Wednesday, 28 November 2018

श्री डाल सिंह मेमोरियल स्कूल में नैतिक शिक्षा पर




श्री डाल सिंह मेमोरियल स्कूल में  नैतिक शिक्षा पर दिए गए व्याख्यान
Published at :24th July, 2018, 7:39 PM
माउंट आबू से पधारे राजयोगी भगवान भाई ने बच्चों को पढ़ाया नैतिकता का पाठ
हरदोई,24जुलाई बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता होती है नैतिक शिक्षा से ही चरित्र में विकास संभव है। यह उद्गार प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारे हुए राजयोगी भगवान भाई ने छात्र छात्राओं से व्यक्त किए ।शहर के मंगली पुरवा स्थित श्री डाल सिंह मेमोरियल मेमोरियल जूनियर हाई स्कूल में ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने सभी छात्र छात्राओं को जीवन में नैतिक शिक्षा विषय पर व्याख्यान दिया। छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए भगवान भाई ने कहा ,विद्यार्थियों का मूल्यांकन ,आचरण, अनुकरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान के लिए उन्हें प्रेरणा देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जो ज्ञान विद्यार्थियों को अज्ञान रुपी अंधकार से ज्योति तथा प्रकाश की ओर असत्य से सत्य की ओर ले जाता है, वही सच्चा ज्ञान है। शिक्षा देने के बाद कोई भी शिक्षा लेने के बाद अज्ञान रुपी अंधकार में ना रह जाए। उन्होंने बताया कि सद्गुणी शिक्षा तो मानव जीवन की शोभा है ।सद्गुणों के आचरण से ही मानव जीवन के व्यवहार और आचरण में निखार आता है। उन्होंने बताया कि शिक्षा का मूल उद्देश्य चरित्र निर्माण करने के लिए सद्गुणों से ही व्यक्ति अच्छा या बुरा बनता है जिसमें सद्गुण है वही महान है और जिसमें सद्गुण नहीं है वह कंगाल है ।भगवान भाई ने कहा कि जीवन के दुर्गुण ही अंधकार है ।दुर्गुण निकालकर सद्गुणों को अपनाना ही अंधकार से प्रकाश की ओर जाना है ।अक्षर ज्ञान के साथ जीवन जीने की कला सीखना भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि अगर चरित्रवान बनना है तो अच्छा साहित्य पड़े ,अच्छा संग करें और सकारात्मक चिंतन कर अपनी शक्तियों को रचनात्मक कार्य में लगा दे ,नशा, दुर्गुणों का त्याग कर दें। सहनशीलता, नम्रता, धैर्य ,मधुरता आदि  सद्गुणों को अपनाएं। उन्होंने कहा ,मानवीय मूल्यों का ह्रास ही समाज के  हिंसक हैं। आज की युवा पीढ़ी ही समाज ही भावी समाज को महान बनाने के लिए युवा पीढ़ी को सकारात्मक ,सृजनात्मक और क्रियात्मक बनाने की आवश्यकता है ।भगवान भाई ने अनेक शिक्षाप्रद कहानियों के द्वारा बच्चों को मूल्यनिष्ठ शिक्षा का महत्व बताया। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र के बीके ने भी अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है। अगर चरित्र निर्माण करना हो तो संस्कारित शिक्षा की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि स्कूलों से बच्चे समाज के हर क्षेत्र में जाते हैं उन्हें भारतीय संस्कृति को जागृत करने की शिक्षा देने की आवश्यकता है। उन्होंने बच्चों को आध्यात्मिक तथा नैतिक ज्ञान प्रदान करने के लिए समय-समय पर अपना सहयोग प्रदान करने के बारे में कहा ,उन्होंने भाई जी के अनुसरण में वह बच्चों को विभिन्न प्रकार की शिक्षाप्रद कहानी, कहानियां, चित्रों क्रियाओं के द्वारा नैतिक ज्ञान प्रदान कर जीवन को उचित दिशा प्रदान करने में सहायक होते हैं। स्कूल के प्रबंधक अखिलेश कुमार सिंह ने भाई जी के साथ साथ सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्य भूमिका सिंह शिक्षिका अंजली श्रीवास्तव, प्रज्ञा सिंह, प्रगति त्रिपाठी, विनय गुप्ता ,पूनम गुप्ता, शिक्षक राम प्रकाश पांडे, देवेश प्रसाद सिंह आदि शिक्षक मौजूद रहे ।उप प्रबंधक मुकुल सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।

