Saturday 30 July 2011

इंदौर। भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकता है। इसके बगैर मनुष्य का काम नहीं चल सकता। ये विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विवि माउंट आबू के भगवान भाई ने व्यक्त किए।

इंदौर भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकता है। इसके बगैर मनुष्य का काम नहीं चल सकता। ये विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विवि माउंट आबू के भगवान भाई ने व्यक्त किए। वे उमियाधाम पाटीदार कन्या छात्रावास में विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा का महत्व बता रहे थे। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी से ही समस्याएं बढ़ रही है। ज्ञान की व्याख्या में उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है, वह प्रेम, सद्भावना, भाईचारा, नैतिकता, मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। उन्होंने शिक्षा को ऐसा बीज बताया, जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। ओमशांति भवन के राजयोगी प्रकाश भाई ने कहा कि कुसंग व फैशन से युवा भटक रहा है, इससे बच्चों की दूरी आवश्यक है। प्राचार्य बबीता हार्डिया ने बताया कि मूल शिक्षा से ही व्यक्ति महान बनता है, सद्गुणों से ही व्यक्तित्व निखरता है।

इंदौर। भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकता है। इसके बगैर मनुष्य का काम नहीं चल सकता। ये विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विवि माउंट आबू के भगवान भाई ने व्यक्त किए।

इंदौर भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकता है। इसके बगैर मनुष्य का काम नहीं चल सकता। ये विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विवि माउंट आबू के भगवान भाई ने व्यक्त किए। वे उमियाधाम पाटीदार कन्या छात्रावास में विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा का महत्व बता रहे थे। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी से ही समस्याएं बढ़ रही है। ज्ञान की व्याख्या में उन्होंने कहा कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही सच्ची शिक्षा है। समाज अमूर्त है, वह प्रेम, सद्भावना, भाईचारा, नैतिकता, मानवीय मूल्यों से ही संचालित होता है। प्रगतिशील एवं श्रेष्ठ समाज इन्हीं मूल्यों से परिभाषित होता है। उन्होंने शिक्षा को ऐसा बीज बताया, जिससे जीवन फलदार वृक्ष बन जाता है। ओमशांति भवन के राजयोगी प्रकाश भाई ने कहा कि कुसंग व फैशन से युवा भटक रहा है, इससे बच्चों की दूरी आवश्यक है। प्राचार्य बबीता हार्डिया ने बताया कि मूल शिक्षा से ही व्यक्ति महान बनता है, सद्गुणों से ही व्यक्तित्व निखरता है।

राजयोग से मन की स्थिरता संभव- भगवान भाई मध्यप्रदेश : राजयोग से मन की स्थिरता संभव- भगवान भाई

मध्यप्रदेश : राजयोग से मन की स्थिरता संभव- भगवान भाई

मध्यप्रदेश : राजयोग से मन की स्थिरता संभव- भगवान भाई

खरगोन, ४ जुलाई (हि.स.)। जीवन में सदा स्वस्थ, संपतिवान व खुश रहने के लिए आंतरिक शक्ति व स्थिरता की आवश्यकता है। राजयोग के नियमित अभ्यास से ही मन की स्थिरता प्राप्त होना संभव है। उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंटआबू से पधारे हुए ब्रह्मा कुमार भगवानभाई ने कहे। उन्होंने कहा कि जीवन की [...

सलाखों के पीछे सात जन्मों का ज्ञान अध्यात्म & वल्र्ड रिकार्डहोल्डर भगवान भाई कैदियों के बीच पहुंचे, जेल को तपोभूमि बनाने का किया आह्वान सलाखों के पीछे सात जन्मों का ज्ञान

