मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अपने स्वीट बाप को याद करो
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अपने स्वीट बाप को याद करो तो तुम सतोप्रधान देवता बन जायेंगे, सारा मदार याद की यात्रा पर है''
प्रश्न: जैसे बाप की कशिश बच्चों को होती है वैसे किन बच्चों की कशिश सबको होगी?
उत्तर: जो फूल बने हैं। जैसे छोटे बच्चे फूल होते हैं, उन्हें विकारों का पता भी नहीं तो वह सबको कशिश करते हैं ना। ऐसे तुम बच्चे भी जब फूल अर्थात् पवित्र बन जायेंगे तो सबको कशिश होगी। तुम्हारे में विकारों का कोई भी कांटा नहीं होना चाहिए।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सुखधाम में चलने के लिए सुखदाई बनना है। सबके दु:ख हरकर सुख देना है। कभी भी दु:खदाई कांटा नहीं बनना है।
2) इस विनाशी शरीर में आत्मा ही मोस्ट वैल्युबुल है, वही अमर अविनाशी है इसलिए अविनाशी चीज़ से प्यार रखना है। देह का भान मिटा देना है।
वरदान:- अपनी श्रेष्ठ स्थिति द्वारा माया को स्वयं के आगे झुकाने वाले हाइएस्ट पद के अधिकारी भव
जैसे महान आत्मायें कभी किसी के आगे झुकती नहीं हैं, उनके आगे सभी झुकते हैं। ऐसे आप बाप की चुनी हुई सर्वश्रेष्ठ आत्मायें कहाँ भी, कोई भी परिस्थिति में वा माया के भिन्न-भिन्न आकर्षण करने वाले रूपों में अपने को झुका नहीं सकती। जब अभी से सदा झुकाने की स्थिति में स्थित रहेंगे तब हाइएस्ट पद का अधिकार प्राप्त होगा। ऐसी आत्माओं के आगे सतयुग में प्रजा स्वमान से झुकेगी और द्वापर में आप लोगों के यादगार के आगे भक्त झुकते रहेंगे।
स्लोगन: कर्म के समय योग का बैलेन्स ठीक हो तब कहेंगे कर्मयोगी।
प्रश्न: जैसे बाप की कशिश बच्चों को होती है वैसे किन बच्चों की कशिश सबको होगी?
उत्तर: जो फूल बने हैं। जैसे छोटे बच्चे फूल होते हैं, उन्हें विकारों का पता भी नहीं तो वह सबको कशिश करते हैं ना। ऐसे तुम बच्चे भी जब फूल अर्थात् पवित्र बन जायेंगे तो सबको कशिश होगी। तुम्हारे में विकारों का कोई भी कांटा नहीं होना चाहिए।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सुखधाम में चलने के लिए सुखदाई बनना है। सबके दु:ख हरकर सुख देना है। कभी भी दु:खदाई कांटा नहीं बनना है।
2) इस विनाशी शरीर में आत्मा ही मोस्ट वैल्युबुल है, वही अमर अविनाशी है इसलिए अविनाशी चीज़ से प्यार रखना है। देह का भान मिटा देना है।
वरदान:- अपनी श्रेष्ठ स्थिति द्वारा माया को स्वयं के आगे झुकाने वाले हाइएस्ट पद के अधिकारी भव
जैसे महान आत्मायें कभी किसी के आगे झुकती नहीं हैं, उनके आगे सभी झुकते हैं। ऐसे आप बाप की चुनी हुई सर्वश्रेष्ठ आत्मायें कहाँ भी, कोई भी परिस्थिति में वा माया के भिन्न-भिन्न आकर्षण करने वाले रूपों में अपने को झुका नहीं सकती। जब अभी से सदा झुकाने की स्थिति में स्थित रहेंगे तब हाइएस्ट पद का अधिकार प्राप्त होगा। ऐसी आत्माओं के आगे सतयुग में प्रजा स्वमान से झुकेगी और द्वापर में आप लोगों के यादगार के आगे भक्त झुकते रहेंगे।
स्लोगन: कर्म के समय योग का बैलेन्स ठीक हो तब कहेंगे कर्मयोगी।
nice one
ReplyDeleteI liked this one very much.This is really excellent. it has touched my heart.
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