Saturday, 14 March 2015

नैतिक आचरण पर भी उनके ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है








वर्तमान के छात्र भावी समाज है। अगर भावी समाज को आदर्श बनाना चाहते हो तो छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक आचरण पर भी उनके ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है। भगवान भाई ने कहा कि शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणाओं से दूसरे को शिक्षा देता है। धारणाओं से विद्यार्थियों में बल भरता है। जीवन की धारणाओं से वाणी, कर्म और व्यक्तित्व में निखार आ जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा देने के बाद भी अगर बच्चे बिगड़ रहे हैं इसका मतलब मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। शिक्षक के अंदर के जो संस्कार हैं, उनका विद्यार्थी अनुकरण बच्चे करते हैं। शिक्षकों को केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं बनना बल्कि सारे समाज को श्रेष्ठ मागदर्शन देने वाला शिक्षक बनना है। भगवान भाई ने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अंदर सद्गुण होना आवश्यक है। किताबी ज्ञान के साथ-साथ बच्चों को अपने जीवन की धारणाओं के आधार से नैतिक पाठ भी आवश्यक पढ़ाएं। इस मौके पर प्राचार्या सरोज गक्खड़, जयराम भाई, धर्मबीर श्योकंद, जेएस चहल मौजूद रहे।

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