Thursday 10 October 2013

शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ब"ाों को चरित्रवान बनाना : भगवान भाई















शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ब"ाों को चरित्रवान बनाना : भगवान भाई

Matrix News | Sep 21, 2013, 04:16AM IST
 
शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ब
 
कोरबा-!-शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ब\'चों को चरित्रवान बनाना होता है। एक शिक्षक अपने शिष्यों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और उसके अवगुणों को गुणों में बदल देता है। शिक्षक एक शिल्पकार की तरह होता है, जिस प्रकार एक शिल्पकार मूर्ति को आकार प्रदान करता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षक विद्यार्थी के जीवन को सही दिशा देने का प्रयास करता है। चरित्र निर्माण में एक शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह विचार प्रजापित ब्रम्हाकुमार विश्वविद्यालय माउंट आबू के भगवान भाई ने शिक्षक की भूमिका पर डीडीएम पब्लिक स्कूल में शुक्रवार को आयोजित सेमीनार में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि यदि एक शिक्षक अनुशासनप्रिय है तभी वह अपने छात्रों को अनुशासनप्रिय बना सकता है। अगर शिक्षक सहनशील है तभी वह विद्यार्थी को सहनशीलता का पाठ पढ़ा सकता है। किसी व्यक्ति का बाहरी व्यक्तित्व यदि बहुत अ\'छा न हो तब भी कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन उसका भीतरी व्यक्तित्व सुदृढ होना चाहिए। जैसा कि कहा जाता है कि अगर व्यक्ति के पास से धन गया तो उसका कुछ नहीं गया, लेकिन यदि उसका चरित्र गया तो सबकुछ चला गया। पर आज के समय में चरित्र बल कमजोर पड़ता जा रहा है। धन की लालसा में लोग चरित्र निर्माण पर ध्यान नहीं दे रहे हंै। इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए एक शिक्षक का जागरूक होना बहुत आवश्यक है। आज के समय में जो बीमारियां हो रही है उसका बहुत बड़ा कारण मन में घुला हुआ विष है। नैतिक शिक्षा इक्कीसवी सदी में हमारी मूलभूत आवश्यकता बन गई है। नैतिक शिक्षा शिक्षा का आधार होती है। आज के समय में नैतिक शिक्षा का मूल्य कम होता जा रहा है। ब\'चे बाहरी आडंबर के पीछे भाग रहे है। ब\'चे आने वाले समाज का दर्पण होते हैं, यदि वह ही इन मूल्यों से अछूते रहे तो समाज की रीढ़ ही कमजोर हो जाएगी। ब\'चे की नैतिक शिक्षा का प्रारंभ उसके घर से होता है जो उसे अपनी मां से प्राप्त होता है। बीके किशन भाई व बीके शशि दीदी ने शिक्षकों को संबोधित किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती
वीबी सिंह ने किया।

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