नैतिक मूल्यो से सर्वांगीण विकाश - भगवन भाई
चिरकुंडा
०८ जनुअरी :- बचो के सर्वांगीण विकाश के लिये भौतिक शिक्षा के साथ साथ
नैतिक शिक्षा कि भी आवशकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकाश सम्भब
है। उक्त उडगर प्रजापिता ब्रम्हा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट अबु
राजस्थान से प्रधार हुए राज योगी ब्रम्हा कुमार भगवन भाई कहे। वे बुधवार
को साहू कॉलेज और कुमारधुबी हाई स्कूल के छात्र - छात्रो" शिकचको कि जीवन
में नैतिक शिक्षा का महत्व" विषय पर छात्रो को सम्बोधित करते हुये बोल
रहे थे। भगवन भाई ने कहा कि शेक्षाक्निक जगत में विदार्थीओ के लिए नैतिक
मूल्य को जीवन में धारण करने कि प्रेरणा देना आज कि आवस्यकता है।
उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यो कि कमी येही वक्तिगत सामाजिक पारिवारिक
राष्ट्रीय एवांग अंतररास्ट्रीय सर्व समश्याओं का मूल कारन है।
विद्यार्थियो का मूल्याङ्कन , आचरण , अनुशरण , लेखन - बेवहारिक ज्ञान
एवअंग अन्य बातो के लिए प्रेरणा देने कि आवशकता है। ज्ञान कि बैख करते हुए
उन्होंने बताया कि जो शिक्चा विद्यार्थियो को अंधकार से प्रकाश कि और
असत्य से सत्य कि और बंधनो से मुक्ति कि और ले जाए वही शिक्चा है।
उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समझ के लिए शंकरित शिक्चा जरुरी है।
गुणवान बच्चे देश कि संपत्ति है
भगवन
भाई ने कहा कि आज कि बच्चे कल का भावी सकमज है। अगर कल के भावी समाज को
बेहतर बनाना चाहते हो तो स्कूल के माध्यमो से इन्ही बच्चो को नैतिक सद्गुणो
कि शिक्चा कि अधर से चरितवन बनाए। तब समझ बेहतर बन सकता है गुणवान व
चरितवन बच्चे देश कि सच्ची संपत्ति है। उन्होंने बताया कि एसे गुणवान और
चरितवन बच्चे देश और समाज के लिए कुछ रचनात्मक कर्ज कर सकते है।
उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन सांस्कृति
आध्यात्मिकता कि रही जिस कारन प्राचीन मानव भी बंदनीय है और पूजनीय रहा।
उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्चा से ही मानव के बेभर में निखार अत है।
कुसंग , सिनेमा , वेसन फर्शों से युवा भटके
ब्रह्माकुमार
भगवन भाई ने कहा कि वर्त्तमान समय कुषाणग , सिनेमा , व्यशन और फैशन से
युवा पिरि भटक रही है। अध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के दयारा युवा
पिरि को नै दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा , इंटरनेट व टीवी
कि माध्यम से युवा पिरि पर पश्चात सांकृति का आघात हो रहा है। इस आघात से
युवा पिरि को बचने कि आवश्यता है। उन्होंने बताया कि युवा पिरि को कुछ
रचनात्मक कर्ज सिखाए तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। बरिष्ट
राजयोगी ब्रह्मा कुमार भगवन भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है।
मूल्य कि संस्कृति के कारन आज भारत कि विषय में पहचान है। इसलिए नैतिक
मूल्य , मानवीय मूल्य़ो कि के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करना
चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्यो कि सोच ही उसके कर्मो का अधर बनता है
इसकिये हमे अपने कर्मो पर ध्यान देना चाहिए कि हमारे कर्म विषय के लिए
हितकारी हो।
सकारात्मक चिंतन का महत्य बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक
चिंत्तन से समाज में मूल्यो कि खुश्बू फैलते है। सकारात्मक चिंतन से जीवन
कि हर समस्याओ का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश बताते
हुए कहा कि चरितवन , गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्द्येश है। उन्होंने
अड्यात्मिकता को मूल्यो का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता ,
ईमानदारी , ध्यराजता , सहनशीलता अदि सद्गुण मानव जाती का श्रीनगर है ,
शतानी ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र कि बक अनीता बहिन ने अपना
उद्बोध देता हुए कहा कि कुशांग , सिनेमा , वसंह और फैशन से वर्त्तमान युवा
पिरि भटक रही है। चरितवन बन्ने के किये युवा को इसीसे दूर रहना है। अपराध
मुक्त समाज के लिए चरितवन बनो। उन्होंने राज योग का महत्व बताते हुए कहा
कि राजयोग से एकहराता आयेगी।
प्रधनाचार्य र बी साहू ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि वर्त्तमान समय
बच्चो को नैतिक शिक्षा दयारा चरितवन बनाने कि बहुत अवस्ता है। उन्होंने
ब्रह्मा कुमार भगवन भाई का स्वागत किया। प्रधानाचार्य मिश्रा जी ने
धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कर्ज करम में ब क पिंकी , बी क सुनीता , रघुपति
भाई अदि उपश्थित थे
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