‘परमात्मा दुखहर्ता और सुखकर्ता है’
Dainik Bhaskar
Apr 01, 2014, 04:50 AM ISTBalotra News - बालोतरा. फूल स्वयं की सुगंध से दूसरों को एहसास कराता है, रोशनी अपने आपको जलाकर दूसरों के लिए प्रकाश फैलाती है, वैसे...
बालोतरा. फूल स्वयं की सुगंध से दूसरों को एहसास कराता है, रोशनी अपने आपको जलाकर दूसरों के लिए प्रकाश फैलाती है, वैसे ही स्वयं का उत्थान करने वाला फूलों की तरह दुनिया को सुगंधित कराता है। राजयोग स्वयं और दूसरों को प्रबंधन करने की अनोखी विधि है। ये उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने राजकीय नाहटा अस्पताल में जीवन में सत्संग का महत्व विषय पर व्यक्त किए। राजयोगी भगवान भाई ने कहा कि परमात्मा के स्मरण, चिंतन व गुणगान से ही दुखों से छुटकारा मिलता है। उन्होंने कहा कि शिव परमात्मा सदा सर्व के कल्याणकारी, हितकारी और परोपकारी है। परमात्मा दुखहर्ता और सुखकर्ता है। मनुष्य अपने ही कर्मों के अनुसार दुख और सुख प्राप्त करता है। उन्होंने बताया कि जैसा कर्म हम करते हैं, वैसा ही उसका फल पाते हैं।
सत्संग के माध्यम से कर्म श्रेष्ठ करने का मार्गदर्शन मिलता है। जिसे हम कर्मों को महान बनाकर जीवन को सुखमय आनंदमय बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपसी सौंदर्य, सहानुभूति एवं सद्भावना के लिए सामाजिक, पारिवारिक झगड़ों को समाप्त करने के लिए आपसी आत्मीय संबंध के नाते की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि परमात्मा के सत्य परिचय के बिना आत्म स्वरूप में टिकना संभव नहीं है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी केंद्र की बीके उमा बहिन ने कहा कि वर्तमान में बढ़ती अशांति, दुख व तनाव से मुक्ति का एकमात्र सहारा परमपिता परमात्मा शिव है। उन्होंने कहा कि परमात्मा के शरण में जाने से ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि विकार पर जीत प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। मनुष्य के अंदर के मनोविकार ही पतन की जड़ है। आत्मज्ञान और परमात्म ज्ञान की ओर से विकार जीत बन पाएंगे। उन्होंने परमात्मा को याद कर शक्ति प्राप्त करने की राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि चांद, सूर्य, तारांगण से पार परमधाम में रहने वाले परमात्मा को मन बुद्धि को याद करना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग है। उन्होंने कहा कि राजयोग से हम अपने मन को शक्तिशाली बनाकर नकारात्मक बातों से बचा सकते हैं।
उन्होंने कहा राजयोग ही तनाव मुक्त बनने की संजीवनी बूटी है। कार्यक्रम के अंत में सभी मरीजों के लिए फल और ईश्वरीय संदेश के पर्चे भी बांटे गए।
सत्संग के माध्यम से कर्म श्रेष्ठ करने का मार्गदर्शन मिलता है। जिसे हम कर्मों को महान बनाकर जीवन को सुखमय आनंदमय बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपसी सौंदर्य, सहानुभूति एवं सद्भावना के लिए सामाजिक, पारिवारिक झगड़ों को समाप्त करने के लिए आपसी आत्मीय संबंध के नाते की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि परमात्मा के सत्य परिचय के बिना आत्म स्वरूप में टिकना संभव नहीं है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी केंद्र की बीके उमा बहिन ने कहा कि वर्तमान में बढ़ती अशांति, दुख व तनाव से मुक्ति का एकमात्र सहारा परमपिता परमात्मा शिव है। उन्होंने कहा कि परमात्मा के शरण में जाने से ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि विकार पर जीत प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। मनुष्य के अंदर के मनोविकार ही पतन की जड़ है। आत्मज्ञान और परमात्म ज्ञान की ओर से विकार जीत बन पाएंगे। उन्होंने परमात्मा को याद कर शक्ति प्राप्त करने की राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि चांद, सूर्य, तारांगण से पार परमधाम में रहने वाले परमात्मा को मन बुद्धि को याद करना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग है। उन्होंने कहा कि राजयोग से हम अपने मन को शक्तिशाली बनाकर नकारात्मक बातों से बचा सकते हैं।
उन्होंने कहा राजयोग ही तनाव मुक्त बनने की संजीवनी बूटी है। कार्यक्रम के अंत में सभी मरीजों के लिए फल और ईश्वरीय संदेश के पर्चे भी बांटे गए।
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