Tuesday 29 April 2014

सिनेमा व इंटरनेट ने भटकाया - ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है








त में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्
भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगयों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी यही व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान व अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बन्धनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए संस्कारित शिक्षा जरूरी है।

सिनेमा व इंटरनेट ने भटकाया - ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा इन्टरनेट व टीवी. के माध्यम से युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाए, तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य की संस्कृति के कारण भारत की पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करने चाहिए।

सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश्य बताते हुए कहा कि चरित्रवान, गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंने आध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता, ईमानदारी, धैर्यता, सहनशीलता आदि सद्गुण मानव जाती का श्रृंगार है। ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र की बीके ममता बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से वर्तमान युवा पीढ़ी भटक रही है। चरित्रवान बनने के लिए युवा को इससे दूर रहना है। अपराध राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकाग्रता आएगी। इस अवसर पर नमिता वर्मा व्याख्याता उक्षमा सूर्यवंशी व्याख्याता केआईटी केके. गुप्ता रजिस्टार ममता बहन, मधु भाई, भगत भाई, मनोज भाई
भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी यही व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान व अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बन्धनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए संस्कारित शिक्षा जरूरी है।

सिनेमा व इंटरनेट ने भटकाया - ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा इन्टरनेट व टीवी. के माध्यम से युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाए, तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य की संस्कृति के कारण भारत की पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करने चाहिए।

सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश्य बताते हुए कहा कि चरित्रवान, गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंने आध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता, ईमानदारी, धैर्यता, सहनशीलता आदि सद्गुण मानव जाती का श्रृंगार है। ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र की बीके ममता बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से वर्तमान युवा पीढ़ी भटक रही है। चरित्रवान बनने के लिए युवा को इससे दूर रहना है। अपराध राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकाग्रता आएगी। इस अवसर पर नमिता वर्मा व्याख्याता उक्षमा सूर्यवंशी व्याख्याता केआईटी केके. गुप्ता रजिस्टार ममता बहन, मधु भाई, भगत भाई, मनोज भाई

सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती










बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास संभव है। यह बात प्रजापिता ब्रह्माकमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कही। वे किरोड़ीमल इंजीनियरिंग कॉलेज ऑफ टेक्नालॉजी में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर छात्र-छात्राओं को सम्बोधित कर रहे थे।

भगवान भाई ने कहा कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी यही व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान व अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बन्धनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए संस्कारित शिक्षा जरूरी है।

सिनेमा व इंटरनेट ने भटकाया - ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा इन्टरनेट व टीवी. के माध्यम से युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात हो रहा है। इस आघात से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाए, तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य की संस्कृति के कारण भारत की पूरे विश्व में पहचान है। इसलिए नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्यों की पुर्नस्थापना के लिए सभी को सामूहिक रूप में प्रयास करने चाहिए।

सकारात्मक चिन्तन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिन्तन से समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। सकारात्मक चिन्तन से जीवन की हर समस्याओं का समाधान होता है। उन्होंने शिक्षा का मूल उद्देश्य बताते हुए कहा कि चरित्रवान, गुणवान बनना ही शिक्षा का उद्देश्य है। उन्होंने आध्यात्मिकता को मूल्यों का स्रोत बताते हुए कहा कि शांति, एकाग्रता, ईमानदारी, धैर्यता, सहनशीलता आदि सद्गुण मानव जाती का श्रृंगार है। ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र की बीके ममता बहन ने कहा कि कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से वर्तमान युवा पीढ़ी भटक रही है। चरित्रवान बनने के लिए युवा को इससे दूर रहना है। अपराध राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि राजयोग से एकाग्रता आएगी। इस अवसर पर नमिता वर्मा व्याख्याता उक्षमा सूर्यवंशी व्याख्याता केआईटी केके. गुप्ता रजिस्टार ममता बहन, मधु भाई, भगत भाई, मनोज भाई सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

