Saturday 11 June 2011

स्व की पहचान हमारा यथार्थ परिचय है क्या ? मैं एक चेतना हूं और इस शरीर द्वारा अभिव्यक्त होती हूं

हमारी यथार्थ पहचान हमें कौन बता सकता है ? असल में हमारा यथार्थ परिचय है क्या ? मैं एक चेतना हूं और इस शरीर द्वारा अभिव्यक्त होती हूं , यह तो मुझे समझ में आता है। परंतु समग्र रूप से मैं क्या हूं , यह मैं जान नहीं पाता हूं। हमारे ऋषि-मुनियों ने इसे बहुत खोजने का प्रयास किया , परंतु अध्यात्म का सूत इतना उलझ गया कि अब सुलझाए नहीं सुलझ रहा है। हमारे कुछ धर्म ग्रंथों में ऐसा कहा गया है कि मनुष्य की आत्मा जब गर्भ में आती है तो उस समय उसे इस बात की स्मृति रहती है कि वह परमात्मा का ही अंश है और इसलिए वह ईश्वर से निरंतर संवाद करती रहती है। परंतु बच्चे का जन्म होते ही माया नगरी की माया उसकी आत्मिक स्मृति को विस्मृत कर देती है और वह संसार में शरीरधारियों और स्थूल वस्तुओं को अपने आसपास पाती है और उसी में उसकी बुद्धि उलझ जाती है। उसी प्रकार के संकल्प उसकी बुद्धि में जागृत होते रहते हैं। उसकी स्वयं की यथार्थ पहचान जो कि उसका संपूर्ण परिचय है , उसको वह भूल जाती है। चूंकि , वह यह समझती है कि वह केवल एक शरीरधारी है , इसलिए उसे शरीर और शरीर से संबंधित सभी पदार्थ - सुख सुविधा , वैभव आदि ही याद आते हैं और उन्हीं में उसकी बुद्धि रमण करती रहती है। परमात्मा उसका यथार्थ परिचय उसे बताते हैं कि तुम एक बिन्दु आत्मा हो जिसने इस शरीर का आधार कुछ निश्चित समय के लिए ही लिया है। इस शरीर द्वारा तुम सब कुछ उपभोग कर रहे हो , परंतु अपनी आत्मिक स्मृति में ना रहने के कारण तुम में इस देह का अभिमान बढ़ता ही जा रहा है। इसी के फलस्वरूप तुम अपने लिए विभिन्न प्रकार की परेशानियां उत्पन्न करते जा रहे हो। विकारों की छाया से आत्मा ग्रसित हो चुकी है और उसकी शक्तियां क्षीण हो चुकी हैं। देह के अभिमान के वश में तुमने देह के कई धर्म स्थापित कर दिए हैं , जिनको हिंदू , मुस्लिम , सिक्ख , ईसाई इत्यादि कहा जाता है। लेकिन असल में तो ये सब मात्र इस देह के ही धर्म हैं। आत्मा का धर्म तो शांति और पवित्रता है। देह के धर्म वे चाहे अलग हो सकते हैं , परंतु आत्मा का धर्म एक ही है और आत्मा रूप में हम सभी एक ईश्वर की संतान हैं क्योंकि ईश्वर ही एकमात्र ऐसा है जो जन्म मरण के चक्र में न आने के कारण , देह के बंधन से परे होने के कारण , देह के अभिमान से परे रहता है और आत्मा होने की हमें यथार्थ पहचान देता है। आमतौर पर हम यह सोचते हैं कि उक्त वस्तु या उक्त व्यक्ति के द्वारा हमें सुख और शांति की अनुभूति हो सकती है। परंतु यथार्थ में ऐसा नहीं है। सुख और शांति की जननी आत्मा स्वयं ही है , पदार्थ और व्यक्ति उसको शांति की अनुभूति नहीं करा सकती।
जब आत्मा को स्वयं की पहचान हो जाती है , तब उसे इस बात की भी जानकारी हो जाती है कि वह इस समय शक्तिहीनता की स्थिति में है , चूंकि यदि आज जरा सी भी कोई बात मेरी इच्छा के विरुद्ध होती है तो या तो मुझे क्रोध आता है या मैं फिर अवसादग्रस्त हो जाती हूं। लगातार इस जीवन को जीते हुए मैं मानसिक द्वंद्वों में ही अपने जीवन को खर्च कर देती हूं। और जीवन का कोई अर्थ मुझे समझ नहीं आता। परंतु जब मुझे अपनी यथार्थ पहचान होती है , तब मुझे पता लगता है कि मैं किस प्रकार स्वयं को बलशाली बना सकती हूं। जब मुझे आध्यात्मिक सत्ता से योगयुक्त रहने की कला आ जाती है तो मेरी आध्यात्मिक शक्तियों और दिव्य गुणों का विकास होना आरंभ हो जाता है। उसी मनुष्य का मान होता है जो गुणधारी होता है। इस शरीर का कोई मान नहीं है , यदि उसमें आत्मीय गुणों का समावेश नहीं है। समाज में भी उसी व्यक्ति को सम्मान प्राप्त होता है जो गुणवान है। अहंकारवश कोई व्यक्ति चाहे उस गुण की कद्र न भी करे , परंतु हृदय से वह भी उसकी महानता स्वीकार करेगा।

