समाज को सुधारने के लिए आदर्श उक्त उद्गार प्रजापति बह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मांऊट आबू से पधारे राजयोगी बह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि जिला शिक्षा प्रशिक्षण केन्द्र में भावी शिक्षक एवं प्रशिक्षणार्थी शिक्षकों को आदर्श शिक्षक वर्तमान के छात्र भावी समाज हैं, अगर भावी समाज को आदर्श बनाना चाहते हो तो छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक आचरण पर भी उनके ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि बिगड़ती परिस्थिति को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणाओं से दूसरों को शिक्षा देता है। धारणाओं से वाणी, कर्म, व्यवहार और व्यक्तित्व में निखार आ जाता है। भगवान भाई ने कहा कि शिक्षा देने के बाद भी अगर बच्चे बिग$ड रहे हैं उसका मतलब मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। उन्होंने कहा कि शिक्षक के अंदर के जो संस्कार है उनका विद्यार्थी अनुकरण करते हे। । शिक्षकेां को केवल पाठ प$ढाने वाला शिक्षक बनना है। उन्होंने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अंदर सद्गुण होना आवश्यक है। शिक्षा मेें भौतिक सुधार तो है लेकिन नैतिकता का हृास होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि अपने जीवन की धारणाओं के आधार से नैतिक पाठ भी आवश्यक पढाये। भगवान भाई ने कहा कि शिक्षकों के हाव भाव उठना, बोलना, चलना, व्यवहार करना इन बातो का असर भी बच्चों के जीवन में प$ढता है। उन्होंने कहा कि जब समाज को शिक्षित करने व शिखा देने के स्वरूप को बदलने की आवश्यकता है, स्वयं के आचारण से शिक्षा देने की आवश्यकता है।
स्थानीय बह्मकुमारी सेवाकेन्द्र की संचालिका सीता बहन कहना है कि एक दीपक से पूरा कमरा प्रकाशमान होता है तो क्या पूरे जिले को मूल्य निष्ठ शिक्षा से प्रकाशित हम सब मिलकर नहीं कर सकते हैं? अब आवश्यकता है सेवाभाव की। उन्होंने कहा कि आचरण की शिक्षा जबान में भी तेज होती है। सीनियर व्याख्याता सुधा मिश्रा ने कहा कि परिवर्तन करने की जिम्मेवारी शिक्षकों की है, शिक्षकों को स्वयं को आचरण पर ध्यान देने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान के साथ साथ तनाव मुक्त रहने की आवश्यकता है। उन्हेांने बह्मकुमारी द्वारा चलाये जा रहे इस अभियान की सराहना की ।
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