Sunday 1 January 2012

कलियुग अभी बच्चा नहीं है बल्कि बुढ़ा हो गया है इसका विनाश निकट है और शीघ्र ही सतयुग आने वाला है I कलियुग अभी बच्चा नहीं है बल्कि बुढ़ा हो गया है इसका विनाश निकट है और शीघ्र ही सतयुग आने वाला है I आज बहुत से लोग कहते है , " कलियुग अभी बच्चा है अभी तो इसके लाखो वर्ष और रहते है शस्त्रों के अनुसार अभी तो सृष्टि के महाविनाश में बहुत काल रहता है I " परन्तु अब परमपिता परमात्मा कहते है की अब तो कलियुग बुढ़ा हो चूका है I अब तो सृष्टि के महाविनाश की घडी निकट आ पहुंची है I अब सभी देख भी रहे है की यह मनुष्य सृष्टि काम, क्रोध,लोभ,मोह तथा अहंकार की चिता पर जल रही है I सृष्टि के महाविनाश के लिए एटम बम, हाइड्रोजन बम तथा मुसल भी बन चुके है I अत: अब भी यदि कोई कहता है कि महाविनाश दूर है, तो वह घोर अज्ञान में है और कुम्भकर्णी निंद्रा में सोया हुआ है, वह अपना अकल्याण कर रहा है I अब जबकि परमपिता परमात्मा शिव अवतरित होकर ज्ञान अमृत पिला रहे है, तो वे लोग उनसे वंचित है I आज तो वैज्ञानिक एवं विद्याओं के विशेषज्ञ भी कहते है कि जनसँख्या जिस तीव्र गति से बढ रही है, अन्न की उपज इस अनुपात से नहीं बढ रही है I इसलिए वे अत्यंत भयंकर अकाल के परिणामस्वरूप महाविनाश कि घोषणा करते है I पुनश्च, वातावरण प्रदुषण तथा पेट्रोल, कोयला इत्यादि शक्ति स्त्रोतों के कुछ वर्षो में ख़त्म हो जाने कि घोषणा भी वैज्ञानिक कर रहे है I अन्य लोग पृथ्वी के ठन्डे होते जाने होने के कारण हिम-पात कि बात बता रहे है I आज केवल रूस और अमेरिका के पास ही लाखो तन बमों जितने आणविक शस्त्र है I इसके अतिरिक्त, आज का जीवन ऐसा विकारी एवं तनावपूर्ण हो गया है कि अभी करोडो वर्ष तक कलियुग को मन्ना तो इन सभी बातो की ओर आंखे मूंदना ही है परन्तु सभी को याद रहे कि परमात्मा अधर्म के महाविनाश से ही देवी धर्म की पुन: सथापना भी कराते है I अत: सभी को मालूम होना चाहिए कि अब परमप्रिय परमपिता परमात्मा शिव सतयुगी पावन एवं देवी सृष्टि कि पुन: स्थापना करा रहे है I वे मनुष्य को देवता अथवा पतितो को पावन बना रहे है I अत: अब उन द्वारा सहज राजयोग तथा ज्ञान- यह अनमोल विद्या सीखकर जीवन को पावन, सतोप्रधन देवी, तथा आन्नदमय बनाने का सर्वोत्तम पुरुषार्थ करना चाहिए जो लोग यह समझ बैठे है कि अभी तो कलियुग में लाखो वर्ष शेष है, वे अपने ही सौभाग्य को लौटा रहे है! अब कलियुगी सृष्टि अंतिम श्वास ले रही है, यह मृत्यु-शैया पर है यह काम, क्रोध लोभ, मोह और अहंकार रोगों द्वारा पीड़ित है I अत: इस सृष्टि की आयु अरबो वर्ष मानना भूल है I और कलियुग को अब बच्चा मानकर अज्ञान-निंद्रा में सोने वाले लीग "कुम्भकरण" है I जो मनुष्य इस ईश्वरीय सन्देश को एक कण से सुनकर दुसरे कण से निकल देते है उन्ही के कान ऐसे कुम्भ के समान है, क्योंकि कुम्भ बुद्धि-हीन होता है कलियुग अभी बच्चा नहीं है बल्कि बुढ़ा हो गया है इसका विनाश निकट है और शीघ्र ही सतयुग आने वाला है I कलियुग अभी बच्चा नहीं है बल्कि बुढ़ा हो गया है इसका विनाश निकट है और शीघ्र ही सतयुग आने वाला है I आज बहुत से लोग कहते है , " कलियुग अभी बच्चा है अभी तो इसके लाखो वर्ष और रहते है शस्त्रों के अनुसार अभी तो सृष्टि के महाविनाश में बहुत काल रहता है I " परन्तु अब परमपिता परमात्मा कहते है की अब तो कलियुग बुढ़ा हो चूका है I अब तो सृष्टि के महाविनाश की घडी निकट आ पहुंची है I अब सभी देख भी रहे है की यह मनुष्य सृष्टि काम, क्रोध,लोभ,मोह तथा अहंकार की चिता पर जल रही है I सृष्टि के महाविनाश के लिए एटम बम, हाइड्रोजन बम तथा मुसल भी बन चुके है I अत: अब भी यदि कोई