Friday 10 June 2011

INDIA BOOK OF RECORDS BRAHAMAKUMAR BHAGAWAN BHAI FROM BRAHAMAKUMARIS MOUNT ABU BORN 1 ST JUN 1965 OR RAJASTHAN HAS CONTRIBUTED FOR THE HUMANITY BY PROVIDING VALU, EDUCATIONMORALITY AND POSITIVE CHANGE PROGRAMMES IN 5000 SCHOOL AND 800 JAILS TILL 27 MARCH 2010 BISWAROOP RAY CHOWDHURY INDIA BOOK OF RECORDS 22 APRIL 2011 स्कूल सेवा नैतिक मूल्य ब्रह्मकुमार भगवान भाई ब्रह्माकुमारी








































ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने स्कूलो और जेलो में नैतिक शिक्षा का
पाठ पढ़ाते-पढ़ाते अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवाया।
बुधवार को ब्रह्मकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र में उनका सम्मान समारोह
आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला परिवहन अधिकारी नेमीचंद पारीक ने उनकों
साफा और माला पहनाकर सम्मानित किया।

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय शांतिवन
के बीके भगवान भाई की ओर से पांच हजार स्कूलों में हजारों बच्चों को
मूल्यनिष्ठ शिक्षा के जरिए नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए लगातार
पढाए जाने पर तथा आठ सौ जेलों में हजारों कैदियों को अपराधों को छोड़
अपने जीवन में सदभावना, मूल्य तथा मानवता को बढ़ावा देने के उददेश्य से
आयोजित किए गए हजारों कार्यक्रमों के जरिए संदेश देने के अथक प्रयास को
’इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड’ में दर्ज किया गया है। दिल्ली के कनाट प्लेस में
२२ अप्रैल को यह सर्टिफिकेट इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड के चीफ एडिटर विश्वरूप
राय चौधरी की ओर से एक समारोह में दिया गया। इस अवसर पर विश्वरूप राय
चौधरी ने कहा कि ऐसे प्रयास से लोगों के जीवन में एक नई उर्जा का संचार
होगा तथा लोगों में सदभावना को बढ़ावा मिलेगा। बीके भगवान भाई पिछले कई
सालों में अथक प्रयास से देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर हजारों स्कूलों
में बच्चों तथा जेलों में कैदियों में मानवता का बीज बोने का अथक प्रयास
करते रहे है जिससे यह सफलता मिली है।


ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने स्कूलो और जेलो में नैतिक शिक्षा का
पाठ पढ़ाते-पढ़ाते अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवाया।
बुधवार को ब्रह्मकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र में उनका सम्मान समारोह
आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला परिवहन अधिकारी नेमीचंद पारीक ने उनकों
साफा और माला पहनाकर सम्मानित किया।

भगवान भाई ने पांच हजार स्कूलों और आठ सौ जेलों में नैतिक शिक्षा का पाठ
पढ़ाते हुए कहा ये रिकॉर्ड बनाया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भगवान
भाई ने कहा कि स्कूलों में जाकर बच्चो को अच्छे चरित्र और सुशिक्षा की
सीख देता हूं।

उन्होंने शिक्षा का अर्थ बताते हुए कहा कि शिक्षा सशक्त, अनुशासन, समझ,
चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व विकास, सहनशक्ति, एकाग्रता, आशावादी और
सज्जनता का मिश्रण है। साथ ही उन्होंने बताया कि जेलों और स्कूलो का ये
सफर उन्होंने वर्ष 1996 में जालोर से ही शुरू किया था। वहीं ब्रह्मकुमारी
रंजू बहन ने भगवान भाई के जीवन का परिचय देते हुए बताया कि महाराष्ट्र के
एक गरीब परिवार में जन्म लेने के बाद कठिन परिश्रम कर उन्होंने ये
कामयाबी हासिल की है।

ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने स्कूलो और जेलो में नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाते-पढ़ाते अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवाया। INDIA BOOK OF RECORDS BRAHAMAKUMAR BHAGAWAN BHAI FROM BRAHAMAKUMARIS MOUNT ABU BORN 1 ST JUN 1965 OR RAJASTHAN HAS CONTRIBUTED FOR THE HUMANITY BY PROVIDING VALU, EDUCATIONMORALITY AND POSITIVE CHANGE PROGRAMMES IN 5000 SCHOOL AND 800 JAILS TILL 27 MARCH 2010










































प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय शांतिवन
के बीके भगवान भाई की ओर से पांच हजार स्कूलों में हजारों बच्चों को
मूल्यनिष्ठ शिक्षा के जरिए नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए लगातार
पढाए जाने पर तथा आठ सौ जेलों में हजारों कैदियों को अपराधों को छोड़
अपने जीवन में सदभावना, मूल्य तथा मानवता को बढ़ावा देने के उददेश्य से
आयोजित किए गए हजारों कार्यक्रमों के जरिए संदेश देने के अथक प्रयास को
’इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड’ में दर्ज किया गया है। दिल्ली के कनाट प्लेस में
२२ अप्रैल को यह सर्टिफिकेट इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड के चीफ एडिटर विश्वरूप
राय चौधरी की ओर से एक समारोह में दिया गया। इस अवसर पर विश्वरूप राय
चौधरी ने कहा कि ऐसे प्रयास से लोगों के जीवन में एक नई उर्जा का संचार
होगा तथा लोगों में सदभावना को बढ़ावा मिलेगा। बीके भगवान भाई पिछले कई
सालों में अथक प्रयास से देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर हजारों स्कूलों
में बच्चों तथा जेलों में कैदियों में मानवता का बीज बोने का अथक प्रयास
करते रहे है जिससे यह सफलता मिली है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय शांतिवन
के बीके भगवान भाई की ओर से पांच हजार स्कूलों में हजारों बच्चों को
मूल्यनिष्ठ शिक्षा के जरिए नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए लगातार
पढाए जाने पर तथा आठ सौ जेलों में हजारों कैदियों को अपराधों को छोड़
अपने जीवन में सदभावना, मूल्य तथा मानवता को बढ़ावा देने के उददेश्य से
आयोजित किए गए हजारों कार्यक्रमों के जरिए संदेश देने के अथक प्रयास को
’इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड’ में दर्ज किया गया है। दिल्ली के कनाट प्लेस में
२२ अप्रैल को यह सर्टिफिकेट इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड के चीफ एडिटर विश्वरूप
राय चौधरी की ओर से एक समारोह में दिया गया। इस अवसर पर विश्वरूप राय
चौधरी ने कहा कि ऐसे प्रयास से लोगों के जीवन में एक नई उर्जा का संचार
होगा तथा लोगों में सदभावना को बढ़ावा मिलेगा। बीके भगवान भाई पिछले कई
सालों में अथक प्रयास से देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर हजारों स्कूलों
में बच्चों तथा जेलों में कैदियों में मानवता का बीज बोने का अथक प्रयास
करते रहे है जिससे यह सफलता मिली है।

INDIA BOOK OF RECORDS

BRAHAMAKUMAR BHAGAWAN BHAI FROM BRAHAMAKUMARIS MOUNT ABU BORN 1 ST JUN 1965 OR RAJASTHAN HAS CONTRIBUTED FOR THE HUMANITY BY PROVIDING VALU, EDUCATIONMORALITY AND POSITIVE CHANGE PROGRAMMES IN 5000 SCHOOL AND 800 JAILS TILL 27 MARCH 2010


BISWAROOP RAY CHOWDHURY

INDIA BOOK OF RECORDS

22 APRIL 2011
ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने स्कूलो और जेलो में नैतिक शिक्षा का
पाठ पढ़ाते-पढ़ाते अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करवाया।
बुधवार को ब्रह्मकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्र में उनका सम्मान समारोह
आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला परिवहन अधिकारी नेमीचंद पारीक ने उनकों
साफा और माला पहनाकर सम्मानित किया।