शिवजी कैलाश पर्वत पर रहते थे। एक दिन सभी देवताओं ने निर्णय लिया कि हम सभी कैलाश पर्वत पर जाकर शिवजी से मानव जाति की भलाई-बुराई के विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।
सभी देवी-देवता अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर कैलाश पर्वत पहुंचे। विष्णु भगवान भी अपने वाहन गरुड पर सवार होकर आए। गरुड ने देखा कि कैलाश पर्वत के मुख्य द्वार पर एक छोटी चिडिया बैठी हुई है और वह कोई मीठा गाना गा रही है। उसके गाने से सभी देवी-देवता प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद देकर अंदर जा रहे थे।
गरुड को भी चिडिया का गाना पसंद आया। उसने भी उसे आशीर्वाद दिया। तभी मृत्यु देवता यम भैंस पर सवार होकर सबसे अंत में पहुंचे। उन्होंने भी चिडिया का गाना सुना, लेकिन उन्हें वह गाना पसंद नहीं आया। वे नाराज हो गए। उन्होंने क्रोधित नजरों से चिडिया को देखा और फिर अंदर चले गए।
गरुड हैरान हुए कि यमराज को गाना क्यों पसंद नहीं आया? और वे नाराज भी हुए, ऐसा लगता है कि वे इस चिडिया को मार डालेंगे। उनके मन में चिडिया के प्रति दया पैदा हो गई। उन्होंने तय किया कि अब मैं चिडिया को यम की दृष्टि से बचाऊंगा। इसके बाद गरुड उस चिडिया को अपने पंखों के नीचे दबाकर उडते हुए सात पहाडों एवं नदियों को पार कर एक ऋषि के आश्रम में पहुंचे। वहां उन्होंने आम के पेड पर एक छोटा-सा घोंसला तैयार कर उसमें चिडिया को रख दिया।
चिडिया को सुरक्षित स्थान पर छोड कर गरुड फिर से कैलाश पर्वत पर आ गए। जब वे वहां पहुंचे, तो देवताओं का विचार-विमर्श खत्म हो चुका था और सभी देवी-देवता एक-एक कर वहां से निकल रहे थे। यमराज निकले, तो उनकी नजरों ने चिडिया को खोजा। पर वहां चिडियां नहीं दिखी और उसकी आवाज भी नदारद थी। यमराज चिडिया को पूर्व स्थान पर न पाकर हंस पडे। उन्होंने कहा, चलो, मेरा हिसाब-किताब ठीक हो गया।
गरुड को यमराज की बात समझ में नहीं आई। इसलिए उन्होंने यमराज से पूछा कि आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं? यमराज ने बताया कि जब मैं यहां आया, तो द्वार के ऊपर एक चिडिया बहुत सुंदर आवाज में गा रही थी। लेकिन मेरे लेखा के मुताबिक, आज उस चिडिया की मृत्यु होनी तय थी। उसमें लिखा था कि वह यहां नहीं मरेगी। उसे सात पहाडों और नदियों के पार एक ऋषि के आश्रम में स्थित आम के पेड के नीचे लेटा नाग निगलेगा। उसे देखकर मैंने सोचा कि यह छोटी चिडिया अपने छोटे पंखों से इतनी दूर कैसे उड कर जाएगी? मुझे इस बात पर गुस्सा आया कि अगर चिडिया वहां नहीं पहुंच पाएगी, तो मेरा हिसाब-किताब ठीक नहीं हो पाएगा!
नियति देखो कि वह वहां पहुंच गई है और वह नाग अभी उसे निगल रहा है। चिडिया निश्चित समय पर मर रही है। यह बात सुनकर गरुड को बडा झटका लगा, क्योंकि उन्होंने तो सोचा था कि चिडिया को उन्होंने बचा लिया है, लेकिन वास्तव में वे उसे मौत के मुंह में डाल आए थे। यह कहानी गरुड के बारे में हो सकती है या हम मनुष्यों के बारे में भी। कई बार हम यह सोच कर कुछ करते हैं कि ऐसा करने से किसी व्यक्ति का भला होगा, लेकिन होता बुरा ही है। कई बार हम बुरा सोचते हैं, लेकिन होता भला है।
इस कहानी के माध्यम से यह बताया जा रहा है कि हमारे भला या बुरा चाहने से किसी व्यक्ति का हित या अहित नहीं हो सकता है। सब कुछ ईश्वर के हाथों में है। इसलिए हमें अपना भला-बुरा प्रभु के हाथ में सौंप कर जीवन का उपयोग सद्कर्मोमें करना चाहिए।
प्रेरक प्रसंग
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