राजोंद (हरियाणा )—गोल्ड लाइफ हाई स्कूल में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर
प्रोग्राम
आयोजक –स्थानीय
ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र राजोंद (हरियाणा
)
मुख्य वक्ता ---ब्रह्मकुमार भगवान् भाई माउंट
आबू
विषय –-नैतिक
शिक्षा का महत्व
प्राचार्य –यशपाल राना
बी के प्रेरणा बहन राजयोग शिक्षिका राजोंद
हरियाणा
बी के नीलम बहन राजयोग शिक्षिका असंध हरियाणा
बी के मेहरचंद भाई जी वरिष्ठ राजयोगी करनाल
बी के तरशेम
भाई, बी
के सुनील भाई ,बी
के अनिल भाई और सभी शिक्षक स्टाफ भी उपस्थित थे
माउंट आबू से आये हुए बी के भगवान् भाई ने
कहा मूल्यपरक शिक्षा के बिना ‘शिक्षा’ अशिक्षा है। शिक्षा से आशय केवल
डिग्री नहीं है, बल्कि
ऐसा ज्ञान जो समाज के उन्नयन में दीपक की भांति कभी न बुझने वाली दिव्य ज्योति हो।
देश और समाज में शिक्षित व्यक्ति की कद्र उसी सनातन परंपरा के तहत आज भी भारत में
होती है। ग्रामीण भारत में यह आज भी विद्यमान है।उन्होंने बताया कि शिक्षा नीति से नैतिकता का काफी ह्यस हुआ। इसका
प्रस्फुटन सभी क्षे़त्रों में विद्यमान है।
भगवान् भाई ने बताया कि कभी सत्य-राष्ट्रीयता, समर्पण, बलिदान का पर्याय माने जाने वाला
शिक्षित अब धोखेबाज और स्वार्थी के रूप में जाना जाता है। कारण, नैतिकता को प्राथमिक शिक्षा से
ही समाप्त कर देना। गुरूकल शिक्षा व्यवस्था को जान-बूझकर हतोत्साहित किया गया।
उन्होंने कहा कि हम ऐसे ही से भौतिक रूप में समृद्ध हो रहे हैं। यांत्रिक
गति से दौड़ रहे हैं, पर
क्यों, मालूम नहीं। सूचनाओं का अपार
भंडार इक्टठा हो रहा है, पर
विचार-गवेषणा शून्य है। कारण, नैतिकता, प्रतिबद्धता, निःस्वार्थता गौण है।
भगवान् भाई ने ‘‘सच्ची शिक्षा वह है, जिससे चरित्र का निर्माण होता
है। शरीर और मन बलशाली बनते हैं, बुद्धि
बढ़ती है और व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है। वे ऐसी शिक्षा देने के पक्ष में थे, जिससे उसका चरित्र बने, बुद्धि का विकास हो, मानसिक शक्ति बढ़े और वह अपने
पैरों पर खड़ा हो सके। उनकी नजर में शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य मनुष्य का निर्माण
तथा विकास करना है। उन्होंने बताया कि व्यक्ति के साथ ही राष्ट्र का विकास भी शिक्षा
का उद्देशय होना चाहिए। वह ऐसी शिक्षा के विरोधी थे, जिसके द्वारा नौकरी प्राप्त करके
अपना पेट मात्र भरा जा सके। आधुनिक शिक्षा ने मनुष्य को आत्मविश्वासी, सक्षम और निष्ठावान नहीं बनाया, इसी कारण अनेक समस्याएँ पैदा हो
गईं।
No comments:
Post a Comment