कहता है कि महाविनाश दूर है, तो वह घोर अज्ञान में है और कुम्भकर्णी निंद्रा में सोया हुआ है, वह अपना अकल्याण कर रहा है I अब जबकि परमपिता परमात्मा शिव अवतरित होकर ज्ञान अमृत पिला रहे है, तो वे लोग उनसे वंचित है I आज तो वैज्ञानिक एवं विद्याओं के विशेषज्ञ भी कहते है कि जनसँख्या जिस तीव्र गति से बढ रही है, अन्न की उपज इस अनुपात से नहीं बढ रही है I इसलिए वे अत्यंत भयंकर अकाल के परिणामस्वरूप महाविनाश कि घोषणा करते है I पुनश्च, वातावरण प्रदुषण तथा पेट्रोल, कोयला इत्यादि शक्ति स्त्रोतों के कुछ वर्षो में ख़त्म हो जाने कि घोषणा भी वैज्ञानिक कर रहे है I अन्य लोग पृथ्वी के ठन्डे होते जाने होने के कारण हिम-पात कि बात बता रहे है I आज केवल रूस और अमेरिका के पास ही लाखो तन बमों जितने आणविक शस्त्र है I इसके अतिरिक्त, आज का जीवन ऐसा विकारी एवं तनावपूर्ण हो गया है कि अभी करोडो वर्ष तक कलियुग को मन्ना तो इन सभी बातो की ओर आंखे मूंदना ही है परन्तु सभी को याद रहे कि परमात्मा अधर्म के महाविनाश से ही देवी धर्म की पुन: सथापना भी कराते है I अत: सभी को मालूम होना चाहिए कि अब परमप्रिय परमपिता परमात्मा शिव सतयुगी पावन एवं देवी सृष्टि कि पुन: स्थापना करा रहे है I वे मनुष्य को देवता अथवा पतितो को पावन बना रहे है I अत: अब उन द्वारा सहज राजयोग तथा ज्ञान- यह अनमोल विद्या सीखकर जीवन को पावन, सतोप्रधन देवी, तथा आन्नदमय बनाने का सर्वोत्तम पुरुषार्थ करना चाहिए जो लोग यह समझ बैठे है कि अभी तो कलियुग में लाखो वर्ष शेष है, वे अपने ही सौभाग्य को लौटा रहे है! अब कलियुगी सृष्टि अंतिम श्वास ले रही है, यह मृत्यु-शैया पर है यह काम, क्रोध लोभ, मोह और अहंकार रोगों द्वारा पीड़ित है I अत: इस सृष्टि की आयु अरबो वर्ष मानना भूल है I और कलियुग को अब बच्चा मानकर अज्ञान-निंद्रा में सोने वाले लीग "कुम्भकरण" है I जो मनुष्य इस ईश्वरीय सन्देश को एक कण से सुनकर दुसरे कण से निकल देते है उन्ही के कान ऐसे कुम्भ के समान है, क्योंकि कुम्भ बुद्धि-हीन होता है Posted by ब्रह्मकुमार भगवान भाई Brahma kumaris at 22:39 0 comments Email ThisBlogThis!Share to TwitterShare to Facebook Labels: .सांगली KARGNI ATPADI SANGLI TALEWADI BRAHMAKUMARI SHANTIVAN ब्रह्माकुमारी आटपाडी तळेवाडी, nimach Friday, 30 December 2011 नकारात्मक सोच ही टेंशन की मूल जड़- भगवान भाई सिटी रिपोर्टर त्न नीमच सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक रूप से सदैव स्वस्थ रहता है। नकारात्मक सोच ही टेंशन की मूल जड़ है जिससे अनेक प्रकार के मानसिक व शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं। इसलिए मनुष्य को जीवन में नकारात्मक भावों से हमेशा दुर रहना चाहिए। यह बात ब्रह्मकुमार भगवानभाई ने बुधवार को ज्ञान मार्ग स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान के सद्भावना सभागार में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग में कही। उन्होंने उपस्थितजन को न्यूटन के गति नियमों के बारे में भी समझाया। उन्होंने कहा हमारी स्मृति और वृत्ति ही जीवन में सुख-दु:ख का आधार है। हमें सदैव सत्संग व आध्यात्मिक वातावरण का चुनाव करना चाहिए। इससे जीवन में हमेशा खुशी मिलती है। कार्यक्रम के दौरान राजयोगिनी पुष्पा बहन ने सभी शिविरार्थियों को तिलक व प्रसाद प्रदान किया। उन्होंने बताया भगवान भाई ने 800 से अधिक जेलों में कार्यक्रम प्रस्तुत कर हजारों अपराधियों का जीवन सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। सभागार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

