शिव नाम का अर्थ कल्याणकारी से ही प्रतीत होता है| शिव उसी को बताया जा सकता है जिसमें सृष्टि के संपूर्ण ज्ञान को समाया जा सकता है|
१) ज्योतिबिंदू स्वरूप परमात्मा शिवः
परमात्मा का वास्तविक स्वरूप ज्योति बिंदू का ही है| इस स्वरूप द्वारा परमात्मा शिव मानव के शरीर में प्रवेश करते हैं और अपने कल्याणकारी ज्ञान द्वारा सृष्टि परिवर्तन का कार्य करते हैं| समय अनुसार परमात्मा शिव ने इसी स्वरूप द्वारा पृथ्वी के मानव को ज्ञान के सागर में नहलाया है जिस ज्ञान को मानव ने धर्म के रूप में आपस में बांटा है और सतयुग से कलयुग तक पृथ्वी पर मानव ने अनेका अनेक धर्मों की स्थापना भी कर ली है|
१) ज्योतिबिंदू स्वरूप परमात्मा शिवः
परमात्मा का वास्तविक स्वरूप ज्योति बिंदू का ही है| इस स्वरूप द्वारा परमात्मा शिव मानव के शरीर में प्रवेश करते हैं और अपने कल्याणकारी ज्ञान द्वारा सृष्टि परिवर्तन का कार्य करते हैं| समय अनुसार परमात्मा शिव ने इसी स्वरूप द्वारा पृथ्वी के मानव को ज्ञान के सागर में नहलाया है जिस ज्ञान को मानव ने धर्म के रूप में आपस में बांटा है और सतयुग से कलयुग तक पृथ्वी पर मानव ने अनेका अनेक धर्मों की स्थापना भी कर ली है|
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