Tuesday 8 April 2014

शिव परमात्मा इस धरा पवर आ चुके है

Jyotirlinga

वर्तमान समय धरती की दशा

वर्तमान समय चारों और अत्याचार,भ्रष्टाचार,असत्य,हिंसा और अश्लीलता का बोलबाला है । अधर्म अपनी चरम सीमा पर है और पाप का घडा भर  चुका है । हर मनुष्य दु:खी और अशांत है । काम क्रोध,लोभ, मोह और अहंकार के वशीभूत मानव के कृत्यों से आज सारी धरती जल रही हैं । यही वह समय है जब स्वयं परमात्मा को बुराई और अधर्म का विनाश कार अच्छाई और सतधर्म की फिर संस्थापना करने हेतु इस धरती पर आना पडता है । सभी धर्म का यही मानना है कि जब भी अधर्म बढता हैं तब परमात्मा को इस धरती पर आना पडता है । वर्तमान समय हम युग परिवर्तन काल से गुजर रहे हैं जब कलियुग की समाप्ति  और सतयुग का आरंभ होता है । इस पावन बेला को संगमयुग कहा जाता है । यही समय है जब स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित होते है और मनुष्यात्माओं को पावन बनाकर सतयुग की पुनस्र्थापना करते है।

शिव परमात्मा इस धरा पवर आ चुके है
 
यश खुशखबरी हम आपको बताना चाहते है कि परमपिता इस धरती पर अवतरित हो चुके है । इस बात को शायद आप असानी से न मानें परंतु यह सत्य है कि इस पुरानी पतित दुनिया को फिर से पावन बनाने के लिए स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित हो चुके है । सर्वसर्व शक्तीवान परमात्मा महान भारत देश के राजस्थान स्थित आबु पर्वत पर अवतरित हो चुके है और प्रजापिता ब्रम्ह बाबा के तन के माध्यम से गुप्त रिती से अपना अलौकिक कार्य कर रहे है । परमात्मा जिन्हे ईश्वर,भगवान,अल्लाह,गॉड आदि नामों से हम जानते है,निराकार ज्योतिबिंदु रुप है । वे विश्व की सभी आत्माओं के परमपिता हैं । परमात्मा के आदेशनुसार यह शुभ संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है।

शिव परमात्मा क्या करने आए है ?
दुखहर्ता – सुखकर्ता परमात्मा आए हैं विश्व की सभी दु:खी आत्माओं को दु:खों से मुक्त करने,इस पुरानी पतित कलियुगी सृष्टी को फिर से नई पावन सतयुगी सृष्टी बनाने और विकारी मनुष्यों को फिर से श्रेष्ठाचारी देवता बनाने । परमपिता परमात्मा इस समय विश्व की सभी आत्माओं को पावन बनाकर फिर से अपने घर ब्रम्हलोक ले जाने आए हें । परमात्मा ज्ञान के सागर हैं जो वर्तमान समय हम आत्माओं को आध्यात्मिक ज्ञान औ रसहज राजयोग की शिक्षा दे रहे है । सहज राजयोग एक उसी ध्यान साधना है जिससे आत्मा के सभी पाप समाप्त हो जाते है और आत्मा फिर सेपावन सतोप्रधान बन जाती है । राजयोग के माध्यम से मुनुष्यात्मा फिर से देवात्मा बन जाती है । इस योग का अभ्यास कोई भी मनुष्य बडी आसानी से कर सकता है ।