कलियुग अभी बच्चा नहीं है बल्कि बुढ़ा हो गया है इसका विनाश निकट है और शीघ्र ही सतयुग आने वाला है I कलियुग अभी बच्चा नहीं है बल्कि बुढ़ा हो गया है इसका विनाश निकट है और शीघ्र ही सतयुग आने वाला है I आज बहुत से लोग कहते है , " कलियुग अभी बच्चा है अभी तो इसके लाखो वर्ष और रहते है शस्त्रों के अनुसार अभी तो सृष्टि के महाविनाश में बहुत काल रहता है I " परन्तु अब परमपिता परमात्मा कहते है की अब तो कलियुग बुढ़ा हो चूका है I अब तो सृष्टि के महाविनाश की घडी निकट आ पहुंची है I अब सभी देख भी रहे है की यह मनुष्य सृष्टि काम, क्रोध,लोभ,मोह तथा अहंकार की चिता पर जल रही है I सृष्टि के महाविनाश के लिए एटम बम, हाइड्रोजन बम तथा मुसल भी बन चुके है I अत: अब भी यदि कोई कहता है कि महाविनाश दूर है, तो वह घोर अज्ञान में है और कुम्भकर्णी निंद्रा में सोया हुआ है, वह अपना अकल्याण कर रहा है I अब जबकि परमपिता परमात्मा शिव अवतरित होकर ज्ञान अमृत पिला रहे है, तो वे लोग उनसे वंचित है I आज तो वैज्ञानिक एवं विद्याओं के विशेषज्ञ भी कहते है कि जनसँख्या जिस तीव्र गति से बढ रही है, अन्न की उपज इस अनुपात से नहीं बढ रही है I इसलिए वे अत्यंत भयंकर अकाल के परिणामस्वरूप महाविनाश कि घोषणा करते है I पुनश्च, वातावरण प्रदुषण तथा पेट्रोल, कोयला इत्यादि शक्ति स्त्रोतों के कुछ वर्षो में ख़त्म हो जाने कि घोषणा भी वैज्ञानिक कर रहे है I अन्य लोग पृथ्वी के ठन्डे होते जाने होने के कारण हिम-पात कि बात बता रहे है I आज केवल रूस और अमेरिका के पास ही लाखो तन बमों जितने आणविक शस्त्र है I इसके अतिरिक्त, आज का जीवन ऐसा विकारी एवं तनावपूर्ण हो गया है कि अभी करोडो वर्ष तक कलियुग को मन्ना तो इन सभी बातो की ओर आंखे मूंदना ही है परन्तु सभी को याद रहे कि परमात्मा अधर्म के महाविनाश से ही देवी धर्म की पुन: सथापना भी कराते है I अत: सभी को मालूम होना चाहिए कि अब परमप्रिय परमपिता परमात्मा शिव सतयुगी पावन एवं देवी सृष्टि कि पुन: स्थापना करा रहे है I वे मनुष्य को देवता अथवा पतितो को पावन बना रहे है I अत: अब उन द्वारा सहज राजयोग तथा ज्ञान- यह अनमोल विद्या सीखकर जीवन को पावन, सतोप्रधन देवी, तथा आन्नदमय बनाने का सर्वोत्तम पुरुषार्थ करना चाहिए जो लोग यह समझ बैठे है कि अभी तो कलियुग में लाखो वर्ष शेष है, वे अपने ही सौभाग्य को लौटा रहे है! अब कलियुगी सृष्टि अंतिम श्वास ले रही है, यह मृत्यु-शैया पर है यह काम, क्रोध लोभ, मोह और अहंकार रोगों द्वारा पीड़ित है I अत: इस सृष्टि की आयु अरबो वर्ष मानना भूल है I और कलियुग को अब बच्चा मानकर अज्ञान-निंद्रा में सोने वाले लीग "कुम्भकरण" है I जो मनुष्य इस ईश्वरीय सन्देश को एक कण से सुनकर दुसरे कण से निकल देते है उन्ही के कान ऐसे कुम्भ के समान है, क्योंकि कुम्भ बुद्धि-हीन होता है