सलाखों के पीछे सात जन्मों का ज्ञान अध्यात्म & वल्र्ड रिकार्डहोल्डर भगवान भाई कैदियों के बीच पहुंचे, जेल को तपोभूमि बनाने का किया आह्वान
सलाखों के पीछे सात जन्मों का ज्ञान
अध्यात्म & वल्र्ड रिकार्ड होल्डर भगवान भाई कैदियों के बीच पहुंचे, जेल को तपोभूमि बनाने का किया आह्वान व्यक्ति नहीं कर्म ही शत्रु
दैनिक भास्कर से खास मुलाकात करते हुए बीके भगवान भाई ने बताया कि व्यक्ति का दुश्मन व्यक्ति नहीं है। मनुष्य के भीतर बसी बुराइयां उसकी दुश्मन हैं। कर्म ही शत्रु हैं और वहीं मित्र हैं। हमारे साथ जो कुछ भी होता है वह भले के लिए ही होता है, कल्याणकारी होता है। भीतरी बुराइयों को दूर करने के लिए इंद्रियों पर संयम रखना सीखें। भगवान भाई ने अपने जीवन के रहस्य खोलते हुए कहा कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, जिसके चलते 11 साल की उम्र तक वे स्कूल नहीं गए। पढऩे की ललक होने के कारण गांव के स्कूल पहुंचे तो उन्हें टीचर्स ने कक्षा 5वीं में बैठाया। उन्होंने 5वीं से ही पढऩा शुरू किया। दुकानदार से पुरानी लिखी डायरियां लाकर पानी से साफ कर वे फिर इसका इस्तेमाल करते थे, ऐसे में एक दिन ब्रह्माकुमारी संस्था की डायरी हाथ लगी, जिससे पढ़कर वे काफी प्रभावित हुए। मुसाफिरों को पानी बेचकर 10 रुपए कमाए और माउंटआबू संस्था को भेजकर राजयोग की जानकारी मंगाई। पढऩे के बाद से जीवन में बदलाव आ गया और वे पूरी तरह संस्था के लिए समर्पित हो गए। 3000 से अधिक विषयों पर वे लेख लिख चुके हैं, जो हिंदी ज्ञानामृत, अंग्रेजी-द वल्र्ड रिनिवल, मराठी-अमृत कुंभ, उडिय़ा-ज्ञानदर्पण में छपते रहते हैं। इसके साथ ही वीडियो क्लासेस, ब्लॉग्स द्वारा ईश्वरीय संदेश देते हैं।

दंड से नहीं दृष्टि से परिवर्तन

केंद्रीय जेल के उप अधीक्षक आरके ध्रुव ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि मनोबल कमजोर होने से अंदर से हम अकेले हो जाते हैं। दंड देकर गलतियां न करने का भय दिखाया जा सकता है, लेकिन सुधारा नहीं जा सकता। दृष्टि, मनोवृत्ति में परिवर्तन करके, आध्यात्मिक चिंतन करके खुद को बुराइयों से बचाया जा सकता है। कैदियों ने इस मौके पर भजनों की प्रस्तुति दी। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था ने साहित्य बांटे। केंद्रीय जेल अधीक्षक एसके मिश्रा ने इस प्रयास को कैदियों के जीवन में परिवर्तन लाने वाला बताया।
Posted by BK BHAGWAN BRAHMAKUMARIS MOUNT ABU ARTIKAL at 5:39 PM 0 comments
Labels: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी
व्यक्ति नहीं कर्म ही शत्रु दैनिक भास्कर से खास मुलाकात करते हुए बीके भगवान भाई ने बताया कि व्यक्ति का दुश्मन व्यक्ति नहीं है। मनुष्य के भीतर बसी बुरा
Published on 21 Jul-2011

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व्यक्ति नहीं कर्म ही शत्रु
दैनिक भास्कर से खास मुलाकात करते हुए बीके भगवान भाई ने बताया कि व्यक्ति का दुश्मन व्यक्ति नहीं है। मनुष्य के भीतर बसी बुराइयां उसकी दुश्मन हैं। कर्म ही शत्रु हैं और वहीं मित्र हैं। हमारे साथ जो कुछ भी होता है वह भले के लिए ही होता है, कल्याणकारी होता है। भीतरी बुराइयों को दूर करने के लिए इंद्रियों पर संयम रखना सीखें। भगवान भाई ने अपने जीवन के रहस्य खोलते हुए कहा कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, जिसके चलते 11 साल की उम्र तक वे स्कूल नहीं गए। पढऩे की ललक होने के कारण गांव के स्कूल पहुंचे तो उन्हें टीचर्स ने कक्षा 5वीं में बैठाया। उन्होंने 5वीं से ही पढऩा शुरू किया। दुकानदार से पुरानी लिखी डायरियां लाकर पानी से साफ कर वे फिर इसका इस्तेमाल करते थे, ऐसे में एक दिन ब्रह्माकुमारी संस्था की डायरी हाथ लगी, जिससे पढ़कर वे काफी प्रभावित हुए। मुसाफिरों को पानी बेचकर 10 रुपए कमाए और माउंटआबू संस्था को भेजकर राजयोग की जानकारी मंगाई। पढऩे के बाद से जीवन में बदलाव आ गया और वे पूरी तरह संस्था के लिए समर्पित हो गए। 3000 से अधिक विषयों पर वे लेख लिख चुके हैं, जो हिंदी ज्ञानामृत, अंग्रेजी-द वल्र्ड रिनिवल, मराठी-अमृत कुंभ, उडिय़ा-ज्ञानदर्पण में छपते रहते हैं। इसके साथ ही वीडियो क्लासेस, ब्लॉग्स द्वारा ईश्वरीय संदेश देते हैं।

