भगवान भाई ने कहा की शिव सर्वआत्माओं के परमपिता हैं परमपिता परमात्मा शिव का यही परिचय यदि सर्व मनुष्यात्माओं को दिया जाए तो सभी सम्प्रदायों को एक सूत्र में बाँधा जा सकता है, क्योंकि परमात्मा शिव का स्मृतिचि- शिवलिंग के रूप में सर्वत्र सर्वधर्मावलंबियों द्वारा मान्य है। यद्यपि मुसलमान भाई मूर्ति पूजा नहीं करते हैं तथापिवे मक्का में संग-ए-असवद नामक पत्थर को आदर से चूमते हैं। क्योंकि उनका यह दृढ़ विश्वास है कि यह भगवान का भेजा हुआ है। अतः यदि उन्हें यह मालूम पड़ जाए कि खुदा अथवा भगवान शिव एक ही हैं तो दोनों धर्मों से भावनात्मक एकता हो सकती है। इसी प्रकार ओल्ड टेस्टामेंट में मूसा ने जेहोवा का वर्णन किया है। भगवान भाई ने कहा वह ज्योतिर्बिंदु परमात्मा का ही यादगार है। इस प्रकार विभिन्न धर्मों के बीच मैत्री भावना स्थापित हो सकती है। रामेश्वरम् में राम के ईश्वर शिव, वृंदावन में श्रीकृष्ण के ईष्ट गोपेश्वर तथा एलीफेंटा में त्रिमूर्ति शिव के चित्रों से स्पष्ट है कि सर्वात्माओं के आराध्य परमपिता परमात्मा शिव ही हैं। शिवरात्रि का त्योहार सभी धर्मों का त्योहार है तथा सभी धर्मवालों के लिए भारतवर्ष तीर्थ है। यदि इस प्रकार का परिचय दिया जाता है तो विश्व का इतिहास ही कुछ और होता तथा साम्प्रदायिक दंगे, धार्मिक मतभेद, रंगभेद, जातिभेद इत्यादि नहीं होते। चहुँओर भ्रातृत्व की भावना होती। आज पुनः वही घड़ी है, वही दशा है, वही रात्रि है जब मानव समाज पतन की चरम सीमा तक पहुँच चुका है। ऐसे समय में कल्प की महानतम घटना तथा दिव्य संदेश सुनाते हुए हमें अति हर्ष हो रहा है कि कलियुग के अंत और सतयुग के आदि के इस संगमयुग पर ज्ञान-सागर, प्रेम वकरुणा के सागर, पतित-पावन, स्वयंभू परमात्मा शिव हम मनुष्यात्माओं की बुझी हुई ज्योति जगाने हेतु अवतरित हो चुके हैं। वे साकार प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम द्वारा सहज ज्ञान व सहज राजयोग की शिक्षा देकर विकारों के बंधन से मुक्त कर निर्विकारी पावन देव पद की प्राप्ति कराकर दैवी स्वराज्य की पुनः स्थापना करा रहे हैं।ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि मानव को सकारात्मक चिंतन करते हुए अपनी शक्तियों को रचनात्मक कार्य में लगाना चाहिए, ताकि मानव में अच्छी प्रवृत्तियां पनप सकें।उन्होंने कहा कि आज युवा पीढ़ी को सृजनात्मक और क्रियात्मक बनने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है और नैतिक शिक्षा से अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान विद्यार्थियों को अज्ञान रूपी अंधकार से प्रकाश की और तथा असत्य से सत्य की और ले जाता है। सदगुणों से ही व्यक्ति अच्छा बनता है, इसलिए जिसमें सदगुण हैं, वहीं महान है। भगवान ने कहा कि शिक्षा एक ऐसा बीज है, जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। , RAMESHVRAM TAMILNADU , ब्रह्माकुमारीज , रामेश्वरम , तामिलनाडू , 12 ज्योतिर्लिंग म्युझियम द्वारा शिव सन्देश , नैतिक शिक्षा , तनाव मुक्ति , brahmakumaris , ब्रह्माकुमारी,
5000 स्कूल कॉलेजो में और 800 जेलों कारागृह में नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया है जिससे इनका नाम इंडिया बुक रिकार्ड में दर्ज है ब्रह्माकुमारीज़ माउंट आबू में ईश्वरीय सेवा में 35 वर्षो से समर्पित है.