कलियुग अभी बच्चा नहीं है बल्कि बुढ़ा हो गया है इसका विनाश निकट है और शीघ्र ही सतयुग आने वाला है I
कलियुग अभी बच्चा नहीं है बल्कि बुढ़ा हो गया है

इसका विनाश निकट है और शीघ्र ही सतयुग आने वाला है I

आज बहुत से लोग कहते है , " कलियुग अभी बच्चा है अभी तो इसके लाखो वर्ष और रहते है शस्त्रों के अनुसार अभी तो सृष्टि के महाविनाश में बहुत काल रहता है I "

परन्तु अब परमपिता परमात्मा कहते है की अब तो कलियुग बुढ़ा हो चूका है I अब तो सृष्टि के महाविनाश की घडी निकट आ पहुंची है I अब सभी देख भी रहे है की यह मनुष्य सृष्टि काम, क्रोध,लोभ,मोह तथा अहंकार की चिता पर जल रही है I सृष्टि के महाविनाश के लिए एटम बम, हाइड्रोजन बम तथा मुसल भी बन चुके है I अत: अब भी यदि कोई कहता है कि महाविनाश दूर है, तो वह घोर अज्ञान में है और कुम्भकर्णी निंद्रा में सोया हुआ है, वह अपना अकल्याण कर रहा है I अब जबकि परमपिता परमात्मा शिव अवतरित होकर ज्ञान अमृत पिला रहे है, तो वे लोग उनसे वंचित है I

