Saturday 7 January 2012

कहो, वही, जो सच्चा हो, करो वही, जो अच्छा हो । बोलो, जो मीठ हो, कहो, जो गीता हो, देखो, जो सत्यम्‌ शिवम्‌ सुन्दरम्‌ हो, दिखाओ, जो दिव्य और भव्य हो, खाओ वही, जासे प्रभु का प्रसाद हो, पियो वही, जो अनहद नाद हो, जिसमें अमृत का स्वाद हो । चाल वही चलो, जिसमें सच्चरित्र हो और कार्य वही करो, जो पवित्र हो, जिसमें जीवन का इत्र हो । िेडा पढो पर चिन्तन ज्यादा करो । थोडा बोलो और सुनो ज्यादा । थोडा पढना और चिन्तन ज्यादा करना, कम बोलना और ज्यादा सुनना- यह ज्ञानी का लक्षण है । जीभ एक और कान दो हैं । पता है क्यों ? इसलिए कि आदमी सुने ज्यादा और बोले कम । और आज का आदमी सुनतातो कम है और बोलता ? बाप रे बाप ! सारे दिन और देर रात तक बोलता है । और कुछ लोग तो सपने में भी बोलते हैं । (बडबडाते हैं) वाचाल मत बनो, बकवास मत करो । सुखी जीवन के पॉंच सूत्र हैं । पहला- जीवन में आसक्ति कम रखो । दूसरा - जो सामने आ रहा है, उसे स्वीकार करते चले जाओ । तीसरा - तुलना में खडे मत होओ । चौथा - पागलपन कम रखो और पॉंचवा - कम बोलो, काम का बोलो । ये छोटी-छोटी नसीहतें हैं, पर बडे काम की हैं । इन्हें याद रखो और समय आने पर जीओ । बहुत सुख और खुशियॉं मिलेगीं, और यदि इन्हें नजरअंदाज कर दिया, इन्हें भुला दिया तो फिर दुर्घटना घटने में वक्त नहीं लगेगा । मास्टर ने बच्चों से पूछा- बच्चों ! बताओ घटना और दुर्घटना में क्या अन्तर है ? सभी बच्चे चुप । मगर मास्टर ने देखा- पीछे कोने में एक बच्चा हाथ उठा रहा है । मास्टर ने कहा - शाबास बेटा ! खडे होओ और बताओ घटना में आग लग गई - यह तो हुई घटना, मगर आप सही सलामत बच गये - यह हुई दुर्घटना । आया ना मजा । अफसोस है, आदमी चलते-चलते थक जाता है । मगर चलना नहीं सीख पाता । बोलते-बोलते जीवन बीत जाता है मगर बोलना नहीं सीख पाता है । बोलता है तो ऐसा जैसा कि लट्ठ मार रहा हो । सारी जिन्दगी निकल गई पर आदमी को नहीं पता किवो अब तक जिन्दा है । अब क्या बचा है । जिन्दगी की सांझ सामने है

कहो, वही, जो सच्चा हो, करो वही, जो अच्छा हो । बोलो, जो मीठ हो, कहो, जो गीता हो, देखो, जो सत्यम्‌ शिवम्‌ सुन्दरम्‌ हो, दिखाओ, जो दिव्य और भव्य हो, खाओ वही, जासे प्रभु का प्रसाद हो, पियो वही, जो अनहद नाद हो, जिसमें अमृत का स्वाद हो । चाल वही चलो, जिसमें सच्चरित्र हो और कार्य वही करो, जो पवित्र हो, जिसमें जीवन का इत्र हो । िेडा पढो पर चिन्तन ज्यादा करो । थोडा बोलो और सुनो ज्यादा । थोडा पढना और चिन्तन ज्यादा करना, कम बोलना और ज्यादा सुनना- यह ज्ञानी का लक्षण है । जीभ एक और कान दो हैं । पता है क्यों ? इसलिए कि आदमी सुने ज्यादा और बोले कम । और आज का आदमी सुनतातो कम है और बोलता ? बाप रे बाप ! सारे दिन और देर रात तक बोलता है । और कुछ लोग तो सपने में भी बोलते हैं । (बडबडाते हैं) वाचाल मत बनो, बकवास मत करो । सुखी जीवन के पॉंच सूत्र हैं । पहला- जीवन में आसक्ति कम रखो । दूसरा - जो सामने आ रहा है, उसे स्वीकार करते चले जाओ । तीसरा - तुलना में खडे मत होओ । चौथा - पागलपन कम रखो और पॉंचवा - कम बोलो, काम का बोलो । ये छोटी-छोटी नसीहतें हैं, पर बडे काम की हैं । इन्हें याद रखो और समय आने पर जीओ । बहुत सुख और खुशियॉं मिलेगीं, और यदि इन्हें नजरअंदाज कर दिया, इन्हें भुला दिया तो फिर दुर्घटना घटने में वक्त नहीं लगेगा ।
मास्टर ने बच्चों से पूछा- बच्चों ! बताओ घटना और दुर्घटना में क्या अन्तर है ? सभी बच्चे चुप । मगर मास्टर ने देखा- पीछे कोने में एक बच्चा हाथ उठा रहा है । मास्टर ने कहा - शाबास बेटा ! खडे होओ और बताओ घटना में आग लग गई - यह तो हुई घटना, मगर आप सही सलामत बच गये - यह हुई दुर्घटना । आया ना मजा । अफसोस है, आदमी चलते-चलते थक जाता है । मगर चलना नहीं सीख पाता । बोलते-बोलते जीवन बीत जाता है मगर बोलना नहीं सीख पाता है । बोलता है तो ऐसा जैसा कि लट्ठ मार रहा हो । सारी जिन्दगी निकल गई पर आदमी को नहीं पता किवो अब तक जिन्दा है । अब क्या बचा है । जिन्दगी की सांझ सामने है

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