श्री डाल सिंह मेमोरियल स्कूल में नैतिक शिक्षा पर दिए गए व्याख्यान

श्री डाल सिंह मेमोरियल स्कूल में  नैतिक शिक्षा पर दिए गए व्याख्यान

माउंट आबू से पधारे राजयोगी भगवान भाई ने बच्चों को पढ़ाया नैतिकता का पाठ
हरदोई,24जुलाई – बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता होती है नैतिक शिक्षा से ही चरित्र में विकास संभव है। यह उद्गार प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारे हुए राजयोगी भगवान भाई ने छात्र छात्राओं से व्यक्त किए ।शहर के मंगली पुरवा स्थित श्री डाल सिंह मेमोरियल मेमोरियल जूनियर हाई स्कूल में ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने सभी छात्र छात्राओं को जीवन में नैतिक शिक्षा विषय पर व्याख्यान दिया। छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए भगवान भाई ने कहा ,विद्यार्थियों का मूल्यांकन ,आचरण, अनुकरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान के लिए उन्हें प्रेरणा देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जो ज्ञान विद्यार्थियों को अज्ञान रुपी अंधकार से ज्योति तथा प्रकाश की ओर असत्य से सत्य की ओर ले जाता है, वही सच्चा ज्ञान है। शिक्षा देने के बाद कोई भी शिक्षा लेने के बाद अज्ञान रुपी अंधकार में ना रह जाए। उन्होंने बताया कि सद्गुणी शिक्षा तो मानव जीवन की शोभा है ।सद्गुणों के आचरण से ही मानव जीवन के व्यवहार और आचरण में निखार आता है। उन्होंने बताया कि शिक्षा का मूल उद्देश्य चरित्र निर्माण करने के लिए सद्गुणों से ही व्यक्ति अच्छा या बुरा बनता है जिसमें सद्गुण है वही महान है और जिसमें सद्गुण नहीं है वह कंगाल है ।भगवान भाई ने कहा कि जीवन के दुर्गुण ही अंधकार है ।दुर्गुण निकालकर सद्गुणों को अपनाना ही अंधकार से प्रकाश की ओर जाना है ।अक्षर ज्ञान के साथ जीवन जीने की कला सीखना भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि अगर चरित्रवान बनना है तो अच्छा साहित्य पड़े ,अच्छा संग करें और सकारात्मक चिंतन कर अपनी शक्तियों को रचनात्मक कार्य में लगा दे ,नशा, दुर्गुणों का त्याग कर दें। सहनशीलता, नम्रता, धैर्य ,मधुरता आदि  सद्गुणों को अपनाएं। उन्होंने कहा ,मानवीय मूल्यों का ह्रास ही समाज के  हिंसक हैं। आज की युवा पीढ़ी ही समाज ही भावी समाज को महान बनाने के लिए युवा पीढ़ी को सकारात्मक ,सृजनात्मक और क्रियात्मक बनाने की आवश्यकता है ।भगवान भाई ने अनेक शिक्षाप्रद कहानियों के द्वारा बच्चों को मूल्यनिष्ठ शिक्षा का महत्व बताया। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र के बीके ने भी अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है। अगर चरित्र निर्माण करना हो तो संस्कारित शिक्षा की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि स्कूलों से बच्चे समाज के हर क्षेत्र में जाते हैं उन्हें भारतीय संस्कृति को जागृत करने की शिक्षा देने की आवश्यकता है। उन्होंने बच्चों को आध्यात्मिक तथा नैतिक ज्ञान प्रदान करने के लिए समय-समय पर अपना सहयोग प्रदान करने के बारे में कहा ,उन्होंने भाई जी के अनुसरण में वह बच्चों को विभिन्न प्रकार की शिक्षाप्रद कहानी, कहानियां, चित्रों क्रियाओं के द्वारा नैतिक ज्ञान प्रदान कर जीवन को उचित दिशा प्रदान करने में सहायक होते हैं। स्कूल के प्रबंधक अखिलेश कुमार सिंह ने भाई जी के साथ साथ सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्य भूमिका सिंह शिक्षिका अंजली श्रीवास्तव, प्रज्ञा सिंह, प्रगति त्रिपाठी, विनय गुप्ता ,पूनम गुप्ता, शिक्षक राम प्रकाश पांडे, देवेश प्रसाद सिंह आदि शिक्षक मौजूद रहे ।उप प्रबंधक मुकुल सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।

नैतिक मूल्यों से सर्वांगीण विकास संभव : भगवान भाई


नैतिक मूल्यों से सर्वांगीण विकास संभव : भगवान भाई
Publish Date:Thu, 22 Nov 2018 01:06 AM (IST)

नैतिक मूल्यों से सर्वांगीण विकास संभव : भगवान भाई
आज के बच्चे भविष्य के होनहार नागरिक हैं। भविष्य के समाज को श्रेष्ठ संस्कारवान बनाना चाहते हैं तो वर्तमान के बच्चों को भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा देने की आवश्यकता है।

बेतिया । आज के बच्चे भविष्य के होनहार नागरिक हैं। भविष्य के समाज को श्रेष्ठ संस्कारवान बनाना चाहते हैं तो वर्तमान के बच्चों को भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा देने की आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास संभव है। उक्त उदगार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कही। वे बुधवार को सरस्वती विद्या मंदिर डॉ हेडगेवार नगर बरवत सेना में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर बोल रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यालय के लिए नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय और सभी समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण अनुसरण लेखन व्यवहारिक ज्ञान एवं अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर और असत्य से सत्य की ओर बंधनों से मुक्त करने की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने बताया कि नैतिक शिक्षा से ही मानव के व्यवहार में निखार आना है। ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग सिनेमा व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। अध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा इंटरनेट टीवी के माध्यम से युवा पीढ़ी पर पश्चात संस्कृति का घाट हो रहा है इस आघात से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। युवापीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। वरिष्ठ राजयोग भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य की संस्कृति के कारण आज भारत को पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए नैतिक मूल्य मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए सभी को सामूहिक रुप से प्रयास करने की आवश्यकता है। ब्रह्मकुमारी राजयोग सेवा केंद्र की ब्रह्मकुमारी अन्ना ने अपने उदबोधन में कहा कि कुसंग सिनेमा व्यसन से वर्तमान युवा पीढ़ी भटक रही है। प्रधानाचार्य आशुतोष दास ने अपने उदबोधन में कहा कि वर्तमान समय बच्चों को नैतिक शिक्षा द्वारा चरित्रवान बनाने की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने भगवान भाई द्वारा बताए गए व्यसनों को छोड़ नैतिक मूल्यों को अपनाने की सभी से अपील की। कार्यक्रम में बीके राकेश भाई, बीके उदय भाई एवं शिक्षक स्टाफ उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में राजयोग मेडिटेशन भी कराया गया।