5000 स्कूल कॉलेजो में और 800 जेलों कारागृह में नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया है जिससे इनका नाम इंडिया बुक रिकार्ड में दर्ज है ब्रह्माकुमारीज़ माउंट आबू में ईश्वरीय सेवा में 35 वर्षो से समर्पित है.
Thursday, 31 July 2014
विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा जरूरी है
छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा जरूरी है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा। यह विचार प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू, राजस्थान से आए राजयोगी ब्रह्म कुमार भगवान भाई ने गौरीशंकर इंटर कालेज, एसआरके कालेज, ब्रजश्री इंटर कालेज एवं कमला देवी उमा स्कूल के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते समय किया।
भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्या का मूल कारण है। उन्होंने कहा कि आज के विद्यार्थी कल का समाज हैं। इसलिए स्कूलों के माध्यम से इन्हें चरित्रवान बनाएं। स्थानीय केंद्र की ब्रह्मकुमार सरिता बहन ने कहा कि चरित्रवान बनने के लिए युवाओं को सिनेमा, व्यसन, फैशन एवं कुसंगति से दूर रहना होगा। इस दौरान एसआरके के प्रधानाचार्य धीरेंद्र राठौर, अनुपम शर्मा, कृपाशंकर मिश्रा, रामनाथ भाई, ऊषा देवी के अलावा अन्य शिक्षक मौजूद थे।
सकारात्मक सोच जरूरी
सकारात्मक सोच जरूरी
ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र में तनाव मुक्ति पर संगोष्ठी
अमर उजाला ब्यूरो
lukhawno--- दौड़भाग भरे आधुनिक जीवन में समस्याओं का मूल कारण नकारात्मक सोच है। यह
जीवन को तनावग्रस्त बनाती है। परिस्थिति कैसी भी हो, हमें हमेशा सकारात्मक
सोच रखनी चाहिए। तभी हम तनावग्रस्त नहीं होगे। यह बातें प्रजापिता
ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आए
ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहीं। वह रविवार को सोरांव स्थित ब्रह्माकुमारी
राजयोग सेवा केंद्र ज्ञानसूर्य संग्रहालय में तनाव मुक्ति पर आयोजित
संगोष्ठी में बोल रह थे।
क्रोध
मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप से खत्म होता है। मन में आने वाले
नकारात्मक विचारों के कारण ही मनुष्य तनाव में आकर नशीले पदार्थों का सेवन
करने लगता है। जिससे उसकी जिंदगी नरक बन जाती है। कहा कि राजयोग का अभ्यास
करने से व्यक्ति तनाव मुक्त बन सकता है। अर्थात मन से सकारात्मक सोच के
द्वारा आत्मचिंतन व परमात्मा चिंतन कर अपने मनोबल को बढ़ाना चाहिए। स्थानीय
ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र की बीके कमल बहन ने ईश्वरीय महाकाव्य सुनाया।
अभ्यास को ही तनाव मुक्ति के लिए संजीवनी बताया। संचालन रतनलाल चौरसिया ने
किया। इस मौके पर ब्रह्माकुमारी मीना बहन, ब्रह्माकुमारी शिवांगी बहन सहित
अन्य लोग मौजूद रहे।
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