Monday 19 August 2019

BRAHMAKUMARIS BALAGHAT ब्रह्माकुमारीज बालाघाट तनाव मुक्त कार्यक्रम बी के भगवान भाई


































































































































भगवांन  भाई ने कहा नैतिक शिक्षा किसी भी व्यक्ति के विकास में उतना ही आवश्यक है जितना कि स्कूली शिक्षा। नैतिक शिक्षा से ही हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते है जो आगे चलकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने का आत्मविवेक व आत्मबल प्रदान करता है।उन्होंने कहा की नैतिकता के अंग हैं – सच बोलना, चोरी न करना,अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि। परन्तु आज ये शिक्षा ना तो बालक के माता-पिता, जिन्हें बालक की प्रथम पाठशाला कहा जाता है, ना ही विद्यालय दे पा रहा है। नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता का बोल-बाला है। आज का छात्र कहाँ जानता है, बड़ों का आदर-सत्कार, छोटों से शिष्ठता-प्यार, स्त्री जाति की सुरक्षा-सम्मान सत्कार। रही-सही कसर पूरी कर देता है
भगवान भाई ने कहा की नैतिक शिक्षा ही मानव को ‘मानव’ बनाती है क्योंकि नैतिक गुणों के बल पर ही मनुष्य वंदनीय बनता है। सारी दुनिया में नैतिकता अर्थात सच्चरित्रता के बल पर ही धन-दौलत, सुख और वैभव की नींव खड़ी है। 
भगवान् भाई ने कहा कि मन में चलने वाले लगातार नकारात्मक विचार वर्तमान में अनेक समस्याओं का कारण बनते है। मन के नकारात्मक विचारों से ही तनाव उत्पन्न होता है। तनाव से मुक्ति के लिए सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक रहने से हर समस्या का समाधान निकलता है। बुराई में भी अच्छाई देखने का प्रयास करने से मन पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मन में चलने वाले विचारों से ही स्मृति, वृत्ति, भावना, दृष्टिकोण और व्यवहार बनता है। अगर मन के विचार नकारात्मक होंगे तो स्मृति, दृष्टि, वृत्ति, भावना, व्यवहार भी नकारात्मक बनता है। ऐसा होने से मन में तनाव पैदा होता है। मन के विचार ही वास्तव में बीज है। भगवान भाई ने सकारात्मक विचारों को तनाव मुक्ति की संजीवनी बूटी बताया। उन्होंने बताया कि स्वयं की रक्षा करने वाला ही देश की रक्षा कर सकता है। 
जी ने कहा कि सकारात्मक विचारों का स्त्रोत आध्यात्मिकता है। उन्होंने बताया वर्तमान समय स्वयं को सकारात्मक बनाने की आवश्यकता है। सकारात्मक सोचने वाला हर परिस्थिति को स्वीकार कर विजयी बन सकता है। उन्होंने कहा राजयोग के नित्य अभ्यास से ही हमारा मनोबल और आत्मबल बढ़ता है। 

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