Thursday, 21 February 2019

हमारी सनातन संस्कृति दैवी संस्कृति है ः भगवान भाई |

हमारी सनातन संस्कृति दैवी संस्कृति है ः भगवान भाई |   | 22 Nov 2015 7:44 PM रांची, हरमू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान की ओर से सफलता की कुंजी अध्यात्मिक मूल्य, खुषी एवं... SShare रांची, हरमू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान की ओर से सफलता की कुंजी अध्यात्मिक मूल्य, खुषी एवं एकाग्रता विशय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्धाटन दीप जला कर ब्रह्माकुमारी निर्मला, माउण्ट आबू से आये राजयोगी भगवान भाई एवं विषिश्ट अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए भगवान भाई ने कहा कि हमारी आदि सनातन संस्कृति दैवी संस्कृति है जिसका प्रभाव समूचे जगत में हो रहा है लेकिन दुर्भाग्यवष भौतिकवाद के दौर में आध्यात्मिक विरासत लुप्त होती जा रही है। ऐसे अवमूल्यन के समय में सकारात्मक विचार, गुणात्मक षैली और समाज के लिए समर्पण और सेवा भावना की आवष्यकता है। इसके आधार पर ही संस्कारों का निर्माण हो सकता है। उन्होंने कहा कि अच्छे संस्कारों का समाज और परिवार सर्वाधिक महत्व है क्योंकि हम सब के मन में कहीं न कहीं यह भाव रहता है कि दुख और बुराइयाेंं से घिरी हुई इस दुनिया में परिवर्तन होना ही चाहिए। गिरीष रावल, डीएजी, महालेखाकार, झारखंड ने कहा कि जीवन मूल्यों की खुली किताब होनी चाहिए। इसलिए हम अपने जीवन मे किसी न किसी मूल्य को धारण कर जीवन को खुली किताब की तरह बनायें जो हमारी सफलता की कहानी कह सके। कृशि निदेषक जटाषंकर चौधरी ने कहा कि जीवन में मूल्यों को अपनाने के लिए शान्ति के सागर परमात्मा से सम्बन्ध जोड़ना जरूरी है। तनुजा पाणिग्रही, प्राचार्य डीएवी पुनदाग ने कहा कि भंवर अपनी परिधि क्षेत्र में ही होता है। भॅवर के अंतरंग में जैसे कोई तूफान नहीं होता उसी प्रकार विभिन्न परिस्थितियों की परिधि चक्र से पार होने के लिए अपने अन्तरंग अर्न्तचेतना को मूल्यों से जागृत रखना चाहिए। कार्यक्रम को रांची विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एलएन भगत, दीपक रूंगटा, निर्मला बहन आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में स्वागत् गान, नृत्य-गान एवं आध्यात्मिक नाटक का भी मंचन किया गया। 

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