Thursday 10 October 2013

कारागृह परिवर्तन की तपोस्थली है
















भास्कर न्यूज. गुडग़ांव
भोंडसी जेल में बंद कैदियों को मुख्य धारा से जोडऩे और उन्हें भविष्य में बुराइयों से दूर रखने के उद्देश्य से शनिवार देर शाम को संस्कार परिवर्तन और कर्मों की गति पर संगोष्ठी रखी गई। संगोष्ठी में राजस्थान के माउंट आबू स्थित प्रजापिता ब्रह्मïकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय के राजयोगी ब्रह्मïकुमार भगवान भाई आए थे। उन्होंने मेडिटेशन का अभ्यास भी कैदियों को कराया।
भगवान भाई ने कहा कि कैदियों के लिए कारागृह परिवर्तन की तपोस्थली है। इसमें एकांत में बैठकर खुद को टटोला जा सकता है कि संसार में क्यों आया और उसके जीवन का उद्देश्य क्या है। ऐसा चिंतन कर अपने व्यवहार और संस्कारों में परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने कहा, कर्मों के आधार पर ही संसार चलता है। ये कर्म ही होते हैं जिससे मनुष्य महान और कंगाल बनता है। भगवान भाई ने कहा कर्म ही मनुष्य को नाल्या डाकू से वाल्मिकी जैसा महान बनाते हैं। उन्होंने उपस्थित कैदियों से कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल है, उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। उन्होंने बताया कि वास्तव में मनुष्य जन्म से अपराधी नहीं होता, लेकिन व्यसन, गलत संग, लोभ, लालच, काम, क्र ोध आदि बुराइयों के कारण वह अपराधी बन जाता है। गलत कर्म ही मनुष्य को दुष्प्रवृत्ति वाला बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि बदला लेने से समस्याएं बढ़ जाती हैं। बदला लेने के बजाए स्वयं को बदलो। बदला लेना भविष्य के लिए दुखदायी कांटे बोना होता है। इस मौके पर बीके सुरेन्द्र शर्मा ने कहा कि आध्यात्मिकता से आपसी भाईचारा बढ़ता है और नैतिकता आती है। इससे हम अपराध मुक्त बन सकते हैं। जिला जेल उप-अधीक्षक रमेश कुमार, बीके विक्रम, बीके संजय और एडवोकेट राजऋषि ने भी कैदियों को अपना भविष्य सुधारने के लिए प्रेरित किया।

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