Sunday 23 March 2014

स्वयं पर नियंत्रण करने वाला ही जीवन में आगे बढ़ता है: भगवान भाई

स्वयं पर नियंत्रण करने वाला ही जीवन में आगे बढ़ता है: भगवान भाई

Bhaskar News Network | Mar 14, 2014, 03:50AM IST
Email Print Comment
भास्कर न्यूज - करनाल
जीवन में वही व्यक्ति आगे बढ़ पाता है और पद प्रतिष्ठा प्राप्त करता है जिसने स्वयं पर नियंत्रण कर लिया हो। अन्यथा की स्थिति में व्यक्ति आजीवन पर भटकाव का सामना करता है। गुरुवार को सदर बाजार स्थित शिव स्मृति भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने यह बात कही। वह राजयोग पर बोल रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि राजा वही है जिसने स्वयं को जीत लिया है। स्वयं अर्थात कर्मेंद्रियां पर जिसका नियंत्रण है। जिसकी आत्मा पवित्र है और जो नकारात्मक विचारों को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित करके अपनी ऊर्जा का सही प्रयोग कर सके। उन्होंने उपस्थित साधकों को राजयोग का अभ्यास भी कराया। ब्रह्मकुमारी किरण ने मुरली सुनाई और साधकों को नियमित आश्रम पहुंचकर आध्यात्मिक सुख प्राप्ति के लिए प्रेरित किया।

सहनशीलता का महत्व













सहनशीलता का महत्व 

जब मैं अंदर से शान्त हँू तो ही सहनशक्ति की गुंजाईश है। जहाँ प्यार है वहाँ खुलापन है, जहाँ खुलापन है वहाँ सहनशीलता के लिए स्थान है। कहा जाता है कि सहनशील व्यक्ति कमजोर होते हैं जबकि सबसे महान व्यक्ति अपनी सहनशीलता से ही जाने जाते हैं। सहनशीलता एक वॉटर टैन्क के समान है। हरेक का अपना वॉटर टैन्क है और वह उसे अपनी धैर्यता के पानी से भरने का जिम्मेवार है। धैर्यता के इस पानी से जब वॉटर टैन्क ओवरफ्लो हो जाता है तो सहनशक्ति भी अधिक हो जाती है। ज्यादातर लोग यह सिद्ध करने की कोशिश करते हैं कि वे सही हैं और दूसरे गलत हैं। एक सहनशील व्यक्ति को कभी भी कुछ भी साबित करने की आवश्यकता नहीं है। एक पुरानी कहावत है कि सच्चाई हमेशा बाहर आ जाती है। अगर मैं ऐसा समझता हँू तो ये भी स्वीकार करूंगा कि दूसरे भी सही हैं। अत: मुझे अपनी सोच को दूसरों के प्रति बदलना चाहिए और उनके प्रति ज्यादा स्नेही, दयालू और समझदार होना चाहिए।