दंड से नहीं दृष्टि से परिवर्तन

केंद्रीय जेल के उप अधीक्षक आरके ध्रुव ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि मनोबल कमजोर होने से अंदर से हम अकेले हो जाते हैं। दंड देकर गलतियां न करने का भय दिखाया जा सकता है, लेकिन सुधारा नहीं जा सकता। दृष्टि, मनोवृत्ति में परिवर्तन करके, आध्यात्मिक चिंतन करके खुद को बुराइयों से बचाया जा सकता है। कैदियों ने इस मौके पर भजनों की प्रस्तुति दी। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था ने साहित्य बांटे। केंद्रीय जेल अधीक्षक एसके मिश्रा ने इस प्रयास को कैदियों के जीवन में परिवर्तन लाने वाला बताया।
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Labels: बीके भगवान भाई
स्कूल के स्टूडेंट्स को मूल्य निष्ठा की शिक्षा देने व कैदियों के जीवन में सद्भावना, मूल्य व मानवता को बढ़ावा देने वाले ब्रह्मकुमार भगवान बुधवार से शहर
भास्कर न्यूज & बिलासपुर

स्कूल के स्टूडेंट्स को मूल्य निष्ठा की शिक्षा देने व कैदियों के जीवन में सद्भावना, मूल्य व मानवता को बढ़ावा देने वाले ब्रह्मकुमार भगवान बुधवार से शहर में होंगे। हजारों कार्यक्रम के जरिए संदेश देने के उनके प्रयास को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया जा चुका है। वे २० से 24 जुलाई तक विभिन्न स्कूलों व केंद्रीय जेल में अध्यात्म की गंगा बहाएंगे। साथ ही ब्रह्मकुमारी संस्था के सदस्यों को राजयोग, एकाग्रता व ज्ञान का ज्ञान देंगे।

बीके भगवान 1987 से भारत के विभिन्न प्रांतों में जाकर हजारों स्कूली बच्चों व जेलों में बंद कैदियों में मानवता का बीज बोते रहे। मिडिल व हाईस्कूलों के अलावा कॉलेज, आईटीआई सहित कई संस्थाओं में उनके आह्वान पर युवा अध्यात्म की राह पर चल पड़े हैं। अपने मिशन को सफलता दिलाने के लिए उन्होंने पदयात्रा, मोटरसाइकिल व साइकिल यात्रा सहित शिक्षा अभियान, ग्राम विकास अभियान कार्यक्रम संचालित किए। बीके भगवान भाई के अनुसार अगर समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, कुरीतियां, बुराइयां, व्यसन,नशा को समाप्त करना है तो स्कूलों में शिक्षा में परिवर्तन करने होंगे।

मूल्य शिक्षा अभियान के माध्यम से इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कर चुके बीके भगवान भाई गुरुवार को शहर के रेलवे स्कूल पहुंचे।

वेल्यू एजुकेशन के अभाव में युवाओं में भटकाव बीके भगवान ने रेलवे स्कूल में विद्यार्थियों को सिखाया नैतिकता का पाठ स्र46बिलासपुर & मूल्य शिक्षा अभियान
वेल्यू एजुकेशन के अभाव में युवाओं में भटकाव

बीके भगवान ने रेलवे स्कूल में विद्यार्थियों को सिखाया नैतिकता का पाठ
स्र46बिलासपुर & मूल्य शिक्षा अभियान के माध्यम से इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कर चुके बीके भगवान भाई गुरुवार को शहर के रेलवे स्कूल पहुंचे।

स्कूल में बीके भगवान ने कहा कि स्कूल ही शिक्षा का वो समुदाय है जहां हर वर्ग, धर्म, जाति के बच्चे पढऩे आते हैं। इन्हीं में से आगे चलकर विद्यार्थी इंजीनियर, डॉक्टर, टीचर, वकील बनते हैं। बाल्यावस्था में ही यदि नैतिक शिक्षा से अच्छे संस्कारों के बीज रोपें तो विद्यार्थियों के साथ समाज, देश का भविष्य भी सुनहरा होगा। वेल्यू एजुकेशन के अभाव में युवाओं में नैतिकता, धैर्यता, ईमानदारी गुणों की कमी हो रही है। बचपन में ही सही शिक्षा व संस्कार देना जरूरी है।

