिज्ञा भी कराई।क्षेत्रीय बालिका शिक्षा संयोजिका कीर्ति रष्मि ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर मांउट आबू से पधारे बी0 के0 संजय भाई, बी0 के0 नम्रता बहन, बी0 के0 पूजा बहन, उपप्रधानाचार्य उज्ज्वल किषोर सिन्हा सहित सभी शिक्षक उपस्थित थे।

कुसंग,नशा,सिनेमा और क्रोध से मनुष्य बनता है अपराधी बनता:भगवान भाई

कुसंग,नशा,सिनेमा और क्रोध से मनुष्य बनता है अपराधी बनता:भगवान भाई

कुसंग,नशा,सिनेमा और क्रोध से मनुष्य बनता है अपराधी बनता:भगवान भाई
जमुई: जमुई मंडल कारा में बंद कैदियों को इंसानियत का पाठ पढ़ाने राजस्थान से राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई पहुंचे।मौके पर उन्होंने कैदियों को बताया कि कोई भी व्यक्ति जन्मजात अपराधी नहीं होता जब वह इस संसार में आता है तो वह कहीं ना कहीं गलत संगत संग फंसता,अश्लील सिनेमा देखता नशा करता और क्रोध करता है तो वह अपराधी बन जाता है।मालूम हो कि वे 800 कारागृह में नैतिकता का पाठ पढ़ा कर अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराए हैं।उन्होंने बताया कि अपराध मुक्त बनने हेतु स्वयं की गलतियों को महसूस करना जरूरी है,मैं जिस रास्ते पर जा रहा हूँ यह रास्ता गलत है।स्वयं की भूल कभी भी छिप नहीं सकती, मेरे किए हुए कर्मों का फल भी मुझे ही भोगना है तो फिर गलत कर्म करें क्यों। उन्होंने बताया कि कर्मों के आधार से ही संसार चलता है, कर्मों से संबंधी मिलते कर्मों से ही शरीर भी मिलता है,वास्तव में कर्म ही मनुष्य को अच्छा व बुरा बनाता है।
कर्म ही व्यक्ति का मित्र व शत्रु है भगवान भाई ने बताया कि यह कारागृह नहीं बल्कि अपने आप को सुधार लाने हेतु सुधार गृह है इसी सुधार गृह में अपने गलतियों को महसूस कर भविष्य में ऐसी गलतियां ना हो यह प्रण लेना है। उन्होंने बताया कि हमें भगवान ने इस धरती पर क्यों भेजा था मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं मुझे क्या करना चाहिए।मानव जीवन बहुत ही अनमोल होता है उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ नहीं गंवाना है उन्होंने कहा कि 1 सेकंड का क्रोध अनेक वर्षों तक पश्चाताप कराता है।इस अवसर पर जेल के जेलर सुप्रियन टोप्पो, ने भी ब्रह्मकुमारी की सेवाओं की सराहना किया और जीवन में बुरे को त्याग कर सच्चाई सफाई जीवन में अपनाने को कहा कार्यक्रम के अंत में राजयोग मेडिटेशन भी कराया तथा सभी को साहित्य दिए इस कार्यक्रम में बेगूसराय के बी के संजय भाई बीके प्रियंका बहन बीके सीता बहन उपस्थित थे।