Monday, 2 November 2020

 सारे दिन के बीच-बीच में सेकण्ड में विदेही बनने का अभ्यास करना"* 

 _ ➳  आवाज से परेसुनहरी लाल प्रकाशमय निराकार दुनिया मेंमैं आत्मा स्वयं को अनुभव कर रही हूँ... *मैं आत्मा स्थूलसुक्ष्म देह से मुक्तइस मुक्तिधाम के एकदम मुक्त अवस्था का अनुभव कर रही हूँ...* मैं सतचित आंनद स्वरूप आत्मा स्वधर्म में स्थितस्वरूप में स्थित निजानंद में हूँ... *सामने महाज्योती सर्वशक्तिमान... सर्वशक्तिमान से अनंत शक्तियाँ मुझ निराकार आत्मा में समा रही है...* एक-एक शक्ति को गहराई से अनुभव कर रही हूँ मैं आत्मा... *अपने अंदर समाती एक-एक का स्वरूप बनती जा रही हूँ...* शिवपिता की किरणों में समाया हुआ अनुभव कर रही हूँ मैं विदेही आत्मा... मैं आत्मा अंनत शक्तियों से सम्पन्नता भरपूरता का अनुभव कर रही हूँ... *इसी नव उर्जा के साथ मैं आत्मा धरती की ओर प्रस्थान करती हूँ...* साकारी दुनिया में साकारी देह में मैं आत्मा अवतरित होती हूँ... और मैं आत्मा देख रही हूँ... *स्वयं को इस कर्म क्षेत्र पर भिन्न-भिन्न कार्यकलाप करते हुए...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा अब स्वयं को गृह के कार्य करते हुए देख रही हूँ... सभी कार्य करते, *मैं आत्मा एक सेकंड में समस्त चेतना को एकाग्र कर लेती हूँ भृकुटि के मध्य में... सामने आंनद का सागर मेरा बाबा है...* आंनद के सागर से अंनत आंनद की किरणों की बारिश मुझ आत्मा पर हो रही हैं... मैं आत्मा स्वयं को आंनद स्वरूप अनुभव कर रही हूँ... *पूरे घर में आंनद की किरणों की बारिश मुझ आत्मा से हो रही है... आसपास की हर आत्मा आंनद की अनुभूति कर रही हैं...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा देख रही हूँ... एक भीड़ भरे स्थान से गुजरते हुए... चारों तरफ शोर ही शोर हैं... अलग-अलग तरह के वायब्रेशन्स से वायुमंडल प्रभावित है... *एक पावरफुल बेक्र के साथ मैं आत्मा मन में चल रहे संकल्पों को स्टाप करती हूँ... और स्थित हो जाती हूँ... अपने स्वधर्म में... और गहराई से अनुभव कर रही हूँ...* मैं अपने इस शांत स्वरूप कोशांति के सागर की छत्रछाया मेंमुझ शांत स्वरूप आत्मा से *शांति की बारिश चारों ओर हो रही है... सभी आत्माएँ इस शांति की बारिश में भीगकर शांति की अनुभूति कर रही है...*

 

 _ ➳  अब मैं आत्मा देख रही हूँ... स्वयं को आफिस में वर्क करते हुए... *इस व्यवस्था के बीचमैं आत्मा मन में उठ रही विचारों रूपी लहरों कोअन्तरमुखता रूपी सागर के तल में जाकर कहती हूँ कीप क्वाइट...* और सेकेंड में देह से न्यारी मैं विदेही आत्मा पहुंच जाती हूँ... बाबा की कुटिया में चारों तरफ लाल प्रकाश बीच में *मैं आत्मा सुख के सागर बाबा की शक्तिशाली किरणों में स्वयं को सुख स्वरूप अनुभव कर रही हूँ...* मुझ आत्मा से सुख की किरणें चारों ओर फैल रही है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा बगीचे में अन्य आत्माओं के साथ स्वयं को वार्तालाप करते हुए देख रही हूँ... *ट्रैफिक की आवाज सुन मैं आत्मा एक दम एलर्ट मन में चल रही संकल्पों की धारा को एकाग्रता की शक्ति से मोड कर परमधाम में शिव पिता से जोड़ देती हूँ...* प्रेम के सागर से प्रेम की बरसात मुझ आत्मा पर हो रही है... और मुझ से ये किरणें अन्य आत्माओं पर पड़ रही है... *वे सभी भी ईशवरीय प्रेम का अनुभव कर रही है...*

 

 _ ➳  मैं आत्मा गाड़ी में बैठी हूँ... *मैं आत्मा मन में चल रहे संकल्पों के ट्रैफिक को एक सेकंड में आत्मिक स्थिति रूपी लाल बत्ती जलाकर स्टाप करती हूँ...* अनुभव कर रही हूँमैं निराकार आत्मा स्वयं को पवित्रता के सागर के झरने के नीचे... *पवित्रता की अनंत किरणें मुझ आत्मा में समा रही हैं... और मुझ से निकल चारों ओर फैल रही है...* सभी आत्माएं और प्रकृति भी इन किरणों को पाकर सुख-शांति का पवित्रता का अनुभव कर रही है...

 

 _ ➳  मैं आत्मा देख रही हूँ स्वयं को खेतों में कार्य करते हुए... मैं आत्मा खेतों में बीज बो रही हूँ... तभी *मैं आत्मा मन में उठ रही संकल्पों रूपी शाखाओं के विस्तार को एक सेकेंड में समेट परमधाम में अपनी मास्टर बीजरुप स्थिति का अनुभव कर रही हूँ...* बीजरुप बाबा की शक्तिशाली किरणों के नीचे *मैं आत्मा स्वयं को बेहद शक्तिशाली अनुभव कर रही हूँ... विदेही हूँ ये स्पष्ट अनुभव कर रही हूँ... देह से न्यारे होने से... सब से न्यारी हो गयी हूँ... अब एकाग्रता की शक्ति भी बढ़ गयीं है... कंट्रोलिंग पॉवर भी बढ़ गयी है... देह के कमजोर संस्कार स्वभाव धीरे-धीरे नष्ट होते जा रहे है...* और बार-बार के विदेही होने के अभ्यास सेमैं आत्मा माया के किसी भी प्रकार के प्रभाव से मुक्त हूँ...

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