एसईसी रेलवे मिक्स्ड हायर सेकंडरी इंग्लिश मीडियम की छात्र-छात्राओं को सकारात्मक चिंतन का महत्व समझाते हुए भगवान भाई ने कहा कि इससे समाज में मूल्यों की खुशबू फैलती है। इसी से जीवन कीं हर समस्या का समाधान हो सकता है।

सिन-मा यानी सिनेमा है पाप की मां

भगवान भाई ने कहा कि बच्चे व युवा कुसंगति, सिनेमा, व्यसन, फैशन सहित 4 के फेर में पड़े हैं। इंटरनेट, मोबाइल का गलत उपयोग करते हुए दोस्तों की संगत में न चाहते हुए भी कई बार वे गलत राह पर चल देते हैं। धीरे-धीरे गलत कामों के संस्कार उनमें पड़ जाते हैं। नकारात्मक सोच होगी तो नकारात्मक जीवन बनेगा। आजकल युवा फैशन से आउटर पर्सनालिटी को निखारने में लगे रहते हैं।

राजयोग से आंतरिक शक्तियों व सद्गुणों को उभार कर व्यवहार में निखार लाया जा सकता है। इंद्रियों पर संयम रखने से मनोबल बढ़ता है। माउंट आबू से आए राजयोगी भ

राजयोग से आंतरिक शक्तियों व सद्गुणों को उभार कर व्यवहार में निखार लाया जा सकता है। इंद्रियों पर संयम रखने से मनोबल बढ़ता है। माउंट आबू से आए राजयोगी भ
‘चिंता है चिता की जड़’
स्र46 भास्कर न्यूज & बिलासपुर

राजयोग से आंतरिक शक्तियों व सद्गुणों को उभार कर व्यवहार में निखार लाया जा सकता है। इंद्रियों पर संयम रखने से मनोबल बढ़ता है। माउंट आबू से आए राजयोगी भगवान भाई ने ब्रह्माकुमारी संस्था के सदस्यों को राजयोग के विशेष अभ्यास से सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता व सद्गुणों का विकास करने पर बल देते हुए कहा कि दूसरों को देखकर चिंतित होना, नकारात्मकता से घिर जाना पतन की जड़ है। ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी भी सुखी नहीं हो सकता।

उसलापुर स्थित ब्रह्माकुमारी शांति सरोवर में राजयोग साधना से संस्कार परिवर्तन कार्यक्रम के दौरान भगवान भाई ने कहा कि पर चिंतन करने वाला व दूसरों को देखने वाला हमेशा तनाव में रहता है, जबकि स्वचिंतन से आंतरिक कमजोरियों की जांच कर उसे बदला जा सकता है। उन्होंने राजयोग के अभ्यास से स्वचिंतन का महत्व समझाया। भगवान भाई ने कहा कि हमारा जीवन हंस की तरह अंदर व बाहर से स्वच्छ रखने की आवश्यकता है। गुणवान व्यक्ति ही समाज की असली संपत्ति है। राजयोग की विधि समझाते हुए उन्होंने कहा कि खुद को देह न मानकर आत्मा मानें और परमात्मा को याद करते हुए सद्गुणों को धारण करें। ऐसा करने से काम, क्रोध, माया, मोह, लोभ, अहंकार, आलस्य, ईष्या, द्वेष पर जीत हासिल की जा सकती है। आध्यात्मिकता की व्याख्या करते हुए भगवान भाई ने कहा कि जब तक हम खुद को नहीं पहचानते तब तक परमात्मा से संबंध स्थापित नहीं कर सकते। इस मौके पर मुंगेली, जांजगीर, बिल्हा, राहौद, खरौद, तखतपुर, रतनपुर सहित शहर से करीब 500 सदस्य उपस्थित थे।

नैतिकता से ही सर्वांगीण विकास संभव : देवकीनंदन गल्र्स स्कूल में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में नैतिक शिक्षा के महत्व पर भगवान भाई ने कहा कि इससे ही वे अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बंधन से मुक्ति की ओर जाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे की कल के भविष्य हैं। अगर कल के समाज को बेहतर देखना चाहते हैं तो वर्तमान के विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा देकर संस्कारित किया जा सकता है।
Posted by BK BHAGWAN BRAHMAKUMARIS MOUNT ABU ARTIKAL