Sunday 5 June 2016

ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है

















​ गंगटोक सिक्किम के के स्कूल में नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाया 
आयोजक ---स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र गंगटोक सिक्किम 
मुख्य वक्ता --ब्रह्माकुमार भगवान् भाई माउंट आबू 
विषय ---नैतिक मूल्यों का जीवन में महत्व 
प्रिंसिपल ---श्रीमती कल्याणी गुरुङ 
बी के सोनम बहन सिक्किम ब्रह्माकुमारी सेंटर प्रभारी 
बी के डिकी बहन राजयोग शिक्षिका गगतोक सिक्किम 
बी के हेमलाल भाई ,बी  के संजय भाई उपस्थित थे 
गुणगान " देश की संपत्ति
भगवान भाई ने कहा कि आज के " कल का भावी समाज हैं। अगर कल के भावी समाज को इन्हीं "ाों को नैतिकसद्गुणों की शिक्षा की आधार से चरित्रवान बनाए। तब समाज बेहतर बन सकता है। गुणवान  चरित्रवान " देशकी "ाी सम्पत्ति हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे गुणवान और चरित्रवान " देश और समाज के लिए कुछ रचनात्मककार्य कर सकते हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन संस्कृति आध्यात्मिकता की रहीजिस कारण प्राचीन मानव भी वंदनीय और पूजनीय रहा। उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्षा से ही मानव के व्यवहार मेंनिखार लाता है।
सिनेमा  इंटरनेट ने भटकाया
ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंगसिनेमाव्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है।आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमाइन्टरनेट  टीवीके माध्यम से युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी कोबचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाएतब उनकी शक्ति सहीउपयोग में ला सकेंगे। वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य कीसंस्कृति के कारण भारत की पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए नैतिक मूल्यमानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिएसभी को सामूहिक रूप में प्रयास करने चाहिए। सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मकचिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होताहै। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश्य बताते हुए कहा कि चरित्रवानगुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंनेआध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांतिएकाग्रताईमानदारीधैर्यतासहनशीलता आदि सद्गुणमानव जाती का श्रृंगार है।

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