नैतिक मूल्यों को भूलने से हुआ समाज का पतन
नैतिक मूल्यों को भूलने से हुआ समाज का पतन |
भास्कर न्यूज. रायगढ़ |
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा
की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास संभव है। यह बात
प्रजापिता ब्रह्माकमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से
पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कही। वे किरोड़ीमल इंजीनियरिंग
कॉलेज ऑफ टेक्नालॉजी में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर छात्र-छात्राओं को
सम्बोधित कर रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी यही व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान व अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बन्धनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए संस्कारित शिक्षा जरूरी है। सिनेमा व इंटरनेट ने भटकाया - ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा इन्टरनेट व टीवी. के माध्यम से युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाए, तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य की संस्कृति के कारण भारत की पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करने चाहिए। सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश्य बताते हुए कहा कि चरित्रवान, गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंने आध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता, ईमानदारी, धैर्यता, सहनशीलता आदि सद्गुण मानव जाती का श्रृंगार है। ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र की बीके ममता बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से वर्तमान युवा पीढ़ी भटक रही है। चरित्रवान बनने के लिए युवा को इससे दूर रहना है। अपराध राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकाग्रता आएगी। इस अवसर पर नमिता वर्मा व्याख्याता उक्षमा सूर्यवंशी व्याख्याता केआईटी केके. गुप्ता रजिस्टार ममता बहन, मधु भाई, भगत भाई, मनोज भाई सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। गुणगान बच्चे देश की संपत्ति भगवान भाई ने कहा कि आज के बच्चे कल का भावी समाज हैं। अगर कल के भावी समाज को इन्हीं बच्चों को नैतिक सद्गुणों की शिक्षा की आधार से चरित्रवान बनाए। तब समाज बेहतर बन सकता है। गुणवान व चरित्रवान बच्चे देश की सच्ची सम्पत्ति हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे गुणवान और चरित्रवान बच्चे देश और समाज के लिए कुछ रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन संस्कृति आध्यात्मिकता की रही जिस कारण प्राचीन मानव भी वंदनीय और पूजनीय रहा। उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्षा से ही मानव के व्यवहार में निखार लाता है। राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने किरोड़ीमल इंजीनियरिंग कॉलेज ऑफ टेक्नालॉजी के छात्रों को नैतिक शिक्षा के महत्व विषय पर छात्र-छात्राओं को दी जानकारी। प्रवचनत्न नैतिक मूल्यों को भूलने से हुआ समाज का पतन- भगवान भाई, केआईटी में छात्रों को दिए मानव मूल्यों पर टिप्स
On Saturday, September 14, 2013
रायगढ़ 14 सितंबर । बच्चों के सर्वांगीण
विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है।
नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास संभव है। उक्त उद्गार प्रजापिता
ब्रह्माकमारी ईश्वरीय विश्य विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से पधारे राजयोगी
ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे। वे आज शनिवार को किरोड़ीमल इंजीनियरिंग
कॉलेज ऑफ टेक्नालॉजी में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर छात्र-छात्राओं को
सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे।
भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों
को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि
नैतिक मूल्यों की कमी यही व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं
अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन
आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान एवं अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने
की आवश्यकता है।
ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को
अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बन्धनों से मुक्ति की ओर ले
जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए संस्कारित
शिक्षा जरुरी है।
गुणगान बच्चे देश की संपत्ति
भगवान भाई ने कहा कि आज के बच्चे कल का भावी समाज हैं। अगर कल के भावी समाज
को इन्हीं बच्चों को नैतिक सद्गुणों की शिक्षा की आधार से चरित्रवान बनाए।
तब समाज बेहतर बन सकता है। गुणवान व चरित्रवान बच्चे देश की सच्ची
सम्पत्ति हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे गुणवान और चरित्रवान बच्चे देश और
समाज के लिए कुछ रचनात्मक कार्य कर सकते हैं।
उन्होंने भारतीय संस्कृति को याद दिलाते हुए कहा कि प्राचीन संस्कृति
आध्यात्मिकता की रही जिस कारण प्राचीन मानव भी वंदनीय और पूजनीय रहा।
उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्षा से ही मानव के व्यवहार में निखार लाता है।
कुसंग, सिनेमा, व्यसन, फैशन से युवा भटके
ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और
फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के
द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा
इन्टरनेट व टीवी. के माध्यम से युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात
हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया
कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखायें तब उनकी शक्ति सही उपयोग में
ला सकेंगे।
वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत
है। मूल्य की संस्कृति के कारण आज भारत की पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए
नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए सभी को सामूहिक रूप
में प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य की सोच ही उसके कर्मों का
आधार बनता है। इसलिए कर्म विश्व के लिए हितकारी हो।
सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिन्तन से
समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर
समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश्य बताते हुए
कहा कि चरित्रवान, गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंने
आध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता,
ईमानदारी, धैर्यता, सहनशीलता आदि सद्गुण मानव जाती का श्रृंगार है।
स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र की बी.के. ममता बहन ने अपना
उद्बोधन देते हुए कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से वर्तमान युवा
पीढ़ी भटक रही है। चरित्रवान बनने के लिए युवा को इससे दूर रहना है। अपराध
राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकाग्रता आयेगी। इस अवसर पर
नमिता वर्मा व्याख्याता उक्षमा सूर्यवंशी व्याख्याता केआईटी के.के. गुप्ता
रजिस्टार कु. ममता बहन, कु. मधु भाई, कु. भगत भाई, मनोज भाई सहित बड़ी
संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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