Tuesday, 8 April 2014

शिव परमात्मा इस धरा पवर आ चुके है

Jyotirlinga

वर्तमान समय धरती की दशा

वर्तमान समय चारों और अत्याचार,भ्रष्टाचार,असत्य,हिंसा और अश्लीलता का बोलबाला है । अधर्म अपनी चरम सीमा पर है और पाप का घडा भर  चुका है । हर मनुष्य दु:खी और अशांत है । काम क्रोध,लोभ, मोह और अहंकार के वशीभूत मानव के कृत्यों से आज सारी धरती जल रही हैं । यही वह समय है जब स्वयं परमात्मा को बुराई और अधर्म का विनाश कार अच्छाई और सतधर्म की फिर संस्थापना करने हेतु इस धरती पर आना पडता है । सभी धर्म का यही मानना है कि जब भी अधर्म बढता हैं तब परमात्मा को इस धरती पर आना पडता है । वर्तमान समय हम युग परिवर्तन काल से गुजर रहे हैं जब कलियुग की समाप्ति  और सतयुग का आरंभ होता है । इस पावन बेला को संगमयुग कहा जाता है । यही समय है जब स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित होते है और मनुष्यात्माओं को पावन बनाकर सतयुग की पुनस्र्थापना करते है।

शिव परमात्मा इस धरा पवर आ चुके है
 
यश खुशखबरी हम आपको बताना चाहते है कि परमपिता इस धरती पर अवतरित हो चुके है । इस बात को शायद आप असानी से न मानें परंतु यह सत्य है कि इस पुरानी पतित दुनिया को फिर से पावन बनाने के लिए स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित हो चुके है । सर्वसर्व शक्तीवान परमात्मा महान भारत देश के राजस्थान स्थित आबु पर्वत पर अवतरित हो चुके है और प्रजापिता ब्रम्ह बाबा के तन के माध्यम से गुप्त रिती से अपना अलौकिक कार्य कर रहे है । परमात्मा जिन्हे ईश्वर,भगवान,अल्लाह,गॉड आदि नामों से हम जानते है,निराकार ज्योतिबिंदु रुप है । वे विश्व की सभी आत्माओं के परमपिता हैं । परमात्मा के आदेशनुसार यह शुभ संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है।

शिव परमात्मा क्या करने आए है ?
दुखहर्ता – सुखकर्ता परमात्मा आए हैं विश्व की सभी दु:खी आत्माओं को दु:खों से मुक्त करने,इस पुरानी पतित कलियुगी सृष्टी को फिर से नई पावन सतयुगी सृष्टी बनाने और विकारी मनुष्यों को फिर से श्रेष्ठाचारी देवता बनाने । परमपिता परमात्मा इस समय विश्व की सभी आत्माओं को पावन बनाकर फिर से अपने घर ब्रम्हलोक ले जाने आए हें । परमात्मा ज्ञान के सागर हैं जो वर्तमान समय हम आत्माओं को आध्यात्मिक ज्ञान औ रसहज राजयोग की शिक्षा दे रहे है । सहज राजयोग एक उसी ध्यान साधना है जिससे आत्मा के सभी पाप समाप्त हो जाते है और आत्मा फिर सेपावन सतोप्रधान बन जाती है । राजयोग के माध्यम से मुनुष्यात्मा फिर से देवात्मा बन जाती है । इस योग का अभ्यास कोई भी मनुष्य बडी आसानी से कर सकता है ।

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