शिव परमात्मा आ चुके है


Jyotirlinga

शिव परमात्मा आ चुके है


वर्तमान समय धरती की दशा
वर्तमान समय चारों और अत्याचार,भ्रष्टाचार,असत्य,हिंसा और अश्लीलता का बोलबाला है । अधर्म अपनी चरम सीमा पर है और पाप का घडा भर  चुका है । हर मनुष्य दु:खी और अशांत है । काम क्रोध,लोभ, मोह और अहंकार के वशीभूत मानव के कृत्यों से आज सारी धरती जल रही हैं । यही वह समय है जब स्वयं परमात्मा को बुराई और अधर्म का विनाश कार अच्छाई और सतधर्म की फिर संस्थापना करने हेतु इस धरती पर आना पडता है । सभी धर्म का यही मानना है कि जब भी अधर्म बढता हैं तब परमात्मा को इस धरती पर आना पडता है । वर्तमान समय हम युग परिवर्तन काल से गुजर रहे हैं जब कलियुग की समाप्ति  और सतयुग का आरंभ होता है । इस पावन बेला को संगमयुग कहा जाता है । यही समय है जब स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित होते है और मनुष्यात्माओं को पावन बनाकर सतयुग की पुनस्र्थापना करते है।

शिव परमात्मा इस धरा पवर आ चुके है
यश खुशखबरी हम आपको बताना चाहते है कि परमपिता इस धरती पर अवतरित हो चुके है । इस बात को शायद आप असानी से न मानें परंतु यह सत्य है कि इस पुरानी पतित दुनिया को फिर से पावन बनाने के लिए स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित हो चुके है । सर्वसर्व शक्तीवान परमात्मा महान भारत देश के राजस्थान स्थित आबु पर्वत पर अवतरित हो चुके है और प्रजापिता ब्रम्ह बाबा के तन के माध्यम से गुप्त रिती से अपना अलौकिक कार्य कर रहे है । परमात्मा जिन्हे ईश्वर,भगवान,अल्लाह,गॉड आदि नामों से हम जानते है,निराकार ज्योतिबिंदु रुप है । वे विश्व की सभी आत्माओं के परमपिता हैं । परमात्मा के आदेशनुसार यह शुभ संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है।

शिव परमात्मा क्या करने आए है ?
दुखहर्ता – सुखकर्ता परमात्मा आए हैं विश्व की सभी दु:खी आत्माओं को दु:खों से मुक्त करने,इस पुरानी पतित कलियुगी सृष्टी को फिर से नई पावन सतयुगी सृष्टी बनाने और विकारी मनुष्यों को फिर से श्रेष्ठाचारी देवता बनाने । परमपिता परमात्मा इस समय विश्व की सभी आत्माओं को पावन बनाकर फिर से अपने घर ब्रम्हलोक ले जाने आए हें । परमात्मा ज्ञान के सागर हैं जो वर्तमान समय हम आत्माओं को आध्यात्मिक ज्ञान औ रसहज राजयोग की शिक्षा दे रहे है । सहज राजयोग एक उसी ध्यान साधना है जिससे आत्मा के सभी पाप समाप्त हो जाते है और आत्मा फिर सेपावन सतोप्रधान बन जाती है । राजयोग के माध्यम से मुनुष्यात्मा फिर से देवात्मा बन जाती है । इस योग का अभ्यास कोई भी मनुष्य बडी आसानी से कर सकता है ।

परमपिता इस धरती पर अवतरित हो चुके हैं

ब्रम्हकुमारीज द्वारा नई सतयुगी सृष्टि की स्थापना आज भी परमात्मा से मिल सकते हैं, वर्तमान समय धरती की दशा, परमात्मा इस धरा पर आ चुके हैं, परमात्मा क्या करने आएं हैं, इन्हीं बिन्दुओं पर आधारित प्रदर्शनी के माध्यम से चरित्र निर्माण करने के बारे में आध्यात्मिक जानकारी दी गयी।यह खुशखबरी बताना चाहते हैं कि परमपिता इस धरती पर अवतरित हो चुके हैं। इस बात को शायद आप आसानी से न मानें परंतु यह सत्य है कि इस पुरानी पवित्र दुनिया को फिर से पावन बनाने के लिए स्वयं परमात्मा इस धरा पर अवतरित हो चुके हैं। सर्वशक्तिमान परमात्मा महान भारत देश के राजस्थान स्थित आबू पर्वत पर अवतरित हो चुके हैं और प्रजापति ब्रम्हा बाबा के तन के माध्यम से गुप्त रीति से अपना अलौकिक कार्य कर रहे हैं।