यूं तो आपने महादेव के कई मंदिरों के दर्शन किए होंगे, उनके कई रूप भी देखे होंगे. जरा सोचिए अगर मंदिर का आकार ही महादेव की महिमा सुनाए और मंदिर में प्रवेश करते ही महादेव की शक्ति का अंदाजा हो जाए तो भला इससे ज्यादा सौभाग्य की क्या बात होगी. कर्नाटक के कोलार जिले में दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग मौजूद है, जिसके चारों तरफ मौजूद करोंड़ों शिवलिंग शिव के प्रति उनके भक्तों की भक्ति की अनूठी कहानी सुनाते हैं.
पावन, सुंदर और शांत प्रकृति के हरियाले आंचल में बसा है महादेव का एक ऐसा मंदिर जो खुद बयां करता है इस मंदिर के सबसे अनोखे होने की कहानी. मन को हर लेने वाली इसकी सुंदरता में स्वयं महादेव का वास होता है और यहां कण-कण शिव की शक्ति की कहानी सुनाता है . इसी मंदिर में दुनिया के सबसे ऊंचे शिवलिंग के साथ ही करीब 1 करोड़ शिवलिंग भी हैं.
इसे कोटिलिंगेश्वर धाम कहते हैं, जो कर्नाटक के कोलार जिले के एक छोटे से गांव काम्मासांदरा में बसा है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों की नजरें एक टक केवल मंदिर के आकार को ही निहारती हैं क्योंकि यहां बसा है महादेव का वो रूप, जो शायद दुनिया भर में अपनी तरह का इकलौता मंदिर है. यहां मंदिर का आकार ही शिवलिंग के रूप में है, जो दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग भी है. शिवलिंग रूप में इस मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है. जिसके दर्शन कर श्रद्धालु पूरी तरह से शिवमय हो जाते हैं और इसकी गवाही देते हैं मंदिर के चारों ओर मौजूद करीब 1 करोड़ शिवलिंग.
कोई भी अचम्भे में पड़ सकता है कि आखिर मुख्य मंदिर के आस-पास लाखों शिवलिंग क्यों स्थापित हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना में इस अचम्भे का राज छिपा है. इस मंदिर में भक्त अपने मन में सच्ची श्रद्धा लिए आते हैं और अपनी सामर्थ्य के अनुसार 1 फीट से लेकर 3 फीट तक के शिवलिंग अपने नाम से यहां स्थापित करवाते हैं. ये महादेव की महिमा ही है कि अब इन शिवलिंगों की संख्या करीब 1 करोड़ तक पहुंच चुकी है.
इस विशाल शिव-लिंग के सामने नंदी भव्य और विशाल रूप में दर्शन देते हैं, जिसकी ऊंचाई 35 फीट है और वह 60 फीट लंबे, 40 फुट चौड़े और 4 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थित है. इस विशाल शिव-लिंग के चारों ओर देवी मां, श्री गणेश, श्री कुमारस्वामी और नंदी महाराज की प्रतिमाएं ऐसे स्थापित हैं जैसे वे अपने आराध्य को अपनी पूजा अर्पण कर रहे हों. मंदिर का यही अद्भुत रूप और हर मन्नत पूरी होने की मान्यता ही दूर-दूर से हजारों भक्तों को यहां खींच लाती है.
मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही कोटिलिंगेश्वर की प्रतिमा में भक्तों को साक्षात महादेव के दर्शनों की अनुभूति होती है और कोटिलिंगेश्वर रूप में भोले अपने भक्तों के कष्टों को हरने के लिए आतुर दिखायी देती हैं. इस पूरे मंदिर परिसर में कोटिलिंगेश्वर के मुख्य मंदिर के अलावा 11 मंदिर और भी हैं, जिनमें ब्रह्माजी, विष्णुजी, अन्न्पूर्णेश्वरी देवी, वेंकटरमानी स्वामी, पांडुरंगा स्वामी, पंचमुख गणपति, राम-लक्ष्मण-सीता के मंदिर मुख्य रूप से विराजमान हैं.
मान्यता है की मंदिर परिसर में मौजूद दो वृक्षों पर पीले धागे को बांधने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. विशेषकर शादी-ब्याह में आने वाली अड़चनें दूर हो जाती हैं. मंदिर की तरफ से भी निर्धन-गरीब परिवारों की कन्याओं का विवाह नाममात्र का शुल्क लेकर करवाया जाता है. सारी व्यवस्था मंदिर की तरफ से की जाती है. वहीं, दूर-दूर से आने वाले भक्तों के रहने-खाने का भी यहां उचित इंतजाम किया जाता है. महाशिवरात्रि पर तो इस मंदिर की छटा देखते ही बनती है. अपने आराध्य देव को अपने श्रद्धा-सुमन अर्पण कर पुण्य लाभ कमाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 2 लाख तक पहुंच जाती है.
No comments:
Post a Comment