Thursday, 26 September 2019

जीवन में नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा का महत्व

जीवन में नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा का महत्व

  
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शिक्षा का मूल उद्देश्य चरित्र निर्माण करना है। समाज और देश के विकास के लिए संस्कारवान होना आवश्यक  है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए अनुशासन, सहनशीलता, समझदारी, सकारात्मक सोच, एकात्मता और आशावादी होना आवश्यक है। तनाव से अनेक बिमारियाँ होती है। अच्छा देखें, अच्छा सुनें और मृदुभाषी बनें। उक्त बातें वरिष्ठ माध्यमिक सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में ”जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व“ विषय पर ब्रह्माकुमारी के अन्र्तराष्ट्रीय मुख्यालय माउण्ट आबू, राजस्थान से ”इण्डिया बुक्स ऑफ़ रेकार्ड“ से सम्मानित राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बच्चों को नैतिक मूल्यों व श्रेष्ठ संस्कारों की ओर पे्ररित करना अत्यन्त आवश्यक है। आध्यात्मिक और नैतिक षिक्षा द्वारा युवाओं को चरित्रवान और सषक्त बनाया जा सकता है। सकारात्मक चिन्तन और श्रेष्ठ वातावरण द्वारा युवाओं के आन्तरिक शक्तियों का विकास किया जा सकता है। बचपन के संस्कार ही सदा के लिए काम आएगा। प्रधानाचार्य नीरज कुमार कौशिक ने कहा कि आज के युवा अपनी शक्ति और ऊर्जा को सद्कार्यो में लगाएँ।  समाज और देश के विकास में अमूल्य योगदान दें। सुख शांति सर्वत्र व्याप्त हो। इसके लिए सचेष्ट रहें। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व है।स्थानीय ब्रह्मकुमारी राजयोग सेवा केन्द्र की बी0 के0 जयमाला बहन ने ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विश्वविद्यालय में सिखाया जाने वाला ज्ञान के बारे में अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में एकाग्रता हेतु राजयोग मेडीटेशन भी सिखाया गया साथ ही ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने छात्र-छात्राओं को बुराईयों को त्यागने की प्रतिज्ञा भी कराई।क्षेत्रीय बालिका शिक्षा संयोजिका कीर्ति रष्मि ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर मांउट आबू से पधारे बी0 के0 संजय भाई, बी0 के0 नम्रता बहन, बी0 के0 पूजा बहन, उपप्रधानाचार्य उज्ज्वल किषोर सिन्हा सहित सभी शिक्षक उपस्थित थे।

कुसंग,नशा,सिनेमा और क्रोध से मनुष्य बनता है अपराधी बनता:भगवान भाई

कुसंग,नशा,सिनेमा और क्रोध से मनुष्य बनता है अपराधी बनता:भगवान भाई

कुसंग,नशा,सिनेमा और क्रोध से मनुष्य बनता है अपराधी बनता:भगवान भाई
जमुई: जमुई मंडल कारा में बंद कैदियों को इंसानियत का पाठ पढ़ाने राजस्थान से राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई पहुंचे।मौके पर उन्होंने कैदियों को बताया कि कोई भी व्यक्ति जन्मजात अपराधी नहीं होता जब वह इस संसार में आता है तो वह कहीं ना कहीं गलत संगत संग फंसता,अश्लील सिनेमा देखता नशा करता और क्रोध करता है तो वह अपराधी बन जाता है।मालूम हो कि वे 800 कारागृह में नैतिकता का पाठ पढ़ा कर अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराए हैं।उन्होंने बताया कि अपराध मुक्त बनने हेतु स्वयं की गलतियों को महसूस करना जरूरी है,मैं जिस रास्ते पर जा रहा हूँ यह रास्ता गलत है।स्वयं की भूल कभी भी छिप नहीं सकती, मेरे किए हुए कर्मों का फल भी मुझे ही भोगना है तो फिर गलत कर्म करें क्यों। उन्होंने बताया कि कर्मों के आधार से ही संसार चलता है, कर्मों से संबंधी मिलते कर्मों से ही शरीर भी मिलता है,वास्तव में कर्म ही मनुष्य को अच्छा व बुरा बनाता है।
कर्म ही व्यक्ति का मित्र व शत्रु है भगवान भाई ने बताया कि यह कारागृह नहीं बल्कि अपने आप को सुधार लाने हेतु सुधार गृह है इसी सुधार गृह में अपने गलतियों को महसूस कर भविष्य में ऐसी गलतियां ना हो यह प्रण लेना है। उन्होंने बताया कि हमें भगवान ने इस धरती पर क्यों भेजा था मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं मुझे क्या करना चाहिए।मानव जीवन बहुत ही अनमोल होता है उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ नहीं गंवाना है उन्होंने कहा कि 1 सेकंड का क्रोध अनेक वर्षों तक पश्चाताप कराता है।इस अवसर पर जेल के जेलर सुप्रियन टोप्पो, ने भी ब्रह्मकुमारी की सेवाओं की सराहना किया और जीवन में बुरे को त्याग कर सच्चाई सफाई जीवन में अपनाने को कहा कार्यक्रम के अंत में राजयोग मेडिटेशन भी कराया तथा सभी को साहित्य दिए इस कार्यक्रम में बेगूसराय के बी के संजय भाई बीके प्रियंका बहन बीके सीता बहन उपस्थित थे।

अपराधमुक्त समाज के लिए सांस्कृतिक शिक्षा जरूरी

अपराधमुक्त समाज के लिए सांस्कृतिक शिक्षा जरूरी

 बेगूसराय :  नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है. उक्त बातें प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आये राजयोगी ब्रम्हाकुमार भगवान भाई ने स्वामी विवेकानंद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रजौरा एवं सुह्वद बाल शिक्षा मंदिर बेगूसराय के बच्चों को संबोधित करते हुए कहीं. 
 
उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों की जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है. नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक,राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है. 
 
बच्चों का मूल्यांकन,आचरण, अनुसरण,लेखन,व्यावहारिक ज्ञान एवं अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता आज के दिनों में है. उन्होंने बताया कि जो शिक्षा बच्चों को अंधकार से प्रकाश की ओर,असत्य से सत्य की ओर, बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाये वही मुख्य शिक्षा है.
 
अपराध मुक्त समाज के लिए सांस्कृतिक शिक्षा को जरूरी बताया. गुणवान व चरित्रवान बच्चे देश की सच्ची संपत्ति है. उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे देश और समाज के लिए रचनात्मक और सृजनात्मक कार्य कर सकते हैं. इन्होंने कहा कि प्राचीन संस्कृति आध्यात्मिकता की ही रही है. जिस कारण प्राचीन मानव भी वंदनीय एवं पूजनीय रहा है. 
 
उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्षा से ही मानव के व्यवहार में निखार लाना संभव है. ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने बताया कि वर्तमान समय में कुसंग,सिनेमा, व्यसन,फैशन से युवा पीढ़ी भटकती जा रही है. आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नयी दिशा मिल सकती है. मौके पर ब्रम्हाकुमारी राजयोग सेवा केंद्र के ब्रह्मकुमार रंजीत भाई, निदेशक अरविंद चौधरी, कौशल किशोर झा आदि ने शिक्षा के परिदृश्य के बारे में जानकारी दी .