नेपाल कावासोती नवलगढ़ परासी में मध्यबिंदु एफ एम ( FM ) ,सामर्थ्य एफ एम( FM ) नवलपुर एफ एम ( FM ) द्वारा ईश्वरीय सन्देश दिया गया
आयोजक -- ब्रह्माकुमारीज़ नेपाल कावासोती नवलगढ़ परासी बी के भगवान् भाई से ली मुलाकात
कावासोती नवलगढ़ परासी में मध्यबिंदु एफ एम ( FM ) ,सामर्थ्य एफ एम( FM ) नवलपुर एफ एम ( FM ) बी के भगवान् भाई से ली मुलाकात ली और पुरे शहर में एफ एम द्वारा ईश्वरीय सन्देश दिया गया
भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए
नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। उन्होंने
कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी यही व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं
अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान
व अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए
उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की
ओर, बन्धनों से
मुक्ति की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए
संस्कारित शिक्षा जरूरी है।
गुणगान ब"ो देश की संपत्ति
भगवान भाई ने कहा कि आज के ब"ो कल का भावी समाज हैं।
अगर कल के भावी समाज को इन्हीं ब"ाों को नैतिक सद्गुणों की शिक्षा की आधार से
चरित्रवान बनाए। तब समाज बेहतर बन सकता है। गुणवान व चरित्रवान ब"ो देश की
स"ाी सम्पत्ति हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे गुणवान और चरित्रवान ब"ो देश
और समाज के लिए कुछ रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद
दिलाते हुए कहा कि प्राचीन संस्कृति आध्यात्मिकता की रही जिस कारण प्राचीन मानव भी
वंदनीय और पूजनीय रहा। उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्षा से ही मानव के व्यवहार में
निखार लाता है।
सिनेमा व इंटरनेट ने भटकाया
ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से
युवा पीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को
नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा इन्टरनेट व टीवी. के माध्यम से
युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी को
बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाए, तब उनकी शक्ति
सही उपयोग में ला सकेंगे। वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे
मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य की संस्कृति के कारण भारत की पूरे विश्व में पहचान
है। इसलिए नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए सभी को
सामूहिक रूप में प्रयास करने चाहिए। सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने
कहा कि सकारात्मक चिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। सकारात्मक चिन्तन
से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश्य बताते
हुए कहा कि चरित्रवान, गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है।
उन्होंने आध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता, ईमानदारी, धैर्यता, सहनशीलता आदि
सद्गुण मानव जाती का श्रृंगार है।
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Shantivan, Mt. Abu (Raj.)
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