Friday, 11 January 2019
BRAHMAKUMARIS RAMESHVRAM TAMILNADU , ब्रह्माकुमारीज रामेश्वरम
भगवान भाई ने कहा की शिव सर्वआत्माओं के परमपिता हैं परमपिता परमात्मा शिव का यही परिचय यदि सर्व मनुष्यात्माओं को दिया जाए तो सभी सम्प्रदायों को एक सूत्र में बाँधा जा सकता है, क्योंकि परमात्मा शिव का स्मृतिचि- शिवलिंग के रूप में सर्वत्र सर्वधर्मावलंबियों द्वारा मान्य है। यद्यपि मुसलमान भाई मूर्ति पूजा नहीं करते हैं तथापिवे मक्का में संग-ए-असवद नामक पत्थर को आदर से चूमते हैं। क्योंकि उनका यह दृढ़ विश्वास है कि यह भगवान का भेजा हुआ है। अतः यदि उन्हें यह मालूम पड़ जाए कि खुदा अथवा भगवान शिव एक ही हैं तो दोनों धर्मों से भावनात्मक एकता हो सकती है। इसी प्रकार ओल्ड टेस्टामेंट में मूसा ने जेहोवा का वर्णन किया है। भगवान भाई ने कहा वह ज्योतिर्बिंदु परमात्मा का ही यादगार है। इस प्रकार विभिन्न धर्मों के बीच मैत्री भावना स्थापित हो सकती है। रामेश्वरम् में राम के ईश्वर शिव, वृंदावन में श्रीकृष्ण के ईष्ट गोपेश्वर तथा एलीफेंटा में त्रिमूर्ति शिव के चित्रों से स्पष्ट है कि सर्वात्माओं के आराध्य परमपिता परमात्मा शिव ही हैं। शिवरात्रि का त्योहार सभी धर्मों का त्योहार है तथा सभी धर्मवालों के लिए भारतवर्ष तीर्थ है। यदि इस प्रकार का परिचय दिया जाता है तो विश्व का इतिहास ही कुछ और होता तथा साम्प्रदायिक दंगे, धार्मिक मतभेद, रंगभेद, जातिभेद इत्यादि नहीं होते। चहुँओर भ्रातृत्व की भावना होती। आज पुनः वही घड़ी है, वही दशा है, वही रात्रि है जब मानव समाज पतन की चरम सीमा तक पहुँच चुका है। ऐसे समय में कल्प की महानतम घटना तथा दिव्य संदेश सुनाते हुए हमें अति हर्ष हो रहा है कि कलियुग के अंत और सतयुग के आदि के इस संगमयुग पर ज्ञान-सागर, प्रेम वकरुणा के सागर, पतित-पावन, स्वयंभू परमात्मा शिव हम मनुष्यात्माओं की बुझी हुई ज्योति जगाने हेतु अवतरित हो चुके हैं। वे साकार प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम द्वारा सहज ज्ञान व सहज राजयोग की शिक्षा देकर विकारों के बंधन से मुक्त कर निर्विकारी पावन देव पद की प्राप्ति कराकर दैवी स्वराज्य की पुनः स्थापना करा रहे हैं।ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि मानव को सकारात्मक चिंतन करते हुए अपनी शक्तियों को रचनात्मक कार्य में लगाना चाहिए, ताकि मानव में अच्छी प्रवृत्तियां पनप सकें।उन्होंने कहा कि आज युवा पीढ़ी को सृजनात्मक और क्रियात्मक बनने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है और नैतिक शिक्षा से अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान विद्यार्थियों को अज्ञान रूपी अंधकार से प्रकाश की और तथा असत्य से सत्य की और ले जाता है। सदगुणों से ही व्यक्ति अच्छा बनता है, इसलिए जिसमें सदगुण हैं, वहीं महान है। भगवान ने कहा कि शिक्षा एक ऐसा बीज है, जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। , RAMESHVRAM TAMILNADU , ब्रह्माकुमारीज , रामेश्वरम , तामिलनाडू , 12 ज्योतिर्लिंग म्युझियम द्वारा शिव सन्देश , नैतिक शिक्षा , तनाव मुक्ति , brahmakumaris , ब्रह्माकुमारी,
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