आज तो वैज्ञानिक एवं विद्याओं के विशेषज्ञ भी कहते है कि जनसँख्या जिस तीव्र गति से बढ रही है, अन्न की उपज इस अनुपात से नहीं बढ रही है I इसलिए वे अत्यंत भयंकर अकाल के परिणामस्वरूप महाविनाश कि घोषणा करते है I पुनश्च, वातावरण प्रदुषण तथा पेट्रोल, कोयला इत्यादि शक्ति स्त्रोतों के कुछ वर्षो में ख़त्म हो जाने कि घोषणा भी वैज्ञानिक कर रहे है I अन्य लोग पृथ्वी के ठन्डे होते जाने होने के कारण हिम-पात कि बात बता रहे है I आज केवल रूस और अमेरिका के पास ही लाखो तन बमों जितने आणविक शस्त्र है I इसके अतिरिक्त, आज का जीवन ऐसा विकारी एवं तनावपूर्ण हो गया है कि अभी करोडो वर्ष तक कलियुग को मन्ना तो इन सभी बातो की ओर आंखे मूंदना ही है परन्तु सभी को याद रहे कि परमात्मा अधर्म के महाविनाश से ही देवी धर्म की पुन: सथापना भी कराते है I

अत: सभी को मालूम होना चाहिए कि अब परमप्रिय परमपिता परमात्मा शिव सतयुगी पावन एवं देवी सृष्टि कि पुन: स्थापना करा रहे है I वे मनुष्य को देवता अथवा पतितो को पावन बना रहे है I अत: अब उन द्वारा सहज राजयोग तथा ज्ञान- यह अनमोल विद्या सीखकर जीवन को पावन, सतोप्रधन देवी, तथा आन्नदमय बनाने का सर्वोत्तम पुरुषार्थ करना चाहिए जो लोग यह समझ बैठे है कि अभी तो कलियुग में लाखो वर्ष शेष है, वे अपने ही सौभाग्य को लौटा रहे है!

अब कलियुगी सृष्टि अंतिम श्वास ले रही है, यह मृत्यु-शैया पर है यह काम, क्रोध लोभ, मोह और अहंकार रोगों द्वारा पीड़ित है I अत: इस सृष्टि की आयु अरबो वर्ष मानना भूल है I और कलियुग को अब बच्चा मानकर अज्ञान-निंद्रा में सोने वाले लीग "कुम्भकरण" है I जो मनुष्य इस ईश्वरीय सन्देश को एक कण से सुनकर दुसरे कण से निकल देते है उन्ही के कान ऐसे कुम्भ के समान है, क्योंकि कुम्भ बुद्धि-हीन होता है

Friday, 30 December 2011

नकारात्मक सोच ही टेंशन की मूल जड़- भगवान भाई सिटी रिपोर्टर त्न नीमच सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक रूप से सदैव स्वस्थ रहता है। नकारात्मक सोच ही टेंशन की मूल जड़ है जिससे अनेक प्रकार के मानसिक व शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं। इसलिए मनुष्य को जीवन में नकारात्मक भावों से हमेशा दुर रहना चाहिए। यह बात ब्रह्मकुमार भगवानभाई ने बुधवार को ज्ञान मार्ग स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान के सद्भावना सभागार में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग में कही। उन्होंने उपस्थितजन को न्यूटन के गति नियमों के बारे में भी समझाया। उन्होंने कहा हमारी स्मृति और वृत्ति ही जीवन में सुख-दु:ख का आधार है। हमें सदैव सत्संग व आध्यात्मिक वातावरण का चुनाव करना चाहिए। इससे जीवन में हमेशा खुशी मिलती है। कार्यक्रम के दौरान राजयोगिनी पुष्पा बहन ने सभी शिविरार्थियों को तिलक व प्रसाद प्रदान किया। उन्होंने बताया भगवान भाई ने 800 से अधिक जेलों में कार्यक्रम प्रस्तुत कर हजारों अपराधियों का जीवन सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। सभागार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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