सहनशक्ति का आधार बनावटी बातों से परे जाना है। हम अपने बुरे अनुभवों के लिए दूसरों को दोष देते हैं जबकि हमें अपने अंदर झांक कर स्वयं को जानना होता है। मैं क्रोधी हँू, जब मैं यह स्वीकार कर लेती हँू तो मैं सहनशील हँू और तभी से सब बातें बदलने लगती है।
मुझे नि:स्वार्थ दूसरों की आवश्यकताओं के प्रति ध्यान देना चाहिए तभी मैं सब बातों को संभाल सकती हँू। हम प्राय: कहते है कि मुझे समझने की जरूरत है परन्तु मुझे कहना चाहिए कि मुझे दूसरों को समझने की आवश्यकता है। यह कहना बंद करो, वो बदले, बल्कि मुझे स्वयं को बदलने की जरूरत है। ऐसी सोच से धैर्य, शान्ति और परिपक्वता का विकास होता है। आध्यात्मिक सहनशीलता से ही ऐसी बुद्धिमत्ता का विकास होता है जिसे आप पुस्तकों से प्राप्त नहीं कर सकते। सहनशील व्यक्ति, विषम परिस्थितियों को शान्तिपूर्ण तरीके से हल कर लेते हैं। जब कोई मेरा अपमान करता है तो सहनशक्ति मुझे स्थिर और शीतल रहने की शक्ति प्रदान करती है। मुझे रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं पड़ती। अपितु, मुझे मुस्कुराते हुए अपने स्वमान में रहना होता है जो मुझे परिस्थितियों से परे ले जाने में सहायक होती हैं। सहनशील व्यक्ति सभी को अपने साथ लेकर चलते है, तालमेल बिठाते और परिस्थितियों का सामना करते हैं। वे संसार में होने वाली घटनाओं को अपने ऊपर उठने का एक अवसर मानते हैं। ये सहनशक्ति, आंतरिक शक्ति एवं अखंडता से आती है। सहनशक्ति दूसरों के प्रति उदार और खुला होने का अनुभव मात्र है। जब आप ये देखते हैं कि आपके संबंध और ताल्लुकात अच्छे हैं तो आप विशेष रूप से सहनशक्ति का उपयोग करते हैं। आध्यात्मिक शक्ति इस समझ से आती है कि आप कौन हैं, और आप मूल्यों के आधार पर खड़े हुए हैं और आप में सत्यता है, चाहे चारों ओर की परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
खुले, प्यार भरे और उदार हृदय द्वारा मुझमें समाने की शक्ति आती है। समाने, सहन करने से शान्ति की स्थिति से विकट परिस्थितियाँ भी आसान हो जाती हैं। सहनशीलता हमारा आंतरिक भोजन है। यदि मैं कहता हँू कि मुझे सहन करना पड़ेगा, इसका अर्थ है कि वास्तव में मुझमें सहनशक्ति नहीं हैं। जब मैं किसी स्थिति, परिस्थिति और व्यक्ति से प्यार का व्यवहार करता हँू तो मेरे में सहन करने की कोई फीलिंग नहीं होती।
सहनशील व्यक्ति ईंट की दीवार के समान होता है। उनका किसी से कितना भी टकराव हो फिर भी वे मजबूत, सुरक्षित और सर्वस्नेही रहते हैं और यह सब समाने और स्वीकार करने से होता है। एक पेपर टावल पानी को सोखने और समाने की शक्ति रखता है। बाग और खेत मौसम को सहन करने की क्षमता रखते हंै। क्या हम इन सबको सहन करते हुए मुस्कुराते हुए कह सकते हैं कि नि:संदेह, हाँ हम एकरस स्थिति में रह सकते हैं। विल पावर व दृढ़ता की शक्ति से हम पहाड़ों को भी पार कर सकते हैं।
हम सब जीवंत मानव वृक्ष हैं, जो चारों सीजन से गुजरते हैं, प्रत्येक की सहन करने की शक्ति भिन्न हैं। आंतरिक शक्ति समझदारी से आती है, लेकिन जब मैं साक्षी होकर देखता हँू तो मुझे लगता है कि मैं सहन नहीं कर रहा हँू परन्तु मैं बड़े और उदार दिल से दूसरों को स्वीकार कर रहा हँू और मेरी ओर आने वाली सब बातों को मैं समा रहा हँू। जब मैं सागर के समान बनता हँू तो आने वाली सभी बातों को खुली बाहों से अपने में समा लेता हँू फिर मेरा जीवन सुखमय, सहज हो जाता है और संबंध खुशनुमा हो जाते हैं। जब मैं उसका विरोध करता हँू तो समस्याएं पैदा हो जाती हैं और बढ़ भी जाती है। जब मैं गहराई से सोचता हँू कि सहनशीलता मेरा पुराना साथी है और धैर्य मेरा मित्र है, तो ये दोनों सारा दिन मेरे सभी पलों में मेरे साये के समान रहते है और जहाँ मैं जाता हँू वहाँ ये मेरे साथ जाते है।
सहनशीलता एक डांस की तरह है जिसमें हर समय सही काम अंदर-बाहर करना होता है। मैं हर एक बात को किस प्रकार सहन करता हूँ और कैसा संबंध रखता हूँ इसके लिए हर क्षण डांस टेक्निक की मेरे जीवन में आवश्यकता होती है, कभी जल्दी-जल्दी तो कभी धीरे-धीरे डांस करना पड़ता है।
फूल कांटों में रहते हुए भी हमेशा खिलते हैं, इसी प्रकार मुझे इस संसार में रहते हुए भी मेरे चारों ओर के लोगों को किस प्रकार से रेस्पाण्ड करना है और उन्हें स्वीकार वा एडजेस्ट करना है यह सहनशीलता का लक्षण है इसलिए सहनशीलता यह एक शक्ति है न कि कमजोरी। यह तूफान में भी वीरान है और गुफा के अंदर अंधेरे में रोशनी है। सहनशक्ति से मुझ में और शक्ति अनुभव होती है। हर अनुभव मेरे जीवन का अमूल्य क्षण है।
कभी कभी मुझे और उदासीनता अनुभव होती है जो दोनों ही निगेटिव क्वालिटीज़ हैं। अगर हम सहनशील नहीं हैं तो हम अपने को खाली अनुभव करते हैं। हमारे में सहनशक्ति नहीं है तो हम दूसरों को दोष देना और रिएक्ट करना शुरू कर देते हैं और जब हम स्वीकार करना शुरू कर देते और स्वयं को शक्तियों से भरपूर कर लेते हैं तो हमारी सहनशीलता पुन: बढ़ जाती है। कठिन परिस्थितियां हमारे लिए दर्पण के समान हैं जिसमें हम अपना वास्तविक रूप देखते हैं। मेरी जिम्मेवारी यथा सम्भव सर्वोत्तम तरीके से रेसपाण्ड करने की है। एक फलों से लदे हुए वृक्ष की कल्पना करो जिस पर एक बच्चा फल लेने के लिए पत्थर फेंक रहा है। वृक्ष उस लड़के से व्यथित नहीं होता है परन्तु किसी भी तरह से उसे फल देता है। हमें ऐसा ही सहनशील बनना है जिससे हमारा जीवन निश्चित रूप से खुशनुमा हो जायेगा। जहाँ स्नेह और प्यार है वहाँ सहनशक्ति स्वत: आती है।
योग के समय कुछ बातें गहराई से सोचने की हैं जिससे हमारी सहनशक्ति बढ़े…
सहनशीलता एक सहमति है…
सहनशक्ति से जीवन में आन्तरिक शक्ति आती है….
सहनशक्ति से जीवन में शान्ति आती है
सहनशक्ति से जीवन में खुलापन आता है
सहनशक्ति से संबंधों में सामंजस्य आता है
सहनशक्ति से स्वयं में, दूसरों में और वातावरण में शक्ति आती है
सहनशील व्यक्ति यह नहीं समझता कि मैं स्वीकार कर रहा हूँ ।
सहनशील व्यक्ति के मित्र अधिक होते हैं क्योंकि वे उसके सानिध्य में स्वयं को सुरक्षित अनुभव करते हैं। सहनशक्ति और रहम साथ-साथ चलते हैं, ये तीनों अच्छे दोस्त हैं और एक दूसरे के प्रति वफादार हैं। सहनशक्ति का अर्थ है मैं जिम्